इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में मणिपुर, असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा और मेघालय के प्रमुख समाचार.
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने ये बयान देने के बाद माफी मांग ली.
छत्तीसगढ़ दौरे के दौरान भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस सिद्धांतों पर आधारित पार्टी नहीं है, यह केवल आज़ादी पाने का साधन मात्र थी और महात्मा गांधी कांग्रेस के उजाड़ भविष्य के बारे में जानते थे.
पांच हज़ार कार्यकर्ताओं के अलावा, पांच मंडल इकाइयां भी भंग हो गई हैं. इसके पहले दो बड़े नेता इसी मुद्दे पर पार्टी छोड़ चुके हैं.
भाजपा से इस्तीफा देने के बाद बाचू ने कहा, ‘मैं लोगों की भावनाओं को लेकर समझौता नहीं कर सकता. बीफ खाना हमारी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है. हमें भाजपा की गैरकानूनी विचारधारा स्वीकार नहीं है.’
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा का आरोप, सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों को बंद करने का प्रयास कर रही है केंद्र सरकार. अर्थव्यवस्था पर की श्वेत पत्र लाने की मांग.
'उत्पादन इकाइयां, कारखाने तेज़ी से बंद हो रहे हैं. अकेले महाराष्ट्र में 48 हज़ार फैक्टरियां बंद हुई हैं. अर्थव्यवस्था गहरे संकट से गुज़र रही है. रोज़गार के अवसर घट रहे हैं. कोई निवेश हो नहीं रहा है.'
न्यूज़ चैनल हर विषय पर दलीय प्रवक्ताओं की भीड़ क्यों इकट्ठा करना चाहते हैं? क्या वे राजनीतिक दलों, ख़ासकर सत्ताधारी दल को हर मुद्दे पर अपना फोरम मुहैया कर खुश रखने की कोशिश करते हैं?
संप्रग सरकार के समय राष्ट्रपति बने प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल इस साल 25 जुलाई को समाप्त होने वाला है.
नरेंद्र मोदी सरकार के पिछले तीन साल के राज में ऐसा बहुत कुछ हुआ जिसने मुसलमानों में असुरक्षा और भय की तीव्र भावना पैदा करने का काम किया.
प्रदेश के तूरा ज़िले के भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि सरकार बनी तो गोमांस पर प्रतिबंध नहीं लगेगा बल्कि दाम घटाया जाएगा.
पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में कहा गया कि नोटबंदी ने औद्योगिक गतिविधियों में मंदी ला दी है और आईटी क्षेत्र में इससे बड़े स्तर पर रोज़गार में कमी हुई.
साक्षात्कार: छह साल से मणिपुर की एक मां अपने बेटे को इंसाफ दिलाने के लिए भटक रही है. उनके बेटे की हत्या का आरोप राज्य के मुखिया एन. बीरेन सिंह के बेटे पर है.
इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, नगालैंड, सिक्किम, मेघालय, मिज़ोरम, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के प्रमुख समाचार.
2002 में केंद्र की अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने संविधान में संशोधन करके यह तय कर दिया कि 2026 तक के सभी राष्ट्रपति चुनाव 1971 की जनगणना के अनुसार ही होंगे.