बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि किसी नागरिक के ग़ैर-ज़िम्मेदाराना बयान के चलते सरकार ऐसे दुर्भावनापूर्ण क़दम नहीं उठा सकती है. कोर्ट ने कंगना रनौत के बयान को भी अस्वीकार किया और कहा कि उन्हें सार्वजनिक टिप्पणी करते वक़्त सावधानी बरतनी चाहिए. बीते नौ सितंबर को बीएमसी अभिनेत्री के बांद्रा स्थित बंगले में हुए ‘अवैध निर्माणों’ को ढहा दिया था.
सितंबर 2019 में बीएमसी ट्री अथॉरिटी ने मुंबई मेट्रो रेल के लिए प्रस्तावित कार शेड के निर्माण के लिए आरे जंगल में 2,700 पेड़ों की कटाई और प्रत्यारोपण के लिए मंज़ूरी दे दी थी. इसका पर्यावरणविद् और स्थानीय लोगों ने विरोध किया था. तब कई लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आरआर दर्ज की गई थी.
कंगना रनौत के उकसावे वाले बयानों पर शिवसेना की प्रतिक्रिया उनकी ग़लत प्राथमिकताओं को दिखाती है.
मीडिया के पास कुछ हद तक जनमत निर्माण की ताक़त हमेशा से थी, मगर उसकी एक सीमा थी, उनके द्वारा उठाए मुद्दे में कुछ दम होना ज़रूरी होता था. आज हाल यह है कि मीडिया में भारत-चीन सीमा विवाद से ज़्यादा तवज्जो कंगना रनौत विवाद को दी जा रही है.
आरटीआई के तहत प्राप्त की गई जानकारी से पता चला था कि एक मार्च 2016 से लेकर आठ जुलाई 2019 के बीच बीएमसी को अवैध निर्माण की कुल 94,851 शिकायतें प्राप्त हुई थीं, लेकिन उस समय तक इसमें से सिर्फ़ 5,461 मामलों में ही कार्रवाई की गई थी.
बीएमसी के आंकड़ों के मुताबिक, बीते लगभग एक महीने में झुग्गियों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में कोरोना के मामलों में 60 फ़ीसदी बढ़त हुई है. एक अधिकारी के अनुसार बड़ी इमारतों में लोगों ने अब सख़्ती बरतनी बंद कर दी है और बाहरी लोग आ-जा रहे हैं.
बीएमसी ने कहा है कि इनमें से 5.34 लाख लोगों की पहचान उच्च जोख़िम वाले संपर्क के रूप में की गई है. साथ ही यह भी बताया गया कि अब तक कुल 13.28 लाख लोग 14 दिन का क्वारंटीन पूरा कर चुके हैं.
मई महीने में एक कोरोना संक्रमित महिला की नानावती अस्पताल में 13 दिनों तक भर्ती रहने के बाद मौत हो गई थी. इसके बिल को लेकर महिला के परिजनों की शिकायत के बाद बीएमसी ने अस्पताल के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज करवाई है.
बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में कहा गया है कि होटलों और रेस्तरां को संचालन की मंज़ूरी दी गई है, इसलिए वित्तीय परेशानियों से जूझ रहे सड़क पर सामान आदि बेचने वालों को भी काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए.
अतिरिक्त नगर निगम आयुक्त सुरेश काकानी ने कहा कि हम केवल मौत को लेकर बनी समिति की राय का ही अनुसरण कर रहे हैं. उन्होंने हमें बताया कि ये मौतें अन्य स्वास्थ्य संबंधी कारणों से हुई हैं. हमने इस बारे में राज्य सरकार को पत्र लिखा है और इन मौतों पर उनकी सलाह मांगी है.
महाराष्ट्र में कोरोना से 4,128 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें मुंबई में 2,250 लोगों लोगों ने जान गंवाई है. आईसीएमआर के पोर्टल पर दर्ज आंकड़ों का राज्य सरकार के आंकड़ों से मिलान करने पर सामने आया कि कोविड से हुई कुछ मौतों का रिकॉर्ड दर्ज ही नहीं हुआ है.
बृहन्मुंबई महानगरपालिका के डिप्टी कमिश्नर शिरीष दीक्षित में कोरोना के लक्षण नहीं थे, इसलिए उन्हें घर पर इलाज दिया जा रहा था. नौ जून तक बीएमसी के कुल 55 लोगों की कोरोना वायरस से मौत हो चुकी है.
बीएमसी का कहना है कि धारावी में कोरोना संक्रमित इन 75 फीसदी लोगों की उम्र 21 से 60 साल के बीच है. 20 मई तक धारावी में कोरोना के 1,360 मामले दर्ज हुए. इनमें से 525 को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया जबकि 56 लोगों की मौत चुकी है.
वकील और सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि महाराष्ट्र के नगर निकाय अधिकारियों के पास ग़ैर कोरोना रोगियों के लिए कोई विस्तृत कार्य योजना नहीं है और कई लोग इलाज के अभाव में पहले ही जान गंवा चुके हैं.
कर्मचारी यूनियन का कहना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के डर और यातायात के सीमित साधनों के चलते बहुत से कर्मचारी काम पर नहीं आ रहे हैं.