लॉकडाउन के दौरान रेहड़ी वालों के लिए भी नीति बनाए सरकारः बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में कहा गया है कि होटलों और रेस्तरां को संचालन की मंज़ूरी दी गई है, इसलिए वित्तीय परेशानियों से जूझ रहे सड़क पर सामान आदि बेचने वालों को भी काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए.

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बॉम्बे हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)

बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में कहा गया है कि होटलों और रेस्तरां को संचालन की मंज़ूरी दी गई है, इसलिए वित्तीय परेशानियों से जूझ रहे सड़क पर सामान आदि बेचने वालों को भी काम करने की अनुमति दी जानी चाहिए.

बॉम्बे हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)
बॉम्बे हाईकोर्ट (फोटो: पीटीआई)

मुंबईः बॉम्बे हाईकोर्ट ने वित्तीय संकट से जूझ रहे सड़क पर फेरी लगाने या समान बेचने वाले कामगारों (स्ट्रीट वेंडर्स) के मामले पर सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र सरकार से एक नीति बनाने को कहा ताकि वे लॉकडाउन के दौरान अपनी आजीविका चला सकें.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस केके तातेड़ की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सामाजिक कार्यकर्ता मनोज ओसवाल की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की.

ओसवाल की ओर से उनके वकील आशीष वर्मा द्वारा दायर याचिका में खाद्य सामग्री, खिलौने, कपड़े और अन्य सामान बेच रहे स्ट्रीट वेंडर्स को लेकर चिंता जताई गई है, जिनके पास कमाई का कोई जरिया नहीं बचा है.

ओसवाल ने कहा कि होटलों और रेस्तरां को संचालन की मंजूरी दे दी गई है, ऐसे में स्ट्रीट वेंडर्स को भी कामकाज की मंजूरी दी जानी चाहिए.

इस पर अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता होटलों और रेस्तरां के साथ स्ट्रीट वेंडर्स की समानता नहीं कर सकते.

पीठ ने 12 जून को अपने आदेश में राज्य सरकार, पुणे नगरपालिका (पीएमसी) और बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को निर्देश दिया था कि वे अदालत को यह बताएं कि क्या कोरोना के मद्देनजर स्ट्रीट वेंडर्स सफाई और स्वच्छता नियमों को बनाए रख सकते हैं.

पीएमसी ने शुक्रवार को कहा कि नगर निगम द्वारा तैयार की गई नीति के मुताबिक वह कुछ विशिष्ट दिनों में चुनिंदा क्षेत्रों को छोड़कर कंटेनमेंट जोन और उसके बाहर स्ट्रीट वेंडर्स को काम करने की मंजूरी नहीं देंगे.

वहीं, इस याचिका पर जवाब देने के लिए बीएमसी ने कुछ समय मांगा है. पीठ ने इस मामले पर राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है.

पीठ ने कहा है कि कंटेनमेंट जोन के बाहर अदालतें धीरे-धीरे दोबारा खुलनी शुरू हो गई हैं, राज्य सरकार स्ट्रीट वेंडर्स की आजीविका के लिए एक उपयुक्त नीति बनाने पर विचार कर सकती है ताकि इनकी कमाई का जरिया दोबारा से खुल सके.

महाराष्ट्र सरकार के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने इस पर कुछ समय मांगा है, जिसके बाद अदालत ने स्ट्रीट वेंडर्स के लिए नीति बनाने पर विचार करने के लिए राज्य सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है.

मामले की अगली सुनवाई सात जुलाई को होगी.