आज़ादी ने हमें लोकतंत्र दिया, जबकि नस्लीय राष्ट्रवाद का परिणाम बंटवारा था, जिसने अपने पीछे खून से लथपथ सांप्रदायिक हिंसा के निशान छोड़े. बेशक राष्ट्रवाद अच्छा है- लेकिन इसने नस्लीय अल्पसंख्यकों, कमज़ोरों और जिन्हें यह अपने यहां का नहीं मानता है, के लिए ख़तरे खड़े किए हैं.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: इस समय की प्रचलित टेक्नोलॉजी और प्रविधियां तेज़ी और सफलता से यथार्थ को तरह-तरह से रचती रहती हैं. इस रचे गए यथार्थ का सच्चाई से संबंध अक्सर न सिर्फ़ क्षीण होता है बल्कि ज़्यादातर वे मनगढ़ंत और झूठ को यथार्थ बनाती हैं. हमारे समय में राजनीति, धर्म, मीडिया आदि मिलकर जो मनोवांछित यथार्थ रच रहे हैं उसका सच्चाई से कोई संबंध नहीं होता. इस यथार्थ को प्रतिबिंबित करना झूठ को मानना और फैलाना होगा.
बिलक़ीस बानो को किसने सत्रह सालों तक उसके मताधिकार से वंचित रखा? कौन था गुजरात का मुखिया और किसके हाथ हिंदुस्तान की हुकूमत थी? क्यों सालों-साल बिल्किस अपने कुनबे के साथ भटकती रही पूरे भारत, जगह बदलती हुई, पोशीदा ज़िंदगी बिताती हुई? क्यों वह वहां महफूज़ न थी, जिसे वह अपना वतन कहती है?