नीतीश के ‘जो पिएगा, वो मरेगा’ बयान की आलोचना, विभिन्न नेताओं ने शर्मनाक और असंवेदनशील क़रार दिया

बिहार के छपरा ज़िले ज़हरीली शराब पीने की वजह से बीते कुछ दिनों में कम से कम 39 लोगों की मौत हो गई है. इस घटना के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान को लेकर विभिन्न नेताओं ने उन पर निशाना साधा है. उनका कहना है कि बिहार में शराब का अवैध कारोबार एक ‘समानांतर अर्थव्यवस्था’ बन गया है.

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Patna: Bihar Chief Minister Nitish Kumar arrives for Winter Session of State Assembly amid a protest by Opposition legislators over the recent hooch tragedy in Saran district, in Patna, Thursday, Dec. 15, 2022.

बिहार के छपरा ज़िले ज़हरीली शराब पीने की वजह से बीते कुछ दिनों में कम से कम 39 लोगों की मौत हो गई है. इस घटना के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बयान को लेकर विभिन्न नेताओं ने उन पर निशाना साधा है. उनका कहना है कि बिहार में शराब का अवैध कारोबार एक ‘समानांतर अर्थव्यवस्था’ बन गया है.

बिहार के छपरा जिले में हुई जहरीली शराब त्रासदी के बाद बृहस्पतिवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विधानसभा पहुंचने पर विपक्षी विधायकों ने नारेबाजी की. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली/छपरा/पटना: बिहार के छपरा (सारण) जिले में जहरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या बढ़कर 39 होने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बृहस्पतिवार को कहा था कि अगर लोग जहरीली शराब पिएंगे तो उनकी जान जा सकती है.

उनके इस बयान की विपक्ष समेत विभिन्न नेताओं ने आलोचना करते हुए इसे शर्मनाक करार दिया है.

नीतीश कुमार ने कड़े शब्दों में कहा था, ‘जो पिएगा, वो मरेगा.’ उन्होंने कहा था कि शराबबंदी ‘मेरी व्यक्तिगत इच्छा से नहीं बल्कि राज्य की महिलाओं की पुकार पर लागू की गई थी.’

उन्होंने कहा था, ‘शराबबंदी से कई लोगों को फायदा हुआ है. बड़ी संख्या में लोगों ने शराब छोड़ दी है. यह अच्छी बात है. कई लोगों ने इसे सहर्ष स्वीकार किया है, लेकिन कुछ परेशानी खड़ी करने वाले भी हैं. मैंने अधिकारियों से कहा है कि वास्तविक गड़बड़ी करने वालों की पहचान करें और उन्हें पकड़ें.’

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नीतीश कुमार नीत सरकार ने अप्रैल, 2016 से बिहार में शराब उत्पादन, खरीद, बिक्री, सेवन आदि पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. राज्य में शराबबंदी पर अमल को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं. राज्य में कथित तौर पर जहरीली शराब से लोगों की मौत की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं.​

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने बृहस्पतिवार को कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राज्य पर से पकड़ कमजोर होती जा रही है.

प्रसाद ने कहा, ‘नीतीश कुमार प्रशासन पर से पकड़ खो रहे हैं. वह गैर-जिम्मेदाराना और शर्मनाक बयान दे रहे हैं. नीतीश जी आप राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा पाल रहे हैं, लेकिन कृपया पहले बिहार का ख्याल रखें. बिहार आपके हाथों से फिसल रहा है.’

भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि देश में करोड़ों लोग शराब पीते हैं, क्या उन सभी को मर जाना चाहिए.

सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश ने पहले भी टिप्पणी की थी कि जो लोग शराब पीते हैं वे ‘महापापी’ हैं और वे भारतीय नहीं हो सकते.

उन्होंने कहा कि बिहार में जहां शराबबंदी है, वहां जहरीली शराब के सेवन से लोगों की मौत हो रही है, ऐसे में मुख्यमंत्री द्वारा इस तरह की टिप्पणी करना अनुचित है.

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने मुख्यमंत्री की टिप्पणी का उल्लेख करते हुए उन पर निशाना साधा और कहा कि अगर लोग उन्हें वोट देते हैं, तो वे मरेंगे, क्योंकि यह उनके सामने उदाहरण है.

सुशील मोदी ने कहा कि बिहार में शराब का अवैध कारोबार एक ‘समानांतर अर्थव्यवस्था’ बन गया है और आरोप लगाया कि राज्य में शराबबंदी लागू करने वालों की जेब में करोड़ों रुपये जा रहे हैं.

