न्याय का सिद्धांत है कि ‘सौ दोषी भले छूट जाएं, लेकिन एक भी निर्दोष नहीं पकड़ा जाना चाहिए’, लेकिन इलाहाबाद के अटाला में पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ टिप्पणी को लेकर जून महीने में हुई हिंसा के बाद बड़े पैमाने पर की गईं गिरफ़्तारियों में न्याय के इस सिद्धांत को ही उलट दिया गया है.
छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले में बुरकापाल गांव के क़रीब 24 अप्रैल 2017 को नक्सलियों ने केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल के एक दल पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें 25 जवानों की मौत हो गई थी. आदिवासियों की वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता बेला भाटिया ने सवाल उठाया कि उन्होंने जो अपराध नहीं किया, उसके लिए उन्हें इतने साल जेल में क्यों बिताने पड़े. इसकी भरपाई कौन करेगा.