सब कुछ बदलने का वादा करके आए मोदी ने भ्रष्ट आर्थिक नीतियों को ही आगे बढ़ाया

आज जब दुनिया में नाना प्रकार के खोट उजागर होने के बाद भूमंडलीकरण की ख़राब ​नीतियों पर पुनर्विचार किया जा रहा है, हमारे यहां उन्हीं को गले लगाए रखकर सौ-सौ जूते खाने और तमाशा देखने पर ज़ोर है.

क्या तिरंगा यात्राएं शक्ति प्रदर्शन का माध्यम बनती जा रही हैं?

देश के झंडे को भी क्यों सांप्रदायिक आधार पर बांटा जा रहा है? क्या हम लड़ते-लड़ते इतने दूर आ गए हैं कि देश के झंडे का भी बंटवारा कर देंगे?

गांधी का वो उपवास, जो उनके लिए आख़िरी साबित हुआ

वीडियो: आज़ादी के बाद भारत में ख़ूनखराबे का सिलसिला जारी था. इसके विरोध में गांधीजी ने अपना आख़िरी उपवास 13 जनवरी 1948 को शुरू किया था. इस घटना पर इतिहासकार दिलीप सिमीओन से चर्चा कर रहे हैं दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अपूर्वानंद.

आज के दिन शुरू हुआ वो उपवास जो गांधीजी के लिए आख़िरी साबित हुआ

आज़ादी के बाद दिल्ली में ख़ूनखराबे का सिलसिला जारी था. इसके विरोध में गांधीजी ने 12 जनवरी 1948 को घोषणा की कि वह अगले दिन यानी 13 जनवरी से उपवास शुरू करेंगे.

केंद्र सांप्रदायिकता रोकने में नाकाम, देश का धर्मनिरपेक्ष तानाबाना तबाह हो जाएगा: अब्दुल्ला

भाजपा बोली- जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग, इसे नहीं मानने वालों को पाकिस्तान में शरण लेनी होगी.

मलयाली लेखक को धमकी: 6 महीने में इस्लाम क़ुबूलो वरना सज़ा के लिए तैयार रहो

केरल साहित्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित मलयाली लेखक केपी रमनउन्नी को मिली एक अनाम चिट्ठी में उनके लेखों से लोगों के आस्था के रास्ते से भटकने का आरोप लगाते हुए ऐसा न करने की चेतावनी दी गई है.

‘हिंदुस्तान की सरज़मीं बहुत देर तक नफ़रत बर्दाश्त नहीं कर सकती’

मशहूर शायर और यूपी विधान परिषद सदस्य वसीम बरेलवी ने कहा, हमारी विचारधारा एक है. इतनी भाषाओं, मज़हब, अलग-अलग संस्कृति के बावजूद हम एक थे, एक हैं और हमेशा एक रहेंगे.

हिंदुस्तानियों की एकता मज़हबों के मेल पर नहीं, मज़हबों की चिता पर होगी: राहुल सांकृत्यायन

कहने के लिए इस्लाम शक्ति और विश्व-बंधुत्व का धर्म कहलाता है, हिंदू धर्म ब्रह्मज्ञान और सहिष्णुता का धर्म बतलाया जाता है, किंतु क्या इन दोनों धर्मों ने अपने इस दावे को कार्यरूप में परिणत करके दिखलाया?

होली खेलें आसफ़ुद्दौला वज़ीर…

जो ये मानते हैं कि होली सिर्फ हिंदुओं का त्योहार है वो होली के दिन पुराने लखनऊ जाकर देख लें. पहचानना मुश्किल हो जाएगा रंग में डूबा कौन सा चेहरा हिंदू है कौन सा मुसलमान.