नया साल: चिंता, चुनौती, आशा

नए साल में असल चिंता का विषय है, भारत में ऐसे हिंदू दिमाग़ का निर्माण जो श्रेष्ठतावाद के नशे में चूर है. मुसलमान मित्रविहीन अवस्था में है. चंद बुद्धिजीवी ही उसके साथ हैं. कश्मीर में मुसलमानों को अधिकार से वंचित किया जा रहा है. असम में उसे कोने में धकेला जा रहा है और पूरे देश में क़ानूनों और ग़ुंडों के गठजोड़ के ज़रिये उसे प्रताड़ित किया जा रहा है.

बिहार: भाजपा विधायक की हिंदू देवी-देवताओं पर की गई टिप्पणी से उपजा विवाद

भागलपुर ज़िले के पीरपैंती से भाजपा विधायक ललन पासवान ने देवी लक्ष्मी, सरस्वती और भगवान हनुमान पर कथित तौर पर टिप्पणी की. एक वीडियो में वह कथित तौर पर कहते हुए नज़र आ रहे हैं कि जो समुदाय इन देवी-देवताओं की पूजा नहीं करते, वे भी धन-संपदा और शिक्षा से संपन्न हैं. भाजपा ने विधायक से स्पष्टीकरण मांगा है.

सीएए के नियम तैयार करने के लिए सरकार को फिर अतिरिक्त समय दिया गया

विवादित नागरिकता संशोधन अधिनियम के प्रावधान तैयार करने के लिए राज्यसभा ने गृह मंत्रालय को 31 दिसंबर 2022, जबकि लोकसभा ने नौ जनवरी 2023 तक का समय दिया है. यह सीएए के प्रावधान तैयार करने के लिए गृह मंत्रालय को दिया गया सातवां विस्तार है.

आरएसएस प्रमुख की भारत में जनसंख्या असंतुलन की बात केवल एक राजनीतिक प्रोपगैंडा है

1995 के बाद 2020 में सभी समुदायों में मुस्लिम महिलाओं की प्रजनन दर में सबसे तेज़ गिरावट दर्ज हुई है. नतीजन उनकी जनसंख्या वृद्धि दर भी कम हुई है. एक राजनीतिक साज़िश के तहत मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि की बात कहते हुए भय और अविश्वास पैदा करके हिंदुओं का ध्रुवीकरण किया जा रहा है.

मोहन भागवत की जनसंख्या असंतुलन की चिंता में समुदाय का नाम सामने न होकर भी मौजूद है

मोहन भागवत ने किसी समुदाय का नाम लिए बिना देश में समुदायों के बीच जनसंख्या के बढ़ते असंतुलन पर चिंता जताई. संघ शुरू से इशारों में ही बात करता रहा है. इससे वह क़ानून से बचा रहता है. साथ ही संकेत भाषा के कारण बुद्धिजीवी भी उनके बचाव में कूद पड़ते हैं, जैसे अभी पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी कर रहे हैं.

75 साल पहले गांधी ने जिसे अनहोनी कहा था, वह आज घटित हो रही है

गांधी ने लिखा था कि कभी अगर देश की 'विशुद्ध संस्कृति' को हासिल करने का प्रयास हुआ तो उसके लिए इतिहास फिर से लिखना होगा. आज ऐसा हो रहा है. यह साबित करने के लिए कि यह देश सिर्फ़ हिंदुओं का है, हम अपना इतिहास मिटाकर नया ही इतिहास लिखने की कोशिश कर रहे हैं.

फ़ासीवादियों की देशभक्ति नहीं, उनकी दूसरों से घृणा उन्हें परिभाषित करती है

आरएसएस को फ़ासीवादी संगठन कहने पर कुछ लोग नाराज़ हो उठते हैं. उनका तर्क है कि वह देशभक्त संगठन है. क्या देश में रहने वाली आबादियों के ख़िलाफ़ घृणा पैदा करते हुए, उनके ख़िलाफ़ हिंसा करते हुए देशभक्ति की जा सकती है?

