कश्मीर की तीनों लोकसभा सीटों, श्रीनगर, बारामूला और अनंतनाग-राजौरी, में से किसी पर भी भारतीय जनता पार्टी चुनाव नहीं लड़ रही है. वहीं, इंडिया गठबंधन के दोनों घटक दल, नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, के बीच सीट की साझेदारी पर कोई समझौता नहीं हो पाया. दोनों दल आमने-सामने हैं. जम्मू-कश्मीर से द वायर की ग्राउंड रिपोर्ट.
जम्मू कश्मीर के भाजपा नेता मुहम्मद मकबूल वार का एक पत्र सामने आया है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि बारामूला और सोपोर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक भ्रष्टाचार के आरोपों में भाजपा नेताओं को निशाना बना रहे थे. यह पत्र केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को संबोधित है. उनके तबादले की मांग करते हुए उन्होंने कहा है कि उनके बदले उन्हीं अधिकारियों को तैनात किया जाए जो पार्टी नेताओं का सहयोग करें.
जम्मू कश्मीर के बारामूला के रहने वाले 25 वर्षीय मुज़म्मिल मंज़ूर वार को 17 अगस्त 2020 को ‘देश की सुरक्षा और संप्रभुता’ के लिए ख़तरा पैदा करने के आरोप में ‘कठोर’ पीएसए के तहत हिरासत में लिया गया था. इसे उनके पिता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन रिहाई के दो आदेश के बाद भी उन्हें रिहा नहीं किया गया था.
वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद में ‘शिवलिंग’ होने के दावे पर कथित तौर पर आपत्तिजनक पोस्ट करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रतन लाल को बीते दिनों गिरफ़्तार किया गया था. हालांकि, उन्हें ज़मानत मिल गई थी. लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रविकांत चंदन के ख़िलाफ़ भी ऐसी ही टिप्पणी करने के लिए बीते 10 मई को एफ़आईआर दर्ज की गई थी.
बारामूला के एक स्कूल ने 25 अप्रैल को जारी सर्कुलर में शिक्षिकाओं से स्कूल अवधि के दौरान हिजाब पहनने से परहेज़ करने को कहा था. बाद में इसमें संशोधन करते हुए स्कूल ने बताया कि उसने नक़ाब पहनने से मना किया है क्योंकि यह विशेष तौर पर सक्षम बच्चों का स्कूल है और बच्चों को भावभंगिमा के ज़रिये पढ़ाया जाता है.
बारामूला ज़िले के पट्टन इलाके में संदिग्ध आतंकियों ने शुक्रवार को एक सरपंच की गोली मारकर हत्या कर दी. यह हत्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जम्मू दौरे से लगभग दो हफ्ते पहले हुई है. इस दौरे पर मोदी पंचायती राज संस्थानों के सदस्यों को संबोधित कर सकते हैं.
कश्मीर घाटी के बांदीपोरा क़स्बे के रहने वाले पत्रकार साजिद रैना ने साल 2006 में एक नाव हादसे में मारे गए 22 बच्चों की तस्वीर अपने वॉट्सऐप पर लगाते हुए उन्हें ‘वुलर झील के शहीद’ कहा था, जिसे लेकर उनके ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है.
2010 के माछिल फर्ज़ी मुठभेड़ मामले में दोषी पाए गए पांच जवानों की आजीवन कारावास की सज़ा पर रोक लगाते हुए सैन्य बल न्यायाधिकरण ने उन्हें ज़मानत दे दी है.