गोरखपुर: शहर का मतदान प्रतिशत और निषाद मतदाताओं का रुख़ तय करेगा परिणाम

मुख्यमंत्री का गृह-ज़िला होने की वजह से चौराहों, पार्कों, ताल व नदी घाटों का सौंदर्यीकरण हुआ है. लगभग हर सड़क फोर लेन हो रही है. पूरे शहर का दृश्य बदलता दिख रहा है. लेकिन इन निर्माण कार्यों के कारण बड़े पैमाने पर विस्थापन हुआ है और विस्थापित हुए लोगों की पीड़ा को सुनने वाला कोई नहीं है.

गोरखपुरः दलित महिला से बलात्कार की कोशिश, पुलिस पर केस दर्ज न करने का आरोप

उत्तर प्रदेश में गोरखपुर शहर के गोरखनाथ क्षेत्र का मामला. महिला ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि कई बार शिकायत के बाद भी क़रीब दो महीने हो गए लेकिन आरोपी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज नहीं किया गया, जबकि आरोपी की शिकायत पर पैसे न चुकाने को लेकर उन पर केस दर्ज कर दिया गया है. पुलिस ने कहा कि महिला की शिकायत की जांच चल रही है, जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

उत्तर प्रदेश: गोरखपुर ज़िले की निषाद बहुल सीटों का चुनावी समीकरण क्या है

पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले में नौ विधानसभा क्षेत्र- गोरखपुर शहर, गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवा, पिपराइच, कैम्पियरगंज, चौरी चौरा, चिल्लूपार, बांसगांव और खजनी हैं. बांसगांव और खजनी क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इनमें से पांच- गोरखपुर ग्रामीण, सहजनवा, पिपराइच, कैम्पियरगंज, चौरी चौरा में निषाद समुदाय की अच्छी-ख़ासी संख्या है. चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र में भी निषाद मतदाता ठीक-ठाक हैं.