हालांकि, सुशील मोदी ने कहा कि भाजपा शराबबंदी का समर्थन करती है और नीति पर पुनर्विचार की उसके नेताओं की मांग इसके कार्यान्वयन में दिक्कतों को दूर करने से संबंधित है.

उन्होंने आरोप लगाया कि शराब घर पहुंचाने के लिए बच्चों का इस्तेमाल किया जा रहा है और नशीले पदार्थों का दुरुपयोग बढ़ रहा है, क्योंकि नीति पूरी तरह से विफल रही है.

उन्होंने कहा, ‘नीतीश कुमार ने शराबबंदी लागू की, इसलिए यह सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है कि यह सफल हो. पूरी सरकारी मशीनरी इस एक मुद्दे पर काम कर रही है और फिर भी वह नहीं कर पा रही है.’

उन्होंने कहा, ‘हम (भाजपा) इसे खत्म करने के पक्ष में नहीं हैं.’

कुछ भाजपा नेताओं ने जहरीली शराब मामले में मरने वालों की संख्या 50 से अधिक बताई है. उनका कहना है कि कई शोक संतप्त परिवार उत्पीड़न के डर से अधिकारियों को सूचित करने से बच रहे हैं.

सुशील मोदी कहा कि चार लाख से अधिक लोगों को शराबबंदी का उल्लंघन करने के आरोप में जेल में डाल दिया गया है, औसतन 1,500 लोग प्रतिदिन गिरफ्तार किए जा रहे हैं. उन्होंने सवाल किया कि यह नीति की सफलता या विफलता को दर्शाता है.

भाजपा आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आलोचना करते हुए कहा कि केवल एक ‘असंवेदनशील’ नेता ही इस तरह का बयान दे सकता है.

उन्होंने दावा किया, ‘अब तक 39 लोगों की मौत हो चुकी है. कुछ परिवार इतने गरीब हैं कि वे दाह संस्कार के लिए चंदा मांग रहे हैं. लेकिन अहंकारी नीतीश शराबबंदी की सफलता को लेकर चिंतित हैं.’

नई दिल्ली में भाजपा के लोकसभा सांसदों ने जहरीली शराब त्रासदी से हुई मौतों को ‘सामूहिक हत्या’ करार दिया और केंद्र से बिहार सरकार के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया.

इस बीच माकपा के विधायक सत्येंद्र यादव ने छह साल से अधिक समय से लागू कड़े शराबबंदी कानून को ‘बेतुका’ करार दिया. यादव की पार्टी माकपा ‘महागठबंधन’ सरकार का बाहर से समर्थन करती है. यादव का मांझी विधानसभा क्षेत्र छपरा के उन इलाकों के करीब है, जहां जहरीली शराब कांड हुआ था.

राज्य विधानसभा के बाहर उन्होंने कहा, ‘शराब से दूर रहने में नैतिक सदगुण हो सकता है लेकिन इसे किसी भी कानून द्वारा लागू नहीं किया जा सकता. यह कानून बेतुका है. यह सही समय है जब लोग इसे समझें.’

बिहार में शराब पर से प्रतिबंध हटाया जाए: राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी

भाजपा नेताओं के अलावा केंद्रीय मंत्री पशुपति नाथ पारस नीत राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी ने बिहार में शराब पर लगे पूर्ण प्रतिबंध को समाप्त करने की मांग करते हुए दावा किया कि यह नीति नाकाम रही है और जहरीली शराब की आपूर्ति के चलते बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई है.

पारस की पार्टी बिहार और केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी है.

पार्टी ने आरोप लगाया कि बिहार के छपरा जिले में जहरीली शराब पीने से 40 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है और केन्द्रीय मंत्री के नेतृत्व में पार्टी सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल राज्य में जहरीली शराब पीने से होने वाली मौतों और ‘बिगड़ती’ कानूनी-व्यवस्था को लेकर राज्यपाल फागू चौहान से मुलाकात करेगा.

राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने कहा कि राज्य के चार सांसदों समेत पार्टी के सदस्य सारण में हुई त्रासदी को लेकर 17 दिसंबर को पटना में विरोध प्रदर्शन करेंगे.

उन्होंने कहा, ‘प्रतिबंध खत्म किया जाना चाहिए.’

गौरतलब है कि अप्रैल 2016 में नीतीश कुमार सरकार ने बिहार में शराब की बिक्री और सेवन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था.

पार्टी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर ‘शर्मनाक’ बयान देने का आरोप लगाया. पार्टी ने कहा कि मुख्यमंत्री त्रासदी में अपने सदस्यों को खोने वालों के पास जाने के बजाय इस तरह के ‘असंवेदनशील’ बयान दे रहे हैं.

