सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि किसी पुरुष स्कूल शिक्षक द्वारा कक्षा में नाबालिग छात्रा को फूल देना और उसे दूसरों के सामने इसे स्वीकार करने के लिए मजबूर करना पॉक्सो अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न है और इसके लिए सख़्त दिशानिर्देश दिए गए हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक क़रीबी रिश्तेदार द्वारा दो नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न के मामले को मध्यस्थता से निपटाने की निंदा करते हुए कहा कि गंभीर प्रकृति के अपराधों से जुड़े मामलों में किसी भी तरह की मध्यस्थता की अनुमति नहीं है. ऐसा कोई भी प्रयास न्याय के सिद्धांतों और पीड़ितों के अधिकारों को कमज़ोर करता है.
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि 14 और 16 फरवरी को दो बच्चों, जिनमें से एक सात साल का था, की संदिग्ध खसरे से मौत हो गई. इसके बाद तीन दिन के लिए सभी सरकारी और निजी स्कूल बंद कर दिए गए हैं. ज़िला कलेक्टर ने प्रभावित इलाकों में किसी भी समारोह में बच्चों के इकट्ठा होने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है.
एक दिशानिर्देश में चुनाव आयोग ने कहा है कि राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव अभियानों में बच्चों के इस्तेमाल के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस (शून्य सहिष्णुता) की नीति है. इसके अनुसार, दलों को सलाह दी गई है कि वे किसी भी रूप में चुनाव प्रचार में बच्चों का उपयोग न करें, जिसमें पोस्टर/पैम्फलेट का वितरण या नारेबाज़ी, रैलियों, चुनावी बैठकों आदि में भाग लेना शामिल है.
चाइल्ड रॉइट एंड यू (क्राई) द्वारा किए गए एक विश्लेषण के अनुसार, 2022 में बच्चों के ख़िलाफ़ साइबर अपराध के कुल 1,823 मामले सामने आए हैं, जो इसके पिछले वर्ष 1,376 थे. इन अपराधों में साइबर पोर्नोग्राफ़ी, बच्चों संबंधी अश्लील सामग्री का प्रसार, साइबरस्टॉकिंग आदि शामिल थे.
शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (असर-2023) के अनुसार, सर्वे में शामिल आधे से अधिक बच्चे भाग के सवालों से जूझते हैं. 14-18 साल के केवल 43.3 प्रतिशत बच्चे ही ऐसे सवालों को सही ढंग से कर पाते हैं. लगभग 85 प्रतिशत बच्चे प्रारंभिक बिंदु ज़ीरो सेंटीमीटर होने पर स्केल से लंबाई माप सकते हैं, लेकिन इसमें बदलाव होने पर अनुपात तेज़ी से गिर जाता है.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने करीब एक साल पहले राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से इस संबंध में कार्रवाई की मांग की थी. आयोग की ओर से कहा गया है कि मदरसों में हिंदू और अन्य गैर-मुस्लिम बच्चों का नामांकन स्पष्ट रूप से संविधान के अनुच्छेद 28(3) का उल्लंघन है.
उन्नाव ज़िले में एक 13 वर्षीय लड़की की कथित तौर पर 22 वर्षीय व्यक्ति से शादी कर दी गई, क्योंकि दूल्हे ने उसकी बड़ी बहन ने शादी करने से इनकार कर दिया था. पुलिस ने दूल्हे, लड़की के परिवार, शादी कराने वाले पुजारी और समारोह में शामिल होने वाले 111 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया है.
मध्य प्रदेश के शाजापुर के ज़िला शिक्षा अधिकारी विवेक दुबे द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि यह स्कूलों में किसी भी कार्यक्रम पर प्रतिबंध नहीं लगाता है. अतीत में माता-पिता द्वारा ऐसी शिकायत करने के मामले सामने आए हैं कि उनके बच्चों को उनकी सहमति के बिना स्कूलों में ऐसे कार्यक्रमों का हिस्सा बनाया जा रहा है.
कोलार ज़िले के यलुवहल्ली में मोरारजी देसाई आवासीय विद्यालय में कथित तौर पर सातवीं से नवीं कक्षा के पांच-छह छात्रों को प्रिंसिपल और एक शिक्षक की उपस्थिति में सेप्टिक टैंक में उतरकर इसे साफ करने के लिए मजबूर किया गया. अब प्रिंसिपल समेत पांच स्टाफ सदस्यों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की गई है.
एनसीआरबी की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में देश में अपहरण के 1,07,588 मामले दर्ज किए गए जबकि साल 2021 में यह आंकड़ा 1,01,707 और 2020 में 84,805 था. इस मामले में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर रहा.
हरियाणा के जींद स्थित एक सरकारी स्कूल का मामला. बीते 13 सितंबर को हरियाणा महिला आयोग ने इस मामले में कार्रवाई के लिए जींद पुलिस से कहा था. हालांकि आरोप है कि पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने में देरी की. इस बीच आरोपी प्रिंसिपल को बीते 4 नवंबर को गिरफ़्तार करने के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.
हरियाणा राज्य महिला आयोग ने कहा कि जींद ज़िले के एक सरकारी स्कूल की 50 से अधिक नाबालिग छात्राओं ने वहां के प्रिंसिपल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. आयोग ने कहा कि उन्होंने छात्राओं की शिकायतें 14 सितंबर को पुलिस को भेजी थीं लेकिन कार्रवाई 30 अक्टूबर को हुई.
उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में सरकार द्वारा संचालित लाला लाजपत राय अस्पताल का मामला. अस्पताल के बाल रोग विभाग के प्रमुख और नोडल अधिकारी डॉ. अरुण आर्य ने कहा कि संक्रमित बच्चों में से सात में हेपेटाइटिस बी, पांच में हेपेटाइटिस सी और दो में एचआईवी की पुष्टि हुई है. उन्होंने कहा कि बच्चों में एचआईवी संक्रमण विशेष रूप से चिंताजनक है.
गुजरात हाईकोर्ट ने शैक्षणिक वर्ष 2023-24 में कक्षा 1 में प्रवेश के लिए न्यूनतम आयु छह वर्ष निर्धारित करने वाली राज्य सरकार की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिकाओं को ख़ारिज करते हुए कहा है कि तीन साल से कम उम्र के बच्चों को प्री-स्कूल में दाख़िला दिलाने वाले माता-पिता एक ‘ग़ैर-क़ानूनी कृत्य’ कर रहे हैं.