महाराष्ट्र: एनसीपी नेता बाबा सिद्दीक़ी की गोली मारकर हत्या, लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने ली जिम्मेदारी

बांद्रा (पश्चिम) से तीन बार विधायक रहे बाबा सिद्दीक़ी हाल ही में कांग्रेस छोड़कर राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (अजीत पवार गुट) में शामिल हुए थे. घटना के समय वह अपने बेटे बांद्रा (पूर्व) विधायक ज़ीशान के कार्यालय पर थे.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की छवि किस तरह ख़राब की गई?

पुस्तक अंश: चुनावी राजनीति में विरोधी नेता का मज़ाक बनाना कोई नई चीज़ नहीं है. लेकिन पिछले एक दशक में यह काम संगठित ढंग से भारी पैमाने पर किया जाने लगा है. अगर इसे और अच्छी तरह से समझना है तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी के 'पप्पू' बनने की पूरी प्रक्रिया को देखना होगा.

राममनोहर लोहिया को एक चुनावी शिक़स्त उनके निधन के बाद भी हासिल हुई थी

पुण्यतिथि विशेष: डॉ. राममनोहर लोहिया के संसदीय जीवन की विडंबना पर जाएं, तो अल्पज्ञात व अचर्चित होने के बावजूद उनमें सबसे बड़ी यह है कि अपने अंतिम दिनों में वे लोकसभा में जिस कन्नौज सीट का प्रतिनिधित्व करते थे, अपने निधन के बाद आए हाईकोर्ट के फैसले में उसे हार गए थे.

हरियाणा चुनाव: कांग्रेस के बाग़ियों ने निर्दलीय चुनाव लड़कर पार्टी को कितना नुकसान पहुंचाया?

बहादुरगढ़ सीट से कांग्रेस के बाग़ी राजेश जून ने निर्दलीय चुनाव जीता है, जबकि भाजपा द्वारा जीती गईं 11 अन्य सीटों पर कांग्रेस के बाग़ी निर्दलीय चुनाव लड़कर दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे.

जम्मू-कश्मीर चुनाव: आंकड़ों के लिहाज से कश्मीर घाटी में भाजपा का प्रदर्शन कैसा रहा?

चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2008 के विधानसभा चुनाव में प्रति सीट औसतन 2 प्रतिशत से भी कम वोट हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने इस बार जिन 19 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, वहां उसका मत प्रतिशत बढ़कर औसतन 6.76 प्रतिशत हो गया है.

हरियाणा: सैनी के मंत्री, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष और चौटाला परिवार के सदस्यों समेत कई दिग्गज हारे

हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी भले ही पूर्ण बहुमत के साथ रिकॉर्ड तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाब रही हो, लेकिन उसके 10 में से 8 मंत्री चुनाव हार गए. वहीं, कांग्रेस ने निर्दलीय चुनाव लड़े पार्टी के बाग़ियों की बग़ावत से खासा नुकसान झेला है.

जम्मू-कश्मीर: कांग्रेस को एक समय अपने गढ़ रहे जम्मू में मिली सबसे बुरी हार

कांग्रेस ने जम्मू क्षेत्र की 43 में से 29 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन वह इस क्षेत्र में केवल एक सीट जीत पाई. चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर राज्य में 1967 में पहला चुनाव लड़ने के बाद से यह जम्मू क्षेत्र में पार्टी का अब तक का सबसे ख़राब प्रदर्शन रहा.

कश्मीर हारने के बावजूद जम्मू और हरियाणा ने दी भाजपा को राजनीतिक बढ़त

पिछली बार भाजपा ने जिन पार्टियों के साथ मिलकर सरकार बनाई थी- 2014 में कश्मीर की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और 2019 में हरियाणा की जननायक जनता पार्टी- इस चुनाव में उन दोनों का सफाया हो गया है.

हरियाणा चुनाव: प्रमुख राजनीतिक घराने विफल रहे, गढ़ भी नहीं बचा सके कई उम्मीदवार

हरियाणा के नामी राजनीतिक परिवारों में पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल, बंसीलाल और देवीलाल के परिवार शामिल हैं, जिनके सदस्य अपना गढ़ नहीं बचा सके. पूर्व उपप्रधानमंत्री देवीलाल के परपोते जजपा के दिग्विजय सिंह चौटाला और उनके भाई पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला अपनी सीट नहीं बचा सके.

हरियाणा: पिछली बार के मुक़ाबले अधिक महिलाएं जीतीं, पर ज़्यादातर का है राजनीतिक इतिहास

पार्टियों की हार-जीत से इतर हरियाणा में एक ज़रूरी मुद्दा महिलाओं की राजनीति में भागीदारी का है. इस बार कुल 13 महिलाएं विधायक चुनी गई हैं, जो कुल सीटों की करीब साढ़े 14 प्रतिशत है.

हरियाणा: नूंह हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ़्तार हुए कांग्रेस नेता सर्वाधिक मत अंतर से जीते

फ़िरोज़पुर झिरका सीट से कांग्रेस नेता मामन ख़ान ने भाजपा प्रत्याशी नसीम अहमद पर सबसे अधिक 98,441 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है. ख़ान को पिछले साल नूंह हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था.

हरियाणा विधानसभा चुनाव: कहां चूक गई कांग्रेस

लोकसभा चुनाव 2024 में मिली बढ़त (दस में पांच सीट) से कांग्रेस आत्मविश्वास से भरी हुई थी. उसके पास किसान आंदोलन, पहलवानों का अपमान और अग्निपथ योजना जैसे मुद्दे भी थे, मत प्रतिशत भी बढ़ा, लेकिन वह इसे जीत में तब्दील नहीं कर पाई.

हरियाणा: चुनावी दंगल में विनेश को पदक

चुनावी मैदान में जीत विनेश की लड़ाई का अंत नहीं है. यह दरसअल शुरुआत है. जिन आकांक्षाओं को लेकर उन्हें बतौर खिलाड़ी अपना करिअर शिखर पर छोड़कर राजनीति का रुख़ करना पड़ा, उन सपनों को पूरा करने का रास्ता अब आरंभ होता है.  

रेलवे भर्ती पर सरकार ने पिछला निर्णय बदला, इंजीनियरिंग और सिविल सेवा परीक्षा से होंगी भर्तियां

2019 में केंद्र सरकार ने रेलवे में भर्ती के लिए भारतीय रेलवे प्रबंधन सेवा को मंज़ूरी दी थी, पर इससे पर्याप्त तकनीकी कर्मचारी न मिलने के चलते यूपीएससी द्वारा करवाई जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा और इंजीनियरिंग सेवा परीक्षा वापस गई है.

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