धर्म के नाम पर हिंसा करना लोकप्रिय हो गया है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व करने का ठेका न तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को, न भाजपा को, न किसी राजनेता को मिला हुआ है. ये सभी स्वनियुक्त ठेकेदार हैं, जिनका सामाजिक आचरण हिंदू धर्म के बुनियादी सिद्धांतों से मेल नहीं खाता.

जेल मैनुअल में जाति-आधारित नियमों पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई, नोडल अफसर तैनात करने का इरादा

शीर्ष अदालत द वायर की पत्रकार सुकन्या शांता द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने अपनी पड़ताल के आधार पर बताया है कि कई राज्यों के जेल मैनुअल जेलों में जाति-आधारित भेदभाव को बढ़ावा देते हैं, जहां जेलों के अंदर काम के आवंटन में भेदभाव किया जाता है.

क्या ब्रॉडकास्ट बिल प्रेस की आज़ादी पर शिकंजा कसने का हथियार है?

वीडियो: 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष बने ओम बिड़ला पर पक्षपात के आरोप लगते रहे हैं. इस बार क्या उनके बर्ताव में कोई बदलाव होगा. क्या ब्रॉडकास्ट बिल की तरह प्रेस को नियंत्रित करने वाले विधेयक पारित होते रहेंगे? द वायर की नेशनल अफेयर्स एडिटर संगीता बरुआ और प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष गौतम लाहिरी के साथ चर्चा कर रही हैं मीनाक्षी तिवारी.

लोकसभा के नतीजों से पता चलता है कि भारत हिंदू राष्ट्र नहीं है: अमर्त्य सेन

नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने भाजपा सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मुझे नहीं लगता कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का विचार उचित है. भारत हिंदू राष्ट्र नहीं है, यह बात चुनाव के नतीजों से ही पता चलती है.

नए आपराधिक क़ानूनों पर रोक लगाकर हितधारकों से परामर्श करे केंद्र सरकार: तमिलनाडु सीएम

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा है कि तीन नए आपराधिक क़ानून लागू करने से पहले राज्यों को उनके विचार व्यक्त करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया और इन्हें विपक्षी दलों की भागीदारी के बिना संसद द्वारा पारित कर दिया गया.

लोकतंत्र की अग्निपरीक्षा

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: इस चुनाव ने निश्चय ही लोकतंत्र को सशक्त-सक्रिय किया है पर उसकी परवाह न करने वालों को फिर सत्ता में बने रहने का अवसर देकर अपने लिए ख़तरा भी बरक़रार रखा है.

जाति पर किस तरह बात करना जातिवाद है?

‘जातिविहीनता’ की सुविधा किसे है कि वह अपनी जाति की पहचान की मुखरता के बिना भी जीवन के हर मरहले पार करता जाए? किसे इसकी इजाज़त नहीं है? कविता में जनतंत्र स्तंभ की इक्कीसवीं क़िस्त.

दलितों का वोट है लेकिन राज उनका नहीं है

जनतंत्र में दलितों की भागीदारी क्या मात्र संख्या है या वे इस जनतंत्र की शक्ल भी तय कर सकते हैं? मतदान का जो समान अधिकार दलितों को मिला या उन्होंने लिया, वह भी ऐसे जनतंत्र का संसाधन बन गया जो पारंपरिक वर्चस्व को और मज़बूत करता है. कविता में जनतंत्र स्तंभ की बीसवीं क़िस्त.

जनतंत्र ऐसी सामूहिकता की कल्पना है जिसमें सारे समुदायों की बराबर की हिस्सेदारी हो

जनतंत्र ख़ुद इंसाफ़ है क्योंकि वह अपनी ज़िंदगी के बारे में फ़ैसला करने के मामूली से मामूली आदमी के हक़ को स्वीकार करने और हासिल करने का अब तक ईजाद किया सबसे कारगर रास्ता है. कविता में जनतंत्र स्तंभ की चौदहवीं क़िस्त.

लोकतंत्र ही नहीं हमारी मानवीयता में भी लगातार कटौती हो रही है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: हिंदी अंचल इस समय भाजपा और हिंदुत्व के प्रभाव में है, लगभग चपेट में. इस दौरान सार्वजनिक व्यवहार में कुल पंद्रह क्रियाओं से ही काम चलता है. ये हैं: रोकना, दबाना, छीनना, लूटना, चिल्लाना, मिटाना, मारना, पीटना, भागना, डराना-धमकाना, ढहाना, तोड़ना-फोड़ना, छीनना, फुसलाना, भूलना-भुलाना.

भारतीय संविधान और हिंदुत्व के पैरोकारों की अंतहीन बेचैनी

लोकसभा चुनाव के प्रचार के कई भाजपा नेता संविधान बदलने के लिए बहुमत हासिल करने की बात दोहरा चुके हैं. उनके ये बयान नए नहीं हैं, बल्कि संघ परिवार के उनके पूर्वजों द्वारा भारतीय संविधान के प्रति समय-समय पर ज़ाहिर किए गए ऐतराज़ और इसे बदलने की इच्छा की तस्दीक करते हैं.

हेमंत सोरेन ने जेल से भेजे संदेश में कहा- लोकतंत्र लुटने नहीं देंगे

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक संदेश में कहा कि भाजपा विपक्ष शासित राज्यों में सरकारों को गिराने की कोशिश कर रही है, लेकिन लोकतंत्र को ख़त्म नहीं होने दिया जा सकता. कथित भूमि धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने 31 जनवरी को हेमंत सोरेन को गिरफ़्तार किया था.

लोकसभा चुनाव: एक और भाजपा नेता ने संविधान में संशोधन की बात दोहराई

भाजपा नेताओं अनंत कुमार हेगड़े और ज्योति मिर्धा के बाद अब फ़ैज़ाबाद के मौजूदा भाजपा सांसद लल्लू सिंह ने कहा कि पार्टी 2024 के चुनावों में दो-तिहाई बहुमत हासिल करना चाहती है ताकि वह संविधान में संशोधन कर सके.

लोकसभा चुनाव ‘डिक्टेटर’ की दौड़ बन चुका है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार चुनाव शुरू होने के ऐलान के पहले सरकारी ख़र्चे से अपना प्रचार बड़े पैमाने पर कर चुकी थी. इस तरह वह पहले ही उस रेस में दौड़ना शुरू कर चुकी थी जहां विपक्षी दल इसके शुरू होने घोषणा का इंतज़ार कर रहे थे.

लोकसभा चुनाव: क्या उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता ख़ुद भाजपा के लिए चुनौती बन सकती है?

समानता के नाम पर पुष्कर सिंह धामी सरकार की जिस यूसीसी का ढोल सारे देश में पीटा जा रहा है उसमें 'निवासी' को लेकर जो परिभाषा दी गई है उसने नया बवाल खड़ा कर दिया है और इस पर सत्तारूढ़ दल को जवाब देते नहीं बन रहा है.

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