पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस यूयू ललित ने एक कार्यक्रम में कहा कि हाल के दिनों में गिरफ़्तारियां स्वाभाविक रूप से, बार-बार और बिना किसी कारण के की जा रही हैं. गिरफ़्तारी यह देखे बिना की जाती है कि क्या इसकी आवश्यकता है. दीवानी विवादों को आपराधिक मामलों के रूप में पेश किया जाता है और यह न्यायिक प्रणाली पर बोझ डालता है.
प्रधान न्यायाधीश के रूप में जस्टिस यूयू ललित का 74 दिन का संक्षिप्त कार्यकाल रहा. वह 65 वर्ष के होने पर इस साल आठ नवंबर को सेवानिवृत्त होंगे. सीजेआई के पद पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल दो वर्षों का होगा.
सीजेआई यूयू ललित की पीठ उस कंपनी से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने कथित तौर पर 27 बैंकों से ऋण लिया और धन की हेराफेरी की. अदालत को बताया गया कि एक पत्रकार ने संबंधित कॉरपोरेट धोखाधड़ी की पड़ताल की है और अब उन्हें धमकियों का सामना करना पड़ रहा है.
सीजेआई उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्यों के पुलिस महानिदेशकों, गृह सचिवों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के सक्षम अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अपने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस बल को धारा 66ए के प्रावधानों के कथित उल्लंघन के मामले में कोई आपराधिक शिकायत दर्ज न करने दें.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने थे. वह देश के सबसे लंबे समय तक सीजेआई रहे न्यायाधीश वाईवी चंद्रचूड़ के बेटे हैं. उनका कार्यकाल दो साल का होगा और वह 10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त होंगे.
सीजेआई उदय उमेश ललित ने अलग-अलग आदेशों के ज़रिये सुप्रीम कोर्ट के तीन रजिस्ट्रार को उनके मूल संगठनों और कैडर में वापस भेज दिया है. पूर्व सीजेआई एनवी रमना द्वारा न्यायालय में स्थायी सेवा में समाहित किए जाने से पहले वे तीनों प्रतिनियुक्ति पर थे.
बीते सप्ताह भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित के बेटे श्रीयश ललित को उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए नियुक्त चार वरिष्ठ वकीलों के पैनल में शामिल किया था, लेकिन अब नवीनतम आदेश में उनकी नियुक्ति को अगले आदेश तक टालने की बात कही गई है.
भारत के मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित के बेटे श्रीयश ललित को उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए नियुक्त चार वरिष्ठ वकीलों के पैनल में शामिल किया है.
नई प्रणाली के तहत शीर्ष अदालत के जज दो अलग-अलग पालियों में काम कर रहे हैं. प्रत्येक सोमवार और शुक्रवार को कुल 30 जज मुक़दमों की सुनवाई करते हैं और दो-दो न्यायाधीशों की पीठ का ही गठन किया जाता है. प्रत्येक पीठ औसतन 60 से अधिक मामलों की सुनवाई करती है, जिनमें नई जनहित याचिकाएं शामिल हैं.
मार्च 2015 में आईटी एक्ट की धारा 66ए रद्द कर दी थी, जिसके तहत आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने पर तीन साल तक की क़ैद और जुर्माने का प्रावधान था. सुप्रीम कोर्ट पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज़ की उस याचिका को सुन रहा है, जिसमें बताया गया है कि अब भी राज्यों द्वारा इस धारा के तहत केस दर्ज किए जा रहे हैं.
कर्नाटक सरकार बेंगलुरु के चामराजपेट ईदगाह मैदान पर गणेशोत्सव आयोजित कराना चाहती थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर यह कहते हुए रोक लगा दी कि वक़्फ़ बोर्ड के क़ब्ज़े वाली इस ज़मीन पर 200 सालों से ऐसा कोई आयोजन नहीं हुआ है, इसलिए यथास्थिति बरक़रार रखें. लेकिन, ऐसे ही एक अन्य मामले में हुबली के ईदगाह मैदान में कर्नाटक हाईकोर्ट ने गणेशोत्सव की अनुमति देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश यहां लागू नहीं होता.
प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित, जस्टिस एस. रवींद्र भट्ट और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने 2002 के गुजरात दंगों के मामलों में स्वतंत्र जांच के लिए क़रीब 20 वर्ष पहले दायर 11 याचिकाओं को बंद करते हुए कहा कि कहा कि अब इन याचिकाओं में निर्णय के लिए कुछ नहीं बचा है.
जस्टिस यूयू ललित दूसरे ऐसे सीजेआई हैं जो बार से पदोन्नत होकर सीधे शीर्ष अदालत पहुंचे हैं. हालांकि उनका कार्यकाल तीन माह से कम का होगा. वे आठ नवंबर को 65 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त होंगे.