भारत में इस साल जुलाई तक ईसाइयों पर 300 से अधिक हमले हुए: एनजीओ

ग़ैर सरकारी संगठन यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम ने उसकी हेल्पलाइन पर मदद के लिए आईं फोन कॉल्स के हवाले से दावा किया है कि वर्ष 2022 के पहले सात महीनों में देश में ईसाइयों ख़िलाफ़ हुए हमलों में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर और छत्तीसगढ़ दूसरे पायदान पर रहा.

इन 5 तथ्यों से जानिए मोदी सरकार सीएए पर आपको कैसे बेवकूफ़ बना रही है

वीडियो: जब अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदुओं और सिखों की रक्षा करने की बात आती है तो मोदी सरकार के शब्दों और कार्यों के बीच के अंतर नज़र आता है. द वायर के साहिल मुरली मेंघानी इस रिपोर्ट में बता रहे हैं कि कैसे भाजपा नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) पर भारतीयों को बेवकूफ़ बना रही है.

केरल में लागू नहीं होगा नागरिकता संशोधन अधिनियम: मुख्यमंत्री विजयन

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम देश की धर्म-निरपेक्षता के ख़िलाफ़ है. यहां किसी को भी धर्म के आधार पर नागरिकता तय करने का अधिकार नहीं है. हमारा देश भारत के संविधान में उल्लिखित धर्म-निरपेक्षता के सिद्धांत पर काम करता है. आजकल धर्म-निरपेक्षता को नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है. इसे लेकर एक ख़ास वर्ग के लोग ख़ासे चिंतित हैं.

असम में मुस्लिमों सहित छह धार्मिक समुदायों को मिलेगा अल्पसंख्यक होने का प्रमाण-पत्र

असम मंत्रिमंडल ने मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय के लोगों को अल्पसंख्यक प्रमाण-पत्र जारी करने का फैसला किया है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री केशब महंत ने कहा कि हमारे पास अल्पसंख्यकों के लिए कई योजनाएं हैं, अल्पसंख्यकों के लिए एक अलग विभाग है. लेकिन अल्पसंख्यक कौन हैं? कोई पहचान नहीं है. उनकी पहचान करने की ज़रूरत है, ताकि ऐसी योजनाएं उन तक पहुंच सकें.

अब वह भारत भी नहीं रहा, जिसमें जन्म लिया…

जो भारत अब तक बना था, जिसे हम यहां की प्रकृति और किताबों में पढ़ते थे ऐसा लगता है कि वह ‘आज़ादी के अमृत काल’ में विष के समुद्र में लगातार धकेला जा रहा है.

सीएए के तहत नियम बनाने के लिए गृह मंत्रालय ने छह महीने का समय और मांगा

यह पांचवीं बार है जब गृह मंत्रालय नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत नियमों को तैयार करने के लिए समय के विस्तार की मांग कर रहा है. इससे पहले, 9 जनवरी को केंद्र सरकार ने कोविड-19 महामारी के चलते नियम बनाने में देरी का हवाला देते हुए तीन महीने के विस्तार की मांग की थी. इस बार मंत्रालय ने 9 अक्टूबर तक का समय मांगा है.

केंद्र ने कोर्ट में कहा, राज्य भी धार्मिक और भाषाई समुदायों को अल्पसंख्यक घोषित कर सकते हैं

भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने एक याचिका में अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के लिए राष्ट्रीय आयोग अधिनियम-2004 की धारा-2 (एफ) की वैधता को चुनौती दी है. इसके जवाब में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि राज्य सरकारें भी अपने राज्य की सीमा में हिंदू समेत अन्य धार्मिक और भाषाई समुदायों को अल्पसंख्यक घोषित कर सकती हैं.

अगर सरस्वती पूजा महज़ धर्म नहीं संस्कृति है, तो हिजाब केवल धार्मिक प्रतीक क्यों

सरस्वती को विद्या की देवी कहकर हिंदुओं तक सीमित न रखने की अपील की जाती है. धर्म को संस्कृति का चोला ओढ़ाकर दूसरे धर्मावलंबियों को उसे मानने को बाध्य किया जाता है. ऐसे ही आशय से प्रेमचंद ने लिखा था कि सांप्रदायिकता को अपने असली रूप में निकलने में शर्म आती है, इसलिए वह संस्कृति की खाल ओढ़कर बाहर निकलती है.