वर्धा के महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में ‘गो-बारस’ के मौक़े पर पूजा के आयोजन में कर्मचारियों को सपरिवार उपस्थित रहने को कहा गया. आए दिन ऐसे आयोजन कई विश्वविद्यालयों के कैलेंडर का हिस्सा बनते जा रहे हैं और ऐसा करते हुए विश्वविद्यालय अपनी अवधारणा, सिद्धांत और कर्तव्य से बहुत दूर हो रहे हैं.
नालंदा ज़िले के बेन ब्लॉक की कांट पंचायत के माड़ी गांव में क़रीब 200 साल पुरानी मस्जिद की देखरेख बीते कई बरसों से इस गांव की हिंदू आबादी के ज़िम्मे है. देश के धार्मिक दबंगई के माहौल में एक दूसरे की आस्था और विश्वास को बनाए रखने वाले इन ग्रामीणों में सूफ़ी और भक्ति परंपराओं की दुर्लभ तस्वीर नज़र आती है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में केंद्रीय विद्यालयों में होने वाली प्रार्थनाओं पर हिंदू धर्म से जुड़े होने का आरोप लगाते हुए कहा गया है कि बच्चों की आस्था और विश्वास का ख़्याल किए बिना इन्हें थोपा जा रहा है.
धर्म का एक अभिप्राय है अपने अंदर झांककर बेहतर इंसान बनने की कोशिश करना और दूसरा स्वरूप आस्था के बाज़ारीकरण और व्यवसायीकरण में दिखता है. आस्था के इसी स्वरूप की विकृति कांवड़िया उत्पात को समझने में मदद करती है.
उमा भारती ने मध्य प्रदेश में अपने मुख्यमंत्रीकाल में विधानसभा के अंदर आसाराम के प्रवचन कराए थे तो पूरे मंत्रिमंडल के साथ सत्ता पक्ष के सारे विधायकों के लिए उसे सुनना अनिवार्य कर दिया था.