सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीड़न के मामलों का फैसला करने वाले सत्र न्यायालयों को निर्देश दिया है कि वे पीड़ितों को मुआवज़ा देने का आदेश अनिवार्य रूप से दें, ख़ासकर ऐसे मामलों में जहां पीड़ित नाबालिग और महिलाएं हों.
घटना सागर ज़िले की है. नौ बच्चों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया, जबकि दो का स्थानीय अस्पताल में इलाज जारी है. मुख्यमंत्री मोहन यादव के मुताबिक, दुर्घटना भारी बारिश के चलते हुई.
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह भी कहा कि वैवाहिक कर्तव्यों के प्रति उदासीनता ने संभवतः लिव-इन रिश्तों को जन्म दिया है. यह भारतीय सिद्धांतों के विपरीत एक आयातित सोच है.
भोपाल से प्रकाशित बच्चों की मासिक पत्रिका 'चकमक' हिंदी की अब तक की इकलौती 'बाल विज्ञान पत्रिका' है. इसका एक स्तंभ है- 'क्यों क्यों '. इसमें बच्चों से हर महीने एक सवाल पूछा जाता है और अगले महीने उसके जवाब प्रकाशित किए जाते हैं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह बात एक ऐसी याचिका पर सुनवाई करते हुए कही जिसमें नाबालिग के साथ बलात्कार करने के आरोपी ने दावा किया था कि उसका पीड़िता के साथ समझौता हो गया है, इसलिए उसके ख़िलाफ़ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाई जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि किसी पुरुष स्कूल शिक्षक द्वारा कक्षा में नाबालिग छात्रा को फूल देना और उसे दूसरों के सामने इसे स्वीकार करने के लिए मजबूर करना पॉक्सो अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न है और इसके लिए सख़्त दिशानिर्देश दिए गए हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक क़रीबी रिश्तेदार द्वारा दो नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न के मामले को मध्यस्थता से निपटाने की निंदा करते हुए कहा कि गंभीर प्रकृति के अपराधों से जुड़े मामलों में किसी भी तरह की मध्यस्थता की अनुमति नहीं है. ऐसा कोई भी प्रयास न्याय के सिद्धांतों और पीड़ितों के अधिकारों को कमज़ोर करता है.
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि 14 और 16 फरवरी को दो बच्चों, जिनमें से एक सात साल का था, की संदिग्ध खसरे से मौत हो गई. इसके बाद तीन दिन के लिए सभी सरकारी और निजी स्कूल बंद कर दिए गए हैं. ज़िला कलेक्टर ने प्रभावित इलाकों में किसी भी समारोह में बच्चों के इकट्ठा होने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है.
एक दिशानिर्देश में चुनाव आयोग ने कहा है कि राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव अभियानों में बच्चों के इस्तेमाल के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस (शून्य सहिष्णुता) की नीति है. इसके अनुसार, दलों को सलाह दी गई है कि वे किसी भी रूप में चुनाव प्रचार में बच्चों का उपयोग न करें, जिसमें पोस्टर/पैम्फलेट का वितरण या नारेबाज़ी, रैलियों, चुनावी बैठकों आदि में भाग लेना शामिल है.
चाइल्ड रॉइट एंड यू (क्राई) द्वारा किए गए एक विश्लेषण के अनुसार, 2022 में बच्चों के ख़िलाफ़ साइबर अपराध के कुल 1,823 मामले सामने आए हैं, जो इसके पिछले वर्ष 1,376 थे. इन अपराधों में साइबर पोर्नोग्राफ़ी, बच्चों संबंधी अश्लील सामग्री का प्रसार, साइबरस्टॉकिंग आदि शामिल थे.
शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (असर-2023) के अनुसार, सर्वे में शामिल आधे से अधिक बच्चे भाग के सवालों से जूझते हैं. 14-18 साल के केवल 43.3 प्रतिशत बच्चे ही ऐसे सवालों को सही ढंग से कर पाते हैं. लगभग 85 प्रतिशत बच्चे प्रारंभिक बिंदु ज़ीरो सेंटीमीटर होने पर स्केल से लंबाई माप सकते हैं, लेकिन इसमें बदलाव होने पर अनुपात तेज़ी से गिर जाता है.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने करीब एक साल पहले राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से इस संबंध में कार्रवाई की मांग की थी. आयोग की ओर से कहा गया है कि मदरसों में हिंदू और अन्य गैर-मुस्लिम बच्चों का नामांकन स्पष्ट रूप से संविधान के अनुच्छेद 28(3) का उल्लंघन है.
उन्नाव ज़िले में एक 13 वर्षीय लड़की की कथित तौर पर 22 वर्षीय व्यक्ति से शादी कर दी गई, क्योंकि दूल्हे ने उसकी बड़ी बहन ने शादी करने से इनकार कर दिया था. पुलिस ने दूल्हे, लड़की के परिवार, शादी कराने वाले पुजारी और समारोह में शामिल होने वाले 111 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है.
मध्य प्रदेश के शाजापुर के ज़िला शिक्षा अधिकारी विवेक दुबे द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि यह स्कूलों में किसी भी कार्यक्रम पर प्रतिबंध नहीं लगाता है. अतीत में माता-पिता द्वारा ऐसी शिकायत करने के मामले सामने आए हैं कि उनके बच्चों को उनकी सहमति के बिना स्कूलों में ऐसे कार्यक्रमों का हिस्सा बनाया जा रहा है.
कोलार ज़िले के यलुवहल्ली में मोरारजी देसाई आवासीय विद्यालय में कथित तौर पर सातवीं से नवीं कक्षा के पांच-छह छात्रों को प्रिंसिपल और एक शिक्षक की उपस्थिति में सेप्टिक टैंक में उतरकर इसे साफ करने के लिए मजबूर किया गया. अब प्रिंसिपल समेत पांच स्टाफ सदस्यों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की गई है.