ग्राउंड रिपोर्ट: बिहार की नीतीश कुमार सरकार पटना के गर्दनीबाग में 268 एकड़ ज़मीन पर मंत्रियों, जजों और सरकारी अफ़सरों के लिए एक हज़ार से ज़्यादा आवास बनाने जा रही है.
देश में बलात्कार से संबंधित राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ सोशल मीडिया पर पीड़िताओं की धुंधली या संपादित तस्वीरें प्रकाशित न करने का निर्देश दिया.
शीर्ष अदालत ने कहा कि मीडिया द्वारा पीड़िताओं का साक्षात्कार लेकर उन्हें बार-बार अपने अपमान को दोहराने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता. साथ ही, अदालत ने मामले में केंद्र और बिहार सरकार से जवाब मांगा है.
बिहार की नीतीश कुमार सरकार इस मामले में चुप रही. वहीं बिहार का मीडिया और मुज़फ़्फ़रपुर का नागरिक समाज भी 29 बच्चियों के साथ हुए बलात्कार के इस मामले को लेकर चुप्पी साधे हुए है.
बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में केंद्र सरकार को पत्र लिखा है.
ग्राउंड रिपोर्ट: पिछले साल 10 अप्रैल को बिहार के पूर्वी चंपारन जिला मुख्यालय मोतिहारी में बंद पड़ी चीनी मिल के दो मजदूरों ने सैलरी और किसानों के बकाया भुगतान के मुद्दे पर आत्मदाह कर लिया था.
नीतीश कुमार पद्मावती के रिलीज़ में उलझे हैं, लेकिन नाबालिग दलित लड़की के सामूहिक बलात्कार और तीन लोगों की हत्या पर सरकार ख़ामोश है.
शिक्षकों ने सुबह-शाम इलाक़े का चक्कर लगाकर खुले में शौच कर रहे लोगों को समझाने और न मानने वालों की तस्वीर खींचने के आदेश को अपमानजनक बताया है.
शिवानंद तिवारी ने कहा, नीतीश सरकार घोटालों का रिकॉर्ड बना रही है. धान ख़रीद घोटाला, गर्भाशय घोटाला, मेधा घोटाला, दलित छात्रवृत्ति घोटाला, सृजन घोटाला और अब महादलित मिशन घोटाला.
जदयू ने लालू की 'भाजपा भगाओ देश बचाओ' रैली में शामिल होने को लेकर दी शरद यादव को हिदायत.
बिहार की राजधानी पटना में एक प्रेस वार्ता के दौरान 2019 में मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनने के सवाल पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ये बात कही.
उच्च न्यायालय ने कहा कि विधानसभा में शक्ति परीक्षण के बाद मामले में अदालत के हस्तक्षेप करने की ज़रूरत नहीं.
कांग्रेस, राजद, बसपा, तृणमूल और सपा जैसे दलों को भ्रष्टाचार के घेरे में लेकर यह सिद्ध किया जा रहा है कि उनकी सारी धर्मनिरपेक्षता भ्रष्टाचार को ढंकने का एक आवरण है.
नेताओं द्वारा बिहार की जनता के साथ ठगी का सिलसिला जारी है.
नीतीश ने विपक्ष का राष्ट्रीय नेता होने के कठिन रास्ते पर चलने के बजाय मौकापरस्त ढंग से मुख्यमंत्री बन ख़ुद को इतिहास के कूड़ेदान में जाने के लिए अभिशप्त बना लिया.