किसान आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र लगातार पहले स्थान पर बना हुआ है. साल 2016 में इस राज्य में सर्वाधिक 3,661 किसानों ने आत्महत्या की. इससे पहले 2014 में यहां 4,004 और 2015 में 4,291 किसानों ने आत्महत्या की थी.
महाराष्ट्र में बीते 24 अक्टूबर को आए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर जारी खींचतान के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस इस्तीफा दे चुके हैं. महाराष्ट्र की 13वीं विधानसभा का कार्यकाल शनिवार मध्यरात्रि को समाप्त हो गया है.
मुख्यधारा की पत्रकारिता तो शुरुआती दिनों से ही राम जन्मभूमि आंदोलन का अपने व्यावसायिक हितों के लिए इस्तेमाल करती और ख़ुद भी इस्तेमाल होती रही. 1990-92 में इनकी परस्पर निर्भरता इतनी बढ़ गई कि लोग हिन्दी पत्रकारिता को हिंदू पत्रकारिता कहने लगे.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद शिवसेना के दावों को ख़ारिज करते हुए देवेंद्र फड़णवीस ने कहा कि उनकी मौजूदगी में कोई फैसला नहीं लिया गया कि दोनों दल मुख्यमंत्री पद साझा करेंगे.
इससे पहले निर्वाचन आयोग ने अयोग्य घोषित विधायकों की याचिकाएं शीर्ष अदालत में लंबित होने के कारण 21 अक्टूबर को होने वाले उपचुनाव को पांच दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया था.
वित्तीय संकट से जूझ रही सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए 69,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की मंजूरी के कुछ दिनों बाद दोनों कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना पेश की है.
महाराष्ट्र में बीते 24 अक्टूबर को आए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद लंबे समय से केंद्र और राज्य में गठबंधन सहयोगी भाजपा और शिवसेना के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान जारी है.
आरोप है कि सुरक्षा बलों ने इन नाबालिगों को जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करने संबंधी अनुच्छेद 370 के ज़्यादातर प्रावधानों को निरस्त करने के फैसले के बाद हिरासत में लिया था.
केवल एक तानाशाह सरकार विपक्षी नेताओं के किसी राज्य में जाने पर रोक लगाकर विदेशी सांसदों को वहां ले जाती है.
मध्य प्रदेश सरकार ने कुपोषण से निपटने के लिए पोषण आहार कार्यक्रम में बच्चों को अंडे उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शुरू की है, लेकिन भाजपा ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है. भाजपा के एक नेता ने तो ये तक कह दिया कि इस परंपरा से बच्चों को एक दिन नरभक्षी बना दिया जाएगा.
कश्मीर में यूरोपीय सांसदों के दल के दौरे को कथित रूप से फंड देने वाला इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर नॉन-अलाइंड स्टडीज़, श्रीवास्तव समूह का हिस्सा है. इसकी वेबसाइट पर इसके कई कारोबार होने की बात कही गई है. हालांकि दस्तावेज़ ऐसा कोई बिज़नेस नहीं दिखाते, जिससे वे यूरोपीय सांसदों को भारत बुलाने और प्रधानमंत्री से मुलाकात करवाने में समर्थ दिखें.
केंद्र सरकार के पांच अगस्त के फैसले के अनुसार जम्मू कश्मीर को विभाजित कर दो केंद्रशासित प्रदेश- जम्मू कश्मीर और लद्दाख बना दिया गया है.
तमाम संसाधनों, समर्थक मीडिया और एकपक्षीय माहौल के बावजूद अगर महाराष्ट्र और हरियाणा चुनावों में इस तरह के नतीजे आए हैं तो इससे एक बार फिर यह बात साबित हुई है कि चुनाव केवल मैनेजमेंट और पैसे के बल पर नहीं जीता जा सकता है.
केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को ख़त्म किए जाने के बाद जम्मू कश्मीर के हालात जानने के लिए श्रीनगर पहुंचे यूरोपीय दल में शामिल जर्मनी के सांसद निकोलस फेस्ट ने यह बात कही है.
भारत को एक इंटरनेशनल बिज़नेस ब्रोकर के ज़रिये विदेशी सांसदों के कश्मीर आने की भूमिका तैयार करने की ज़रूरत क्यों पड़ी? जो सांसद बुलाए गए हैं वे धुर दक्षिणपंथी दलों के हैं. इनमें से कोई ऐसी पार्टी से नहीं है जिनकी सरकार हो या प्रमुख आवाज़ रखते हों. तो भारत ने कश्मीर पर एक कमज़ोर पक्ष को क्यों चुना? क्या प्रमुख दलों से मनमुताबिक साथ नहीं मिला?