बांग्लादेश के मूल्यों और संस्कृति के लिए घरेलू सांप्रदायिकता की अपेक्षा भारत में होने वाली मुसलमान विरोधी बयानबाज़ी और राजनीति ज़्यादा घातक है. भारत में मुसलमानों पर किए जा रहे व्यक्तिगत या संगठित अत्याचार हों, या अयोध्या और 'लव जिहाद' से संबंधित अदालती फैसले, इन सबका घातक प्रभाव बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्षता पर होता है.
बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था के बारे में विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके सभी अंग विकसित हो रहे हैं, हालांकि बढ़ती हुई असमानता आज भी चिंता का विषय है.
बांग्लादेश में भारत के विरोध के तीन प्रमुख कारण नज़र आते हैं- सांप्रदायिक ताक़तें, दक्षिणपंथी राजनीतिक दल और घरेलू कारणों से भारत को लेकर खड़ा किया गया भय.
'आज़ादी की लड़ाई हमेशा जारी रहती है. कभी उसका अंत नहीं होता. हमेशा उसके लिए परिश्रम करना पड़ता है, हमेशा उसके लिए क़ुर्बानी करनी पड़ती है, तब वह क़ायम रहती है.'
लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तो चुनाव विश्लेषक और राजनीतिक कार्यकर्ता योगेंद्र यादव ने कहा था कि भले सत्ता परिवर्तन नहीं हुआ, हवा में ऑक्सीजन थोड़ी बढ़ गई है. अब इस 'ऑक्सीजन' के असर को अयोध्या में महसूस किया जा सकता है.
वीडियो: देश के अग्रणी विचारकों में से एक आशीष नंदी का मानना है कि उनके जैसे लोग 2014 के चुनावों के परिणामों का अनुमान नहीं लगा पाए थे. द वायर हिंदी के संपादक आशुतोष भारद्वाज के साथ बातचीत में उन्होंने नरेंद्र मोदी, गोपाल गोडसे और मदनलाल पाहवा के साथ अपने प्रसिद्ध साक्षात्कारों को याद किया.
कभी कभार | अशोक वाजपेयी: स्वतंत्रता के अर्थ में बदलते परिवेश और समय के अनुसार कई और अर्थ जुड़ते रहे. अगर आज विचार करें तो लगेगा कि इस समय का अर्थ प्रमुख रूप से यह है कि हम झूठ-नफ़रत-हिंसा की मानसिकता और राजनीति की ग़ुलामी करने से मुक्त रहें.
पुस्तक अंश: जो अपने घोषित सिद्धांतों पर नहीं टिक सकता और जो सुविधा के मुताबिक सिद्धांत बदलता रहता है वह कायर है या वीर?
तेलंगाना के गोशामहल से भाजपा विधायक टी. राजा सिंह ने गोवा में आयोजित वैश्विक हिंदू राष्ट्र महोत्सव के समापन में कहा कि इन दिनों कई नेता कट्टर हिंदू नेता होने का दिखावा करते हैं पर चुनाव जीतने के बाद धर्मनिरपेक्ष बन जाते हैं. ऐसे सांसद-विधायक 'हिंदू राष्ट्र' की स्थापना के लिए बेकार हैं.
पुस्तक समीक्षा: युवा कहानीकार शहादत के कहानी संग्रह ‘कर्फ़्यू की रात’ की कहानियां अपने परिवेश को न केवल दर्शाती हैं, बल्कि इसमें समय के साथ बदलते हिंदुस्तान की जटिलता, संघर्ष में पिसते नागरिकों की निराशा और जिजीविषा गहराई से दर्ज है.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने कहा है कि कि भाजपा ने असमिया लोगों और आदिवासियों के लिए काम किया, लेकिन बांग्लादेशी मूल के अल्पसंख्यकों ने सत्तारूढ़ पार्टी को वोट नहीं दिया.
साल 2017 में वडोदरा में मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत एक मुस्लिम महिला को हरनी स्थित एक आवासीय परिसर में मकान आवंटित हुआ था. लाभार्थी महिला वर्तमान में अपने परिवार के साथ शहर के दूसरे इलाके में रहती है, लेकिन परिसर के रहवासियों ने 'संभावित ख़तरे' का हवाला देते हुए जिला प्रशासन में शिकायत दर्ज करवाई है.
कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: विफल होने के बाद क्या करें या न करें यह बहुत कुछ इस पर निर्भर करता है कि आपका क्या-कुछ दांव पर लगा है.
भाजपा को पूर्ण बहुमत न मिलना इस बात का संकेत है कि उसकी घृणा की राजनीति का वर्चस्व भारत में काफी कठिन है.
आम तौर पर आपातकाल को भारतीय जनतंत्र के इतिहास में बड़ा व्यवधान माना जाता है. पर उसके पहले हुए उस आंदोलन के बारे में इस दृष्टि से चर्चा नहीं होती है कि वह जनतांत्रिक आंदोलन था या ख़ुद जनतंत्र को जनतांत्रिक तरीक़े से व्यर्थ कर देने का उपक्रम. कविता में जनतंत्र स्तंभ की सत्ताईसवीं क़िस्त.