तस्वीरों का स्वामी, स्वामी की तस्वीरें

जगदीश स्वामीनाथन की वर्षगांठ पर पढ़ें कृष्ण बलदेव वैद का विलक्षण निबंध: 'स्वामी गंभीर तो है, गांभीर्यग्रस्त नहीं. उसकी कई तस्वीरें कई तरह की शरारतों और शैतानियों से खेलती हुई महसूस होती है, स्वामी रंगों और रेखाओं से उसी तरह खेलता है, जिस तरह कुछ लेखक अपने शब्दों और प्रतीकों से, कुछ गायक अपने स्वर-ताल से, कुछ अभिनेता अपनी अदाओं-मुद्राओं से.'

पिकासो और रोथको के कला संसार में विचरण

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: पिकासो की ऊर्जा और कल्पनाशीलता अथक और अपरंपार थी. फिर पिकासो से रोथको तक जाना बिल्कुल भिन्न कलासंसार में जाना है. उनके यहां कला गहन विचार, सतत चिंतन और बहुत ठहराव से उपजती है. वह कुछ गहरा और अप्रत्याशित देखती-दिखाती है पर ख़ुद को कुछ कहने से रोकती है.