गोदी मीडिया के पास यह मानने के क्या आधार हैं कि दूसरे जज ख़िलाफ़ में फ़ैसला देंगे? महाभियोग के आरोपों को ख़ारिज करने के क्रम में गोदी मीडिया भी सीमाएं लांघ रहा है.
कांग्रेस के नेतृत्व में सात विपक्षी पार्टियों ने मुख्य न्यायाधीश के ख़िलाफ़ महाभियोग चलाने का नोटिस उपराष्ट्रपति को दिया है. कांग्रेस ने कहा कि उसके इस क़दम के पीछे कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है.
सीजेआई दीपक मिश्रा के ख़िलाफ़ महाभियोग प्रस्ताव पर 71 सांसदों ने हस्ताक्षर किए, जिसमें कांग्रेस, राकांपा, माकपा, भाकपा, सपा, बसपा और मुस्लिम लीग शामिल हैं.
मुख्य न्यायाधीश के मुक़दमों के आवंटन के अधिकार को चुनौती देने वाली इस जनहित याचिका को पूर्व क़ानून मंत्री शांति भूषण ने दायर किया है.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे एक पत्र में जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा है, 'नियुक्ति के संबंध में कॉलेजियम कीअनुशंसाओं पर सरकार का कुंडली मारकर बैठे रहना कानूनन सत्ता का दुरुपयोग है.'
उच्चतम न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायमूर्ति चेलमेश्वर ने मामलों के आवंटन संबंधी पूर्व क़ानून मंत्री की जनहित याचिका को सूचीबद्ध करने से इनकार कर दिया.
सीजेआई दीपक मिश्रा, एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने मामलों के आवंटन के संबंध में दायर याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा कि सीजेआई कार्यालय के पास विशेष अधिकार हैं.
मुख्य न्यायाधीश के बाद सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम जज जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा है कि न्यायपालिका की हर समस्या का जवाब महाभियोग नहीं है.
जस्टिस चेलमेश्वर ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को लिखे एक पत्र में कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा सरकार के इशारे पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के खिलाफ शुरू की गई जांच पर सवाल उठाए हैं.
केंद्र सरकार पर न्यायिक नियुक्तियों को प्रभावित करने के आरोप लग रहे हैं. बीते कुछ सालों में हुई नियुक्तियों पर गौर करें तो ऐसे कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं जो भविष्य की एक ख़तरनाक तस्वीर बनाते हैं.
पिछले महीने न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में संवेदनशील जनहित याचिकाओं और महत्वपूर्ण मुक़दमे वरिष्ठता के मामले में जूनियर न्यायाधीशों को आवंटित किए जाने पर सवाल उठाए थे.
ऐसा नहीं है कि न्यायपालिका में जारी गड़बड़ियों से आम आदमी बेख़बर हो, लेकिन न्यायपालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार आमतौर पर अवमानना के डर से कभी भी सार्वजनिक बहस का मुद्दा नहीं बन सका.
बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों द्वारा मुक़दमों के आवंटन पर सवाल उठाया गया था.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस मामले की सुनवाई तभी होगी, जब शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री याचिका दर्ज करके सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेगी.
हम भी भारत की 17वीं कड़ी में आरफ़ा ख़ानम शेरवानी, जज लोया की मौत और न्यायपालिका में संकट पर वरिष्ठ अधिवक्ता उदय गवारे और सुप्रीम कोर्ट की वकील अवनि बंसल से चर्चा कर रही हैं.