मामले के आठ आरोपियों में से एक विशाल का दावा था कि जब अपराध हुआ, वो मेरठ में परीक्षा दे रहा था. विशाल ने बताया था कि 15 जनवरी को परीक्षा की अटेंडेंस शीट पर उसने हस्ताक्षर भी किए थे. फॉरेंसिक जांच में हस्ताक्षर फ़र्ज़ी पाए गए.
कोर्ट ने राज्य सरकार को याचिकाकर्ताओं की संशोधित याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 9 अगस्त तय की है.
कोर्ट ने सरकार से सवाल किया कि मान लीजिए पुलिस ने चार लोगों के ख़िलाफ़ मजिस्ट्रेट के सामने चार्जशीट दाखिल कर दी है लेकिन आगे की कार्रवाई के लिए सरकार की अनुमति चाहिए, जो नहीं दी गई, तब क़ानूनन मजिस्ट्रेट क्या करे.
यूपी में सरकारों ने 2007 में हुए गोरखपुर दंगों में आदित्यनाथ की भूमिका की जांच को अटकाए रखा. हालांकि ऐसे तथ्य हैं, जिनके आधार पर कोर्ट चाहे तो मामले को दोबारा देखा जा सकता है.