राष्ट्रीय महिला आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, उन्हें मिली कुल 30,957 शिकायतों में से 9,710 गरिमा से जीने के अधिकार से संबंधित थीं, इसके बाद 6,970 घरेलू हिंसा और 4,600 शिकायतें दहेज उत्पीड़न से संबंधित थीं. आयोग को मिली लगभग 54.5 प्रतिशत शिकायतें उत्तर प्रदेश से आई थीं.
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बीते दिनों राज्यसभा में कहा था कि 2022-23 के दौरान 15 दिसंबर तक सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत दायर 20,756 शिकायतों और दूसरी अपीलों का निपटारा किया गया.
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में बताया कि केंद्रीय सूचना आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि 18 जुलाई 2022 तक सीआईसी के पास 26,518 अपील और शिकायत लंबित हैं.
पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने लोकपाल के समक्ष दर्ज शिकायतों की संख्या में गिरावट का हवाला देते हुए कहा है कि यह बिना जवाबदेही के वरिष्ठ नागरिकों का क्लब बन गया है. उन्होंने कहा कि बहुत उम्मीदों के साथ लोकपाल का गठन हुआ था लेकिन अफ़सोस है कि इसका भ्रष्टाचार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, विचाराधीन 20,806 नए और पुराने मामलों में से 344 मामले पुलिस हिरासत में मौत के, 3,407 मामले न्यायिक हिरासत में मौत के, 365 मामले पुलिस मुठभेड़ में मौत के हैं. वित्त वर्ष 2021-22 में अब तक उसे 53,191 शिकायतें मिली हैं. सितंबर में 10,627 नई शिकायतें मिलीं.
एक आरटीआई के जवाब में दिल्ली पुलिस ने बताया कि बीते साढ़े तीन साल में उन्हें अपने कर्मचारियों के ख़िलाफ़ क़रीब उन्नीस हज़ार शिकायतें मिलीं, जिनमें से 8.2 प्रतिशत पर कार्रवाई की गई.
कार्यकर्ताओं का कहना है कि मोदी सरकार को सूचना का अधिकार क़ानून में संशोधन करने के बजाय सूचना आयोगों में आयुक्तों की नियुक्ति करनी चाहिए ताकि आरटीआई क़ानून और मज़बूत बने.
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि केंद्र और राज्य के सूचना आयोगों में सूचना आयुक्त के पदों का ख़ाली रहना लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है. आरटीआई एक्ट पारित करने के पीछे का मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना था.
भारत से नौ साल बाद साल 2014 में आरटीआई लागू करने वाला अफगानिस्तान सूची में पहले स्थान पर है. अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संस्था एक्सेस इन्फो यूरोप और सेंटर फॉर लॉ एंड डेमोक्रेसी ने जारी की है रिपोर्ट.
रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय सूचना आयोग और राज्य सूचना आयोग के 156 पदों में से करीब 48 पद खाली हैं. वहीं 2005 से 2016 के बीच 2.5 करोड़ से अधिक आरटीआई आवेदन दायर.
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में बताया कि सरकार राज्य सूचना आयोगों में लंबित अपील या शिकायतों से संबंधित कोई आंकड़ा नहीं रखती है.
प्रख्यात अर्थशास्त्री और नीति आयोग के सदस्य देबरॉय ने कहा कि भ्रष्टाचार से अपेक्षाकृत गरीबों को ज्यादा नुकसान होता है और भ्रष्टाचार पर शिकंजे का असर अमीरों पर पड़ता है.