विधानसभा में ‘महागठबंधन’ सरकार और विपक्षी दल भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप

इस घटना को लेकर लगातार दूसरे दिन भी राज्य विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीत ‘महागठबंधन’ सरकार और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला.

विपक्षी दल ने सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले परिसर में विरोध प्रदर्शन किया और शराबबंदी कानून के प्रावधानों की ‘समीक्षा’ किए जाने और पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की मांग की.

चुनावी रणनीतिकार एवं कार्यकर्ता प्रशांत किशोर ने इस कानून को वापस लेने का अनुरोध किया है.

शिवहर जिले में उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘प्रतिबंध के कारण बिहार खिल्ली उड़ाए जाने का विषय बन गया है. कानून को किसी समीक्षा की जरूरत नहीं है, उसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए. समय आ गया है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उनके साथ चार साल सत्ता में रही भाजपा और उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की राजद (राष्ट्रीय जनता दल) सहित सभी राजनीतिक दल पाखंड छोड़ें और वोट की चिंता किए बिना फैसला करें.’

गौरतलब है कि नीतीश कुमार नीत सरकार ने अप्रैल 2016 से बिहार में शराब के उत्पादन, खरीद, बिक्री, सेवन आदि पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था.

नीतीश कुमार के बृहस्पतिवार को विधानसभा पहुंचने पर भाजपा के विधायकों ने नारेबाजी की. विधायकों ने बाद में सदन की कार्यवाही भी बाधित करने की कोशिश की. वे हाथ में पोस्टर लिए लगातार नारेबाजी करते दिखे.

विधानसभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने मार्शल से उनके हाथों से पोस्टर व तख्तियां लेने को कहा और भाजपा विधायकों की लगातार नारेबाजी के बीच कार्यवाही आगे बढ़ाई.

इसके बाद अध्यक्ष पर ‘सत्तारूढ़ दल का पक्ष लेने’ का आरोप लगाते हुए भाजपा ने सदन से बहिर्गमन किया.

डेक्कन हेराल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, सीपीआई (एमएल) लिबरेशन, जो बिहार की महागठबंधन सरकार का समर्थन करती है, ने कार्यवाही शुरू होने से पहले विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया. पार्टी ने शराबबंदी कानून के कठोर प्रावधानों की समीक्षा और शोक संतप्त परिवार के सदस्यों को मुआवजा देने की मांग की.

पार्टी के विधायक संदीप सौरभ ने कहा, ‘बेहतरीन मंशा के बावजूद शराबबंदी कानून के अवांछित परिणाम हुए हैं. सबसे ज्यादा मार गरीबों पर पड़ी है. शराब के सेवन को एक अपराध बना दिया गया है. यही वजह है कि जहरीली शराब पीड़ितों के परिवार के सदस्य को कोई मुआवजा नहीं मिलता. इसे बदलना होगा. कानून की समीक्षा होनी चाहिए.’

जहरीली शराब मामले की जांच को एसआईटी का गठन

बिहार के छपरा जिले में जहरीली शराब मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है. जिला मुख्यालय छपरा में बृहस्पतिवार को एक पत्रकार वार्ता के दौरान जिलाधिकारी राजेश मीणा ने कहा कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है.

उन्होंने कहा, ‘हमने पिछले 48 घंटे में जिले भर में सघन छापेमारी की है और 126 व्यक्तियों को पकड़ा है. चार हजार लीटर से अधिक अवैध शराब जब्त भी की गई है.’

संवाददाता सम्मेलन में मौजूद पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार ने यह बताने से इनकार कर दिया कि गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों में क्या वे लोग शामिल हैं, जो ताजा जहरीली शराब के मामले में सीधे तौर पर शामिल हैं.

उन्होंने कहा, ‘मामले की जांच अभी भी चल रही है और इस स्तर पर ज्यादा खुलासा करने से मामले की जांच में बाधा आ सकती है.’

उन्होंने कहा, ‘कुछ दोष संबंधित अधिकारियों पर भी है और इसलिए मशरक पुलिस थाने के प्रभारी और स्थानीय चौकीदार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है.’

उन्होंने कहा कि मढ़ौरा के अनुविभागीय पुलिस अधिकारी के स्थानांतरण की सिफारिश प्राधिकारियों से की गई है और उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया गया है.

जिलाधिकारी ने कहा, ‘त्वरित जांच के लिए एक अतिरिक्त एसपी की अध्यक्षता में 31 पुलिस अधिकारियों और तीन डिप्टी एसपी वाली एक एसआईटी भी गठित की गई है.’

जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने लोगों से अपील की कि वे बिना किसी प्रतिशोध के डर के किसी भी प्रासंगिक जानकारी के साथ आगे आएं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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