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प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने सीबीआई निदेशक पद के लिए तीन नामों को शॉर्टलिस्ट किया था, जिसमें कर्नाटक डीजीपी प्रवीण सूद का नाम शामिल था. बीते मार्च में कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने सूद पर भाजपा के प्रति पक्षपाती होने का आरोप लगाने के साथ उन्हें कथित तौर पर ‘नालायक’ कहा था.
मद्रास हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल संसद को रिपोर्ट करने वाले नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की तरह सीबीआई को भी एक स्वायत्त संस्था होना चाहिए. सीबीआई की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए इसे वैधानिक दर्जा दिया जाना चाहिए.
दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम 1946 की धारा 4 बी (1) के अनुरूप सीबीआई निदेशक द्वारा उनकी सेवा शर्तों से संबंधित नियमों से कुछ विपरीत होने के बावजूद पद संभालने करने की तारीख से कम से कम दो वर्ष की अवधि के लिए पद पर बने रहने का प्रावधान है.
महाराष्ट्र कैडर के 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी सुबोध कुमार जायसवाल के नाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत तीन सदस्यीय चयन समिति ने इस पद के लिए मंज़ूरी दी. जायसवाल दो साल के लिए सीबीआई निदेशक रहेंगे.
नए सीबीआई निदेशक पद की दौड़ में सीआईएसएफ के महानिदेशक सुबोध कुमार जायसवाल, एसएसबी के महानिदेशक कुमार राजेश चंद्रा और गृह मंत्रालय के विशेष सचिव वीएसके कौमुदी शामिल हैं. मोदी सरकार को रिटायर होने के क़रीब पहुंचे बीएसएफ प्रमुख राकेश अस्थाना और एनआईए प्रमुख वाईसी मोदी को इस सूची से बाहर करना पड़ा है.