बिहार में कथित तौर पर ज़हरीली शराब पीने से सीवान में 28 और सारण में सात लोगों की मौत हुई है. विपक्षी नेताओं ने ऐसी मौतों के बढ़ते मामलों को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि शराबबंदी नीतीश कुमार के संस्थागत भ्रष्टाचार का एक छोटा-सा नमूना है.
बिहार के सीतामढ़ी ज़िले के बाजपट्टी पुलिस थाना क्षेत्र का मामला. अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने ज़हरीली शराब के अवैध कारोबार में शामिल होने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ़्तार किया है. साल 2016 में नीतीश कुमार सरकार द्वारा बिहार में शराब की बिक्री और खपत पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था.
मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले का मामला. सभी प्रभावित लोगों ने शुक्रवार और शनिवार को देसी शराब का सेवन किया था. शराब पीने के कुछ ही घंटों बाद उन्हें जी मिचलाने, पेट दर्द, चक्कर आने, सांस लेने में तकलीफ़ और दृष्टि कम होने की शिकायत होने लगी. इनमें से दो ने रविवार सुबह दम तोड़ दिया.
बिहार: शराबबंदी के 7 साल में ज़हरीली शराब से आधिकारिक तौर पर 199 लोगों की मौत, कोई भी दोषसिद्धि नहीं
बिहार पुलिस की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2016 से ज़हरीली शराब के संबंध में 30 मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन किसी भी व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जा सका है. हाल ही में मोतीहारी ज़िले में जहरीली शराब पीने से 26 लोगों की मौत हुई है. ये आंकड़ा अभी पुलिस रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया है.
बिहार के मोतीहारी ज़िले में शुक्रवार और शनिवार की दरमियानी रात कथित तौर पर ज़हरीली शराब पीने से 14 लोगों की मौत हो गई थी. रविवार को आठ लोगों की मौत को मिलाकर अब तक आंकड़ा 26 हो गया है. घटना के बाद 11 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया. अब तक इस सिलसिले में 25 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
बिहार के सीवान ज़िले का मामला. अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षाकर्मियों की एक टीम को इलाके में तैनात कर दिया गया है. संबंधित थाने में केस दर्ज कर मामले की जांच की जा रही है. अब तक कुल 16 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
एक मीडिया रिपोर्ट बताती है कि बिहार में वर्ष 2016 में लागू हुई शराबबंदी के बाद से पांच सालों में राज्य में कम से कम 20 ज़हरीली शराब की घटनाएं सामने आईं, जिनमें 200 से अधिक मौतें हुईं. अकेले 2021 में ही 9 घटनाएं हुईं और 106 लोगों की मौत हुई. इसके विपरीत, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो पांच सालों में केवल 23 मौतें दिखाता है.
अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि कथित तौर पर ज़हरीली शराब पीने से छपरा से सटे सिवान ज़िले में छह लोगों की मौत हो गई, जबकि बेगूसराय में दो अन्य लोगों की मौत हो गई. बीते दिनों ज़हरीली शराब पीने से छपरा में कम से कम 39 लोगों की मौत हो गई थी.
बिहार के एक संगठन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें एसआईटी द्वारा ज़हरीली शराब त्रासदी की स्वतंत्र जांच के साथ ही राज्य सरकार को पीड़ित परिवारों को पर्याप्त मुआवज़ा देने का निर्देश देने की भी मांग की गई है. बिहार के छपरा ज़िले में हुई शराब त्रासदी के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुआवज़ा देने से इनकार कर दिया है.
बिहार के छपरा ज़िले ज़हरीली शराब पीने की वजह से बीते कुछ दिनों में कम से कम 39 लोगों की मौत हो गई है. इस घटना के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान को लेकर विभिन्न नेताओं ने उन पर निशाना साधा है. उनका कहना है कि बिहार में शराब का अवैध कारोबार एक ‘समानांतर अर्थव्यवस्था’ बन गया है.
बिहार के छपरा ज़िले का मामला. बीते अगस्त महीने में भी इस ज़िले में कथित ज़हरीली शराब पीने से कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई थी. नीतीश कुमार नीत सरकार ने अप्रैल, 2016 से बिहार में शराब उत्पादन, खरीद, बिक्री, सेवन आदि पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था.
बीते चार जुलाई को बिहार के छपरा ज़िले में ही कथित ज़हरीली शराब पीने से 13 लोगों की मौत हो गई थी और कुछ लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी. बिहार सरकार ने अप्रैल 2016 में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन पिछले साल नवंबर के बाद से राज्य में ज़हरीली शराब से जुड़ी कई घटनाएं हुईं, जिनमें 60 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
बिहार के छपरा ज़िले का मामला. कथित ज़हरीली शराब पीने वाले कुछ लोगों की आंखों की रोशनी भी चली गई है. पुलिस ने बताया कि पांच लोगों को कथित रूप से अवैध शराब बनाने और उसकी बिक्री में शामिल होने को लेकर गिरफ़्तार किया गया है, जबकि संबंधित थाने के एसएचओ और स्थानीय चौकीदार को निलंबित किया गया है. राज्य में अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है.
औरंगाबाद पुलिस ने बताया कि सभी मौतें ज़िले के मदनपुर ब्लॉक से हुई हैं. 23 मई को तीन लोगों की मौत हुई थी, जबकि एक दिन पहले 22 मई दो लोगों की मौत हुई थी. बिहार में अप्रैल 2016 में नीतीश कुमार सरकार द्वारा शराब की बिक्री और खपत पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था. हालांकि राज्य में अक्सर कथित तौर पर शराब से मौत के मामले सामने आते रहते हैं.
बिहार विधान परिषद में राज्य के सख़्त शराब निषेध क़ानून में संशोधन के लिए चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि शराब पीने वालों को कोई कानूनी राहत नहीं मिलेगी. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नकली शराब पीने से मरने वालों के परिवारों को कोई राहत नहीं मिलेगी.