बिहार सरकार द्वारा मधुबनी ज़िले के भुतही नदी पर तीन करोड़ रुपये की लागत से बन रहा पुल 27 जून को ढह गया. यह पुल 2021 से निर्माणाधीन था.
गुजरात के मोरबी में माच्छू नदी पर बना ब्रिटिश काल का केबल पुल अक्टूबर 2022 में ढह गया था, जिसमें 47 बच्चों सहित 135 लोग मारे गए थे. घटना की जांच कर रहे विशेष जांच दल ने हाईकोर्ट में पेश रिपोर्ट में कहा कि ओरेवा कंपनी ने एक ‘अक्षम एजेंसी’ को काम सौंपा और बिना तकनीकी विशेषज्ञों के परामर्श के काम किया गया.
गुजरात हाईकोर्ट के जज समीर दवे ने मोरबी केबल पुल हादसे के पांच आरोपियों को ज़मानत देने के बाद ओरेवा समूह के एक प्रबंधक की ज़मानत याचिका पर सुनवाई से ख़ुद को अलग कर लिया. पिछले साल अक्टूबर में हुए इस हादसे में 135 लोगों की जान चली गई थी.
मोरबी पुल हादसे के मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने पुल के रखरखाव की ज़िम्मेदार ओरेवा कंपनी द्वारा प्रस्तावित मुआवज़े को अपर्याप्त बताते हुए निर्देश दिया कि वह प्रत्येक मृतक के निकट संबंधी को 10 लाख रुपये और दुर्घटना में घायल हुए 56 लोगों में से प्रत्येक को अंतरिम मुआवज़े के रूप में 2 लाख रुपये का भुगतान करे.
30 अक्टूबर 2022 को गुजरात के मोरबी शहर में माच्छू नदी पर बने केबल पुल के अचानक टूटने से क़रीब 141 लोगों की मौत हो गई थी. पुल के रखरखाव व संचालन का ठेका ओरेवा समूह के पास था. मामले में अब तक नौ लोगों को गिरफ़्तार किया गया है, जिनमें से चार ओरेवा के कर्मचारी हैं.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राजकोट में एक चुनावी रैली के दौरान कहा कि भाजपा सरकार की नीतियां ‘दो भारत’ बना रही हैं. एक अरबपतियों का भारत है, वह जो भी सपना देखता है, उसे पूरा कर सकता है और दूसरा ग़रीबों का भारत है, जिसमें किसान, मज़दूर और छोटे व्यापारी शामिल हैं, जो महंगाई और बेरोज़गारी के बीच जीने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
बीते 30 अक्टूबर को मोरबी शहर में माच्छू नदी पर बने केबल पुल के अचानक टूटने से 140 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इससे संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करने से इनकार करते हुए कहा कि गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पहले ही घटना का स्वत: संज्ञान लिया है और कई आदेश पारित किए हैं.
मोरबी पुल हादसे पर स्वतः संज्ञान लेकर दर्ज की गई याचिका की सुनवाई में मंगलवार को गुजरात हाईकोर्ट ने मोरबी नगर पालिका से पूछा था कि पुल के संचालन और रखरखाव का ठेका बिना निविदा निकाले क्यों दिया गया था.
बीते 30 अक्टूबर को गुजरात के मोरबी शहर में माच्छू नदी पर बने केबल पुल के अचानक टूटने से क़रीब 141 लोगों की मौत हो गई थी. पुल के रखरखाव व संचालन का ठेका ओरेवा समूह के पास था. जांच बताती है कि कंपनी ने यह ठेका एक अन्य फर्म को दिया था, जिसे इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े काम की तकनीकी जानकारी नहीं थी.
गुजरात के मोरबी शहर में पुल टूटने से हुए हादसे में घायल लोगों को यहां के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने से पहले अस्पताल का रंग-रोगन कराए जाने पर कांग्रेस ने कहा है कि अस्पताल ‘शहंशाह’ के स्वागत को तैयार है. ये है गुजरात का मॉडल. एक तरफ मौत का हाहाकार है, दूसरी तरफ ‘राजा जी’ का इवेंट रचा जा रहा है.
गुजरात के मोरबी शहर में मच्छू नदी पर एक सदी से भी ज्यादा पुराना केबल पुल बीते 30 अक्टूबर की शाम टूट गया था. इस हादसे में क़रीब 141 लोगों की मौत हो गई है. इस पुल के रखरखाव और संचालन का ठेका ओरेवा समूह को मिला था.
गुजरात के मोरबी शहर में माच्छू नदी पर बने क़रीब एक सदी पुराने केबल पुल को मरम्मत एवं नवीनीकरण कार्य के बाद इसे आमजन के लिए पांच दिन पहले ही खोला गया था, लेकिन नगर पालिका का ‘फिटनेस प्रमाण-पत्र’ नहीं मिला था. विपक्ष ने भाजपा पर निशाना साधते हुए इसे मानव निर्मित त्रासदी बताया है.