वीडियो: जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान सत्यपाल मलिक ने आरोप लगाया था कि उनसे कहा गया था कि अगर वह अंबानी और आरएसएस से संबद्ध एक व्यक्ति की दो फाइलों को मंज़ूरी दें तो उन्हें रिश्वत के तौर पर 300 करोड़ रुपये मिलेंगे, लेकिन उन्होंने सौदों को रद्द कर दिया था. इस मामले में पूछताछ के लिए सीबीआई ने उन्हें समन जारी किया है.
वीडियो: जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को सीबीआई द्वारा पूछताछ के लिए नोटिस भेजे जाने के बाद बीते शनिवार को हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, पंजाब और उत्तर प्रदेश के सैकड़ों लोग उनके साथ एकजुटता दिखाने के लिए दिल्ली स्थित उनके घर के बाहर जमा हो गए थे. इस मामले को लेकर द वायर की टीम ने इन लोगों से बातचीत की.
सीबीआई ने सत्यपाल मलिक से केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में कथित बीमा घोटाले में पूछताछ के लिए सीबीआई ने एक समन जारी किया है. द वायर को दिए गए एक इंटरव्यू में राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर सवाल उठाने के हफ्तेभर बाद उन्हें यह समन भेजा गया है.
28 अप्रैल को सत्यपाल मलिक से रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के उस प्रस्ताव के बारे में पूछताछ की जाएगी, जिसे उन्होंने जम्मू कश्मीर के राज्यपाल के पद पर रहते हुए रद्द किया था. द वायर को दिए गए एक इंटरव्यू में राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर सवाल उठाने के हफ्तेभर बाद मलिक को यह समन मिला है.
'मुख्यधारा' का मीडिया जहां चुनिंदा मसलों पर चुप्पी का रास्ता अपना रहे हैं, वहीं सोशल मीडिया यह काम मुखरता से कर रहा है. जिन जटिल और महत्वपूर्ण मुद्दों को बड़े मीडिया संस्थान नज़रअंदाज़ कर देते हैं, वो अब मीम्स, वीडियो क्लिप्स की शक्ल में सरल और चुटीले स्वरूप में व्यापक दर्शकों तक पहुंच रहे हैं.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कट्टरता का पाठ पढ़ाने वाले अवैध मदरसों और संस्थानों की समीक्षा होगी. प्रदेश में किसी तरह का अतिवाद और कट्टरता बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने ऐसे संस्थानों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई के भी निर्देश दिए हैं.
गुजरात में अहमदाबाद के नरोदा गाम में 28 फरवरी 2002 को सांप्रदायिक दंगे के दौरान 11 लोगों की हत्या कर दी गई थी. इस मामले में 86 आरोपी बनाए गए थे, जिनमें गुजरात सरकार की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी भी शामिल थे. नरोदा गाम में नरसंहार उस साल के नौ बड़े सांप्रदायिक दंगा मामलों में से एक था.
वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलक़ीस बानो के सामूहिक बलात्कार और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को दी गई छूट पर मूल फाइलों को रिकॉर्ड पर रखने को लेकर अनिच्छा दिखाते हुए केंद्र और राज्य सरकार ने बीते मंगलवार को इस सूचना पर विशेषाधिकार का दावा किया है. कांग्रेस ने सवाल किया कि सरकार क्या छिपाने की कोशिश कर रही है.
द वायर को दिए एक साक्षात्कार में जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने वर्ष 2019 में हुए पुलवामा आतंकी हमले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर कई संगीन आरोप लगाए थे, जिनके बाद हमले में जान गंवाने वाले 40 सैनिकों में से कुछ के परिजन घटना की जांच की मांग कर रहे हैं.
बिलक़ीस बानो के बलात्कार के दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुनते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि समय से पहले दोषियों को रिहा करने से पहले अपराध की गंभीरता पर विचार किया जाना चाहिए.
कार्बी आंगलोंग ज़िला स्थित भाजपा कार्यालय में नए सदस्यों का स्वागत करते हुए कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि हमसे जुड़ने वाले सदस्य पार्टी को और मजबूत करने के लिए काम करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार जीत हासिल करें.
कांग्रेस ने केंद्र से 2019 के पुलवामा हमले को लेकर श्वेतपत्र की मांग करते हुए कहा कि 'वह बताए कि हमला कैसे हुआ, इंटेलिजेंस की क्या विफलताएं थीं, जवानों को ले जाने के लिए विमान क्यों नहीं दिया गया, सुरक्षा में क्या चूक हुईं और सीआरपीएफ, गृह मंत्रालय, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और पीएमओ की क्या भूमिका थी.'
पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा द वायर को दिए एक साक्षात्कार में 'पुलवामा हमले को सरकारी ग़लती का नतीजा' बताने वाले बयान का ज़िक्र करते हुए कहा कि वैसे तो देश में कई घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन इनकी सच्चाई सामने नहीं आई.
माकपा नेता वृंदा करात और केएम तिवारी द्वारा केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा के ख़िलाफ़ हेट स्पीच पर एफ़आईआर दर्ज करने के अनुरोध वाली याचिका निचली अदालत और दिल्ली हाईकोर्ट ख़ारिज कर चुके हैं. अब सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर दिल्ली पुलिस को नोटिस भेजा है.
सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाहों को क़ानूनी मान्यता देने वाली याचिकाओं के औचित्य पर सवाल उठाते हुए केंद्र ने कहा है कि ‘विवाह’ जैसे मानवीय संबंधों की मान्यता अनिवार्य रूप से एक विधायी कार्य है, अदालतें न्यायिक व्याख्या के माध्यम से या मौजूदा क़ानूनी ढांचे को ख़त्म करके ‘विवाह’ नामक किसी भी संस्था को बना या मान्यता नहीं दे सकती हैं.