जम्मू-कश्मीर की पांच लोकसभा सीटों में से दो सीटों पर भाजपा, दो पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और एक पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है. वहीं, चुनावी मैदान में उतरे 100 उम्मीदवारों में से 89 की ज़मानत ज़ब्त हुई है.
जहां भाजपा सपा (और कांग्रेस) द्वारा उत्तर प्रदेश में उसे दी गई गहरी चोट को ठीक से सहला तक नहीं पा रही, उसके शुभचिंतक बुद्धिजीवी और विश्लेषक ‘मुद्दई सुस्त, गवाह चुस्त’ की तर्ज पर इस चोट को साधारण क़रार देने के लिए एक के बाद एक कुतर्क गढ़ रहे हैं.
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का आरोप है कि नरेंद्र मोदी, अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टीवी साक्षात्कारों में लोगों को लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने से पहले शेयर खरीदने की सलाह दी थी, जिसके चलते खुदरा निवेशकों ने 30 लाख करोड़ रुपये गंवाए हैं.
भाजपा को पश्चिमी यूपी में राष्ट्रीय लोक दल और पूर्वांचल में निषाद पार्टी, अपना दल (सोनेलाल) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का साथ मिला था. इनके कुल छह उम्मीदवारों में से तीन को हार का सामना करना पड़ा.
लोकसभा में बहुमत से बहुत दूर रही भाजपा के लिए तेलुगू देशम पार्टी का साथ महत्वपूर्ण है. एन. चंद्रबाबू नायडू भाजपा के साथ बातचीत के लिए पूरी तरह तैयार बताए जा रहे हैं और उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष पद के साथ वित्त, कृषि जैसे विभिन्न मंत्रालयों की भी मांग की है.
इस बार 797 महिला उम्मीदवार चुनावी मैदान में थीं, जिसमें से 75 ने जीत हासिल है. जहां केरल,गोवा समेत 8 राज्यों में एक भी महिला प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत सकी, वहीं पश्चिम बंगाल में सर्वाधिक दस सीटों पर महिला उम्मीदवार जीती हैं.
इंदौर लोकसभा सीट पर भाजपा के शंकर लालवानी ने कुल 12,26,751 वोटों के साथ चुनाव जीता, वही 2,18,674 नोटा वोट दर्ज किए गए. कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बाम द्वारा नामांकन वापस लेकर भाजपा में शामिल होने के बाद यहां से कोई प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार मैदान में नहीं था.
इस बार के लोकसभा चुनाव में सिनेमा, टीवी और खेल से जुड़ी कई बड़ी हस्तियों ने बतौर उम्मीदवार हिस्सा लिया था. कुछ सितारे पहली बार राजनीति में उतरे थे, तो वहीं कई ऐसे भी हैं जिन्होंने दूसरी या तीसरी बार चुनाव में अपना भाग्य आज़माया था.
भाजपा को पूर्ण बहुमत न मिलना इस बात का संकेत है कि उसकी घृणा की राजनीति का वर्चस्व भारत में काफी कठिन है.
एक्जिट पोल में एक तात्कालिकता होती है, मसलन आपने किसे वोट दिया? क्यों वोट दिया? आप किस बिरादरी के हैं? यह सवाल धीमी गति से हो रहे परिवर्तनों को नहीं देख पाते हैं. उत्तर प्रदेश में हो रहे परिवर्तन ने प्रधानमंत्री मोदी के ‘400 पार’ के नारे की हवा निकाल दी.
फ़ैज़ाबाद लोकसभा सीट के मतदाताओं ने साफ कह दिया कि प्रधानमंत्री की पार्टी उनकी सरकारों द्वारा ‘भव्य’ और ‘दिव्य’ क़रार दी गई अयोध्या का प्रतिनिधित्व करने लायक नहीं बची है.
चूंकि मोदी ने यह चुनाव सिर्फ़ अपने नाम पर लड़ा था, सिर्फ़ अपने लिए वोट मांगे थे, भाजपा के घोषणापत्र का नाम भी ‘मोदी की गारंटी’ था- यह हार भी सिर्फ़ मोदी की है. उनके पास अगली सरकार के मुखिया होने का कोई अधिकार नहीं बचा है.
राज्य की कुल 39 लोकसभा सीटों से द्रमुक ने 22 सीटों पर जीत दर्ज की है, वहीं कांग्रेस को नौ सीटें मिली हैं. 'इंडिया' गठबंधन की इसकी सहयोगी पार्टी वीसीके, भाकपा, माकपा को दो-दो सीटों पर और आईयूएमएल को एक सीट पर जीत हासिल हुई है.
ओडिशा विधानसभा में भाजपा ने 147 में से 78 सीटें जीत कर बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया है, वहीं सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजेडी) 51 सीटे मिली हैं. जबाकि कांग्रेस ने 14 सीटे हासिल की हैं. नतीज़ों से साफ है कि ये पहला मौका होगा, जब ओडिशा में भाजपा सरकार बनाने में कामयाब हो पाएगी.
लल्लू सिंह और ज्योति मिर्धा जैसे नेता, जो संविधान बदलने की मांग करते थे, वे अपनी-अपनी सीटों से हार गए हैं.