ताजा घटनाक्रम के बाद तेलंगाना की 40 सदस्यीय विधान परिषद में कांग्रेसी सदस्यों की संंख्या बढ़कर 12 हो गई है, जबकि भारत राष्ट्र समिति अब 21 पर सिमट गई है. इससे पहले, बीते कुछ माह में बीआरएस के छह विधायक भी कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं.
चुनावी बॉन्ड को लेकर सामने आई एक रिपोर्ट बताती है कि कम से कम 20 ऐसी नई कंपनियों ने बॉन्ड के माध्यम से लगभग 103 करोड़ रुपये का चंदा दिया है, जिनका अस्तित्व तीन साल से भी कम समय का रहा है. क़ानूनन इस तरह की कंपनियां राजनीतिक चंदा नहीं दे सकतीं.
चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले शीर्ष पांच समूहों/कंपनियों में से तीन ने सबसे अधिक चंदा भारतीय जनता पार्टी को दिया, जबकि दो ने अपने चंदे का सबसे बड़ा हिस्सा तृणमूल कांग्रेस को दिया.
बीआरएस को चंदा देने वालों में एक दिलचस्प नाम किटेक्स गारमेंट्स का सामने आया है, जिसने केरल में ट्वेंटी-ट्वेंटी नाम से एक राजनीतिक पार्टी बनाई थी और साल 2022 में अरविंद केजरीवाल ने इसके साथ गठबंधन का ऐलान भी किया था.
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निर्वाचन आयोग के अनुसार, शाम साढ़े सात बजे तक कांग्रेस को स्पष्ट बढ़त मिल चुकी है. आंकड़ों के अनुसार, कांग्रेस 56 सीटें जीत चुकी है और 08 पर आगे बनी हुई है. भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) 32 सीटें जीत चुकी है और 07 सीटों पर आगे चल रही है.
सिविल ठेकेदार आर. अंबिकापति पिछली भाजपा सरकार पर सिविल ठेकेदारों से 40 प्रतिशत कमीशन वसूलने का आरोप लगाने में मुखर रहे थे. भाजपा के साथ-साथ पड़ोसी राज्य तेलंगाना में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति ने आरोप लगाया है कि जब्त की गई नकदी तेलंगाना में कांग्रेस के चुनाव अभियान को वित्तपोषित करने के लिए थी.