हर राजनीतिक दल जनता को जागरूक करना चाहता है. लेकिन अगर ‘पब्लिक’ सब जानती है तो उसे जागरूक करने की आवश्यकता ही क्यों हो?
साक्षात्कार: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सिग्नल की प्रेसिडेंट मेरेडिथ ह्विटेकर का मानना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को विनियमित किया जाना चाहिए. साथ ही वे मानती हैं कि यूज़र्स की निजता के साथ कोई समझौता नहीं किया जाना चाहिए.
आखिर क्या बात है कि खेती-किसानी हो, अर्थव्यवस्था के दूसरे हिस्से हों, विश्वविद्यालय हों या स्कूल, हिंदी अख़बारों या चैनलों से हमें न तो सही जानकारी मिलती है, न आलोचनात्मक विश्लेषण? क्यों सारे हिंदी जनसंचार माध्यम सरकार की जय-जयकार में जुट गए हैं?