इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संसद और विधायकों के ख़िलाफ़ लंबित आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटान से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि प्रधान ज़िला एवं सत्र न्यायाधीश इन विशेष अदालतों के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा सुविधा सुनिश्चित करेंगे और इन्हें ऐसी तकनीक अपनाने के लिए भी सक्षम बनाएंगे, जो प्रभावी कामकाज के लिए व्यवहारिक हो.
सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में दिशानिर्देश तैयार करने से परहेज़ किया, लेकिन कहा कि उच्च न्यायालयों को सांसदों और विधायकों के लिए लंबित आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटान की निगरानी के लिए अपने संबंधित अधिकार क्षेत्र में ‘सांसदों और विधायकों के लिए नामित अदालतें’ शीर्षक से स्वत: संज्ञान मामले दर्ज करने चाहिए.
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष एमिकस क्यूरी विजय हंसारिया ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि सांसदों और विधायकों के ख़िलाफ़ लंबित 5,097 मामलों में से 40 फ़ीसदी से अधिक (2,122 मामले) पांच साल से अधिक समय से लंबित हैं.