राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की रिपोर्ट बताती है कि यूपी में चल रहे 111 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में से 29 पर्यावरण मंत्रालय द्वारा निर्धारित अपशिष्ट निर्वहन मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं. राज्य की कुल सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता में 15 प्रतिशत का हिस्सा रखने वाले ये प्लांट गंगा और इसकी सहायक नदियों की मुख्य धारा के पास स्थित हैं.
केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय ने राज्यसभा को बताया कि गंगा नदी में फेंके गए संभावित कोविड-19 शवों की संख्या के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. जलशक्ति राज्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और उनके मंत्रालय ने इस मामले पर राज्य सरकारों से रिपोर्ट मांगी है.
एक अधिवक्ता द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि शवों के सम्मानजनक निपटारे के लिए पंचायत, राज्य व केंद्र के स्तर पर त्रिस्तरीय समिति का गठन किया जाए. उन्होंने यह भी मांग की है कि गंगा नदी के क्षेत्र को इकोलॉजिकली संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया जाए, जिसकी सुरक्षा और संरक्षण करने की ज़रूरत है.
उत्तर प्रदेश में बलरामपुर ज़िले के सीएमओ ने बताया कि इस संबंध में नगर कोतवाली में मामला दर्ज करा दिया गया है. इसकी जांच की जा रही है. उन्होंने कहा कि शव सिद्धार्थनगर ज़िले के शोहरतगढ़ के रहने वाले प्रेम नाथ मिश्र का है और 28 मई को इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी.
बीते दिनों बिहार और उत्तर प्रदेश में गंगा व इसकी सहायक नदियों में बड़ी संख्या में संदिग्ध कोरोना संक्रमितों के शव मिलने के बाद केंद्र ने दोनों राज्यों की सरकार से इस पर रोक लगाने को कहा था. जल शक्ति मंत्रालय के साथ बैठक में यूपी सरकार ने कहा है कि प्रदेश के कुछ हिस्सों में शवों को प्रवाहित करने की परंपरा रही है.
केंद्र ने कहा कि हाल ही में गंगा और इसकी सहायक नदियों में शवों, आंशिक रूप से जले और क्षत-विक्षत शव प्रवाहित करने के कई मामले सामने आए हैं. यह अनुचित और बेहद चिंताजनक है. नमामि गंगे मिशन राज्यों को इस पर रोक लगाने और शवों का सुरक्षित और सम्मानजनक निस्तारण सुनिश्चित करने का निर्देश देता है.
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सप्ताह उत्तर प्रदेश के उन्नाव में 900 से अधिक शवों को नदी के किनारे दफनाया गया था. इसी तरह कन्नौज में यह संख्या 350, कानपुर में 400 और गाजीपुर में 280 है.
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने 11 राज्यों को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किया है. निर्देशों के तहत गंगा और उसकी सहायक नदियों में मूर्ति विसर्जन के अलावा पूजा सामग्री डालने पर सख़्ती से रोक लगाने को कहा है.