यह लेखक के लिए हताश करने वाला समय है, मुश्किल समय है. सच लिखना शायद इतना जोखिम भरा कभी नहीं था जितना अब है. सच को पहचानना भी लगातार मुश्किल होता गया है.
कर्नाटक के बल्लारी ज़िला अस्पताल में एक 25 वर्षीय महिला की मौत हो गई, जिनकी बीते दिनों सीजेरियन डिलीवरी हुई थी. 9 नवंबर के बाद से अस्पताल में यह हुआ यह ऐसा पांचवां मामला है. परिजनों का आरोप है कि मौत प्रतिबंधित ग्लूकोज घोल देने और लापरवाही के कारण हुई है.
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और संबित पात्रा ने आरोप लगाया है कि जॉर्ज सोरोस, खोजी पत्रकारों का अंतरराष्ट्रीय संगठन ओसीसीआरपी और राहुल गांधी एक साथ मिलकर देश की संसद न चलने देने और मोदी सरकार को गिराने की साज़िश रच रहे हैं.
राज्यसभा में केंद्र ने बताया है कि जुलाई, 2024 में छत्तीसगढ़ सरकार से मिली जानकारी के अनुसार, परसा ईस्ट केते बासन खदान में अब तक 94,460 पेड़ काटे गए हैं और आने वाले वर्षों में खनन गतिविधियों के लिए इस जंगल में 2,73,757 पेड़ काटे जाने हैं.
अयोध्या की सभा असत्य और अधर्म की नींव पर निर्मित हुई है, क्योंकि जिसे इसके दरबारीगण सत्य की विजय कहते हैं, वह दरअसल छल और बल से उपजी है. अदालत के निर्णय का हवाला देते हुए ये दरबारी भूल जाते हैं कि इसी अदालत ने छह दिसंबर के अयोध्या-कांड को अपराध क़रार दिया था.
इस समय संविधान की सबसे बड़ी सेवा सत्ताधीशों के स्वार्थी मंसूबों की पूर्ति के उपकरण बनने से इनकार करना है. समझना है कि संविधान के मूल्यों को बचाने की लड़ाई सिर्फ न्यायालयों में या उनकी शक्ति से नहीं लड़ी जाती. नागरिकों के विवेक और उसकी शक्ति से भी लड़ी जाती है.
यूपी सरकार ने रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाले एक न्यायिक आयोग को संभल हिंसा की जांच का ज़िम्मा सौंपा है. विपक्षी दल के नेता इस जांच की अचानक घोषणा के सरकार के फैसले को संदेह की नज़र से देख रहे हैं, वहीं आयोग की शर्तें और संदर्भ भी कई सवाल उठाते हैं.
हर बार चुनावों से पहले मीडिया के मैनेजमेंट से छनकर बढ़ती ग़रीबी, ग़ैर-बराबरी, बेरोज़गारी व महंगाई वगैरह के कारण सरकारों के प्रति आक्रोश व असंतोष की जो बातें सामने आ जाती हैं, क्या वे सही नहीं हैं? मतदाताओं की सरकारों से इस 'संतुष्टि' को कैसे देखा जाए?
राज्य के दर्जे और अन्य संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांगों के संबंध में भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के साथ बातचीत से पहले लद्दाख के निर्वाचित प्रतिनिधि दो स्वायत्त हिल काउंसिल के बजट में भारी कटौती को लेकर नाराज़ हैं. उनके बजट (विकास निधि) में 110 करोड़ रुपये की कटौती की गई है.
शिवपुरी ज़िले का मामला. बताया गया है कि 26 नवंबर को इंदरगढ़ गांव के सरपंच और उनके परिवार ने दलित समुदाय के 30 वर्षीय व्यक्ति की कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या कर दी. पुलिस ने कहा कि आरोपियों और मृतक के परिवारों के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद के चलते यह हत्या की गई.
ओडिशा के विधानसभा में प्रदर्शित संविधान के प्रस्तावना में 'धर्मनिरपेक्ष' और 'समाजवादी' शब्द शामिल नहीं हैं. विपक्षी बीजू जनता दल और कांग्रेस के विधायकों ने मंगलवार इस मुद्दे पर विधानसभा की कार्यवाही बाधित की और इसे 'संविधान का अपमान' बताया.
वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक 2024 पर बनी संयुक्त संसदीय में शामिल विपक्षी दल के सदस्यों का कहना है कि कई राज्य सरकारों और विभिन्न हितधारकों ने अभी अपने विचार समिति के समक्ष नहीं रखे हैं, इसलिए और समय दिया जाना चाहिए. समिति को शीतकालीन सत्र में ही अपनी रिपोर्ट सौंपनी है.
38 सीटों में से जहां दोनों पक्ष सीधे एक-दूसरे से मुकाबला कर रहे थे, अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी अधिकांश सीटों पर जीत दर्ज की है. इस तरह अजित पवार ने साबित कर दिया है कि एनसीपी अब उनके नाम से जानी जाएगी.
महाराष्ट्र के राजनीतिक इतिहास में यह कांग्रेस का सबसे ख़राब प्रदर्शन है, जबकि भाजपा अकेले अपने दम पर बहुमत के करीब पहुँच गयी है.
झारखंड विधानसभा चुनाव के इतिहास में आज तक कोई भी पार्टी दुबारा सरकार बनाने में कामयाब नहीं हो सकी थी, सत्ता विरोधी लहर हमेशा ही बिहार से अलग हुए इस राज्य के चुनाव परिणाम पर हावी रहा, लेकिन अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित 28 विधानसभा सीटों में से 27 जीत कर हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले ‘इंडिया’ गठबंधन ने इतिहास रच दिया है.