दिल्ली की एक अदालत ने आगज़नी के आरोप रद्द करते हुए कहा कि शिकायतकर्ताओं ने अपने शुरुआती बयानों में दंगाई भीड़ द्वारा आग या विस्फोटक पदार्थ के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा. पुलिस एक खामी को छिपाने का और दो अलग-अलग तारीख़ों की घटनाओं को एक साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है.
दिल्ली दंगे के मामलों में बार-बार बुलाए जाने के बावजूद अभियोजक के अदालत में नहीं पहुंचने, जांच अधिकारी के बिना पुलिस फाइल पढ़े देरी से अदालत पहुंचने और सवालों का जवाब न दे पाने को लेकर मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने उक्त टिप्पणी की.
आरोपपत्र के अनुसार, आरोपी गौरव ने 24 फरवरी 2020 को भजनपुरा इलाके में पेट्रोल बम से एक धार्मिक स्थल में कथित तौर पर आग लगाई थी, जबकि अन्य आरोपी प्रशांत ने उसी क्षेत्र में दुकानों, मकानों और वाहनों में तोड़फोड़ और लूटपाट की थी.
दिल्ली पुलिस के अनुसार, इन पांच आरोपियों ने करावल नगर इलाके में मोहम्मद अनवर नाम के व्यक्ति के घर के पास एक मैदान में उन्हें गोली मारकर आग लगा दी थी. अदालत ने कहा कि प्रथमदृष्टया सभी आरोपियों के ख़िलाफ़ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं.
अदालत दिल्ली दंगे के दौरान हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही थी. इस मामले में पहले ही पांच लोगों को ज़मानत मिल चुकी है. हाईकोर्ट ने कहा कि यह हमारे संविधान में निहित सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है कि एक आरोपी को मुक़दमे के लंबित रहने के दौरान सलाखों के पीछे रहने दिया जाए.
बीते साल 13 सितंबर को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगे के सिलसिले में यूएपीए के तहत छात्र नेता उमर ख़ालिद को गिरफ़्तार किया था. यूएपीए के साथ ही इस मामले में उनके ख़िलाफ़ दंगा करने और आपराधिक साज़िश रचने के भी आरोप लगाए गए हैं.
वीडियो: पूर्व जेएनयू छात्र और सीएए-एनआरसी के ख़िलाफ़ मुखर कार्यकर्ता के तौर पहचाने जाने वाले उमर ख़ालिद को 13 सितंबर 2020 को दिल्ली पुलिस ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगे के सिलसिले में गिरफ़्तार किया था. उमर को एक साल से क़ैद में रखने के ख़िलाफ़ कई जानी-मानी हस्तियां सोमवार को एक साथ आईं और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में उनको रिहा करने की मांग की.
छात्र कार्यकर्ता नताशा नरवाल, देवांगना कलीता और आसिफ़ इक़बाल तन्हा ने दिल्ली दंगे के आरोपों को लेकर दिल्ली पुलिस द्वारा ज़ब्त की गए उनसे संबंधित इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य मुहैया कराने की मांग की थी.
उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगा से जुड़े एक मामले में चार लोगों द्वारा दायर शिकायतों के आधार पर आरोपी जावेद को अप्रैल 2020 में गिरफ़्तार किया गया था. शिकायतकर्ताओं ने दावा किया था कि 25 फरवरी, 2020 को दंगाई भीड़ ने उनके घर, गोदाम और दुकानों में तोड़फोड़ व लूटपाट की थी. अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ताओं के बयान से यह स्पष्ट नहीं होता कि संबंधित अपराध हुआ था.
विधानसभा में प्रस्ताव पेश करने से पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि केंद्र को राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर की तैयारी से संबंधित अपनी पहल को भी पूरी तरह से रोक देना चाहिए. नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित करने वाला तमिलनाडु देश का आठवां राज्य बन गया है.
दिल्ली हाईकोर्ट ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के दौरान दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या के लिए अभियोजन का सामना कर रहे पांच आरोपियों को ज़मानत देते हुए कहा कि यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि विरोध करने और असहमति जताने का अधिकार एक ऐसा अधिकार है, जो लोकतांत्रिक राज्य व्यवस्था में मौलिक दर्जा रखता है.
पिछले साल उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान लूटपाट और परिसर में आग लगाने के आरोप में दर्ज पांच में चार एफ़आईआर रद्द करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने कहा कि एक ही घटना के लिए पांच अलग-अलग एफ़आईआर दर्ज नहीं की जा सकती है, क्योंकि यह शीर्ष अदालत द्वारा प्रतिपादित क़ानून के विपरीत है.
फरवरी 2020 में दिल्ली के चांदबाग इलाके में दंगों के दौरान एक दुकान में कथित लूटपाट और तोड़फोड़ से संबंधित मामले में आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के भाई शाह आलम और दो अन्य को आरोपमुक्त कर दिया. अदालत ने कहा कि इस मामले में ऐसा लगता है कि चश्मदीद गवाहों, वास्तविक आरोपियों और तकनीकी सबूतों का पता लगाने का प्रयास किए बिना ही केवल आरोप-पत्र दाख़िल करने से ही मामला सुलझा लिया गया.
लगभग साल भर से दिल्ली दंगों से संबंधित मामले में जेल में बंद उमर ख़ालिद की मां कहती हैं कि उसे बाहर आने पर हिंदुस्तान छोड़ देना चाहिए, लेकिन कुछ पलों बाद वो बदल-सी जाती हैं.
गुजरात हाईकोर्ट ने 39 वर्षीय कार्यकर्ता कलीम सिद्दिक़ी के ख़िलाफ़ अहमदाबाद पुलिस की ओर से जारी तड़ीपार करने के आदेश को निरस्त कर दिया. सीएए और एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शनों के संबंध में सिद्दीक़ी को अहमदाबाद, गांधीनगर, खेड़ा और मेहसाणा ज़िलों में एक साल की अवधि के लिए प्रवेश करने से प्रतिबंधित कर दिया था.