पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश क़ाज़ी फैज़ ईसा की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ ने इसी महीने ईशनिंदा के आरोप में सात महीने से क़ैद में रखे गए अहमदिया समुदाय के एक शख़्स को ज़मानत दी थी. इसके बाद उनके आदेश की आलोचना के साथ उन्हें मौत की धमकियों का सामना भी करना पड़ा.
नौ अगस्त की रात रतलाम ज़िले में मुस्लिमों के एक समूह ने इंस्टाग्राम पर हुई एक इस्लाम विरोधी पोस्ट करने वाले शख़्स के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया था. आरोप है कि यहां पोस्ट करने वाले व्यक्ति को लेकर कथित तौर पर 'सिर तन से जुदा' का विवादास्पद नारा लगाया गया था.
वीडियो: पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोपी एक व्यक्ति को बीते दिनों भीड़ ने पीट-पीटकर मार दिया. वहां ईशनिंदा क़ानून विधायिका ने नहीं बनाया है. ब्रिटिश शासन से विरासत में मिले इस क़ानून में जनरल जिया उल हक़ सरकार ने संशोधन किए थे. क्या है यह क़ानून और इसका इतिहास, बता रहे हैं ज़ीशान कास्कर.
पश्चिमी न्यूयॉर्क में बीते अगस्त महीने में एक कार्यक्रम के दौरान अपना व्याख्यान शुरू करने जा रहे 75 वर्षीय सलमान रुश्दी पर एक व्यक्ति ने चाकू से 10 से 12 बार वार किया था, जिससे वह गंभीर रूप से जख़्मी हो गए थे.
असम के नागांव ज़िले का मामला. नाटक में दिखाया गया था कि भगवान शिव और पार्वती के किरदार दोपहिया वाहन की सवारी कर रहे हैं, जब पेट्रोल ख़त्म हो जाता है और शिव बढ़ती कीमतों के कारण पेट्रोल का ख़र्च वहन करने में असमर्थ होते हैं. विश्व हिंदू परिषद और भारतीय जनता युवा मोर्चा व अन्य की शिकायतों के आधार पर शिव बने सामाजिक कार्यकर्ता बिरिंची बोरा को गिरफ़्तार कर लिया गया था.
उदयपुर की हत्या की वीभत्सता, नृशंसता को हम इतना भी अजनबी न मानें. यह हमारे समाज का स्वभाव है. पर क्या इस हत्या पर हमारा ध्यान इसलिए टिका हुआ है कि मारा जाने वाला कौन है और उसे मारा किसने है?
सिख धार्मिक प्रतीकों के कथित अपमान को लेकर पंजाब में बीते दिनों दो लोगों की भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई. जनभावनाएं लिंचिंग की इन घटनाओं के समर्थन में खड़ी नज़र आती हैं और मुख्यधारा के राजनीतिक दल व सिख स्कॉलर्स उन भावनाओं को आहत करना नहीं चाहते.
बेअदबी के आरोप में बीते 19 दिसंबर को कपूरथला के एक गुरुद्वारा में की गई लिंचिंग में पीड़ित व्यक्ति के शव पर घाव के क़रीब 30 निशान मिले हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा है कि यह घटना हत्या की ओर इशारा करती है, क्योंकि जांच में बेअदबी का कोई सबूत नहीं मिला है. कपूरथला के अलावा बीते 18 दिसंबर को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर में जिन लोगों की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी, उन दोनों
सभ्य, लोकतांत्रिक और आधुनिक समाजों में मॉब लिंचिग जैसी बर्बरताओं की कोई जगह नहीं है- धर्मग्रंथों व प्रतीकों की बेअदबी के नाम पर भी नहीं.
पंजाब विधानसभा ने साल 2018 में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के संबंध में दो विधेयकों को पारित किया था, जिसमें आरोपियों को उम्रक़ैद की सज़ा देने का प्रावधान किया गया है. उप-मुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर मांग की है कि राष्ट्रपति इन कानूनों को तत्काल मंज़ूरी प्रदान करें.
पंजाब के अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में 18 दिसंबर को कथित तौर पर बेअदबी का प्रयास करने के आरोप में एक व्यक्ति के हत्या के बाद 19 दिसंबर को इसी तरह कपूरथला निजामपुर गांव के गुरुद्वारे में एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. हालांकि कपूरथला में हुई घटना में पुलिस ने बेअदबी किए जाने के आरोप से इनकार किया. दोनों घटनाओं में मृतकों की अब तक पहचान नहीं हो सकी है.
यह घटना बीते 18 दिसंबर को उस समय हुई, जब एक व्यक्ति अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में पवित्र स्थल पर रखी महाराजा रणजीत सिंह की तलवार उठाने के बाद उस स्थान के पास पहुंच गया, जहां सिख ग्रंथी पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ कर रहे थे. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी कार्यबल के सदस्य जब उसे पकड़कर एसजीपीसी कार्यालय ले जा रहे थे, तब गुस्साई भीड़ ने उसकी बुरी तरह से पिटाई कर दी, जिससे उसकी मौत हो गई.
जम्मू कश्मीर स्कूली शिक्षा बोर्ड ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख के सभी स्कूलों को दिल्ली के एक प्रकाशन हाउस द्वारा प्रकाशित एक किताब वापस लेने का निर्देश दिया, जिसमें इस्लाम के ख़िलाफ़ ‘ईशनिंदा’ करने वाली सामग्री है. प्रकाशन हाउस ने सातवीं कक्षा के लिए ‘हिस्ट्री एंड सिविक्स’ नाम की इस किताब के 2020 के संस्करण में ग़लती के लिए खेद जताया है.
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में सियालकोट ज़िले की एक कपड़ा फैक्टरी में महाप्रबंधक के तौर पर काम कर रहे श्रीलंका के प्रियंता कुमारा की ईशनिंदा के आरोप में पीट-पीटकर हत्या कर दी और फिर उसके शव को जला गया. आरोप है कि कुमारा ने कट्टरपंथी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के एक पोस्टर को कथित तौर पर फाड़ दिया था, जिसमें क़ुरान की आयतें लिखी थीं.
क्या सिंघू बॉर्डर पर हुई हत्या का समूचा प्रसंग निहित स्वार्थी तबकों की बड़ी साज़िश का हिस्सा था ताकि काले कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ खड़े हुए ऐतिहासिक किसान आंदोलन को बदनाम किया जा सके या तोड़ा जा सके? क्या निहंग नेता का केंद्रीय मंत्री से पूर्व पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में मिलना इस उद्देश्य के लिए चल रही क़वायद का इशारा तो नहीं है?