सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अभय एस. ओका ने एक कार्यक्रम में कहा कि अदालत से संबंधित कार्यक्रमों में पूजा-अर्चना बंद कर दी जानी चाहिए और कार्यक्रमों की शुरुआत से पहले संविधान की प्रस्तावना की एक प्रति के सामने झुककर धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.
केंद्र शासित प्रदेश के छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की 4 मार्च को दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद पूर्व भाजपा सांसद थुपस्तान छेवांग ने कहा कि गृह मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि छठी अनुसूची के तहत न तो राज्य का दर्जा दिया जा सकता है और न ही गारंटी दी जा सकती है.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक एडवाइज़री जारी कर कहा है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके जेल मैनुअल में कैदियों को उनकी जाति और धर्म के आधार पर अलग करने या दायित्व सौंपने का प्रावधान न हो. कुछ जेल मैनुअल ऐसी भेदभावपूर्ण प्रथाओं का प्रावधान कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस कुरियन जोसेफ ने एक कार्यक्रम में मीडिया को लेकर कहा कि लोकतंत्र पर सबसे बड़ा आघात यह है कि इसके चौथे स्तंभ मीडिया ने देश को हताश किया है. वे लोकतंत्र और संविधान की रक्षा करने, सच्चाई का बचाव करने में विफल रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस केएम जोसेफ एक कार्यक्रम में संविधान से 'धर्मनिरपेक्षता' का संदर्भ हटाने की मांग का ज़िक्र करते हुए कहा कि विविधता में एकता का अर्थ यह नहीं है कि आप विविधता को मिटा सकते हैं. इसका मतलब यह भी नहीं हो सकता कि आप विविधता को मिटाकर एकता हासिल कर लेंगे.
मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ ने अपनी याचिका में कहा है कि सितंबर 2023 में उन्हें नज़रबंदी से रिहा कर दिया गया था. हालांकि अक्टूबर 2023 से उन्हें जामिया मस्जिद में शुक्रवार की नमाज़ का नेतृत्व करने की अनुमति नहीं दी गई है. जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने केंद्रशासित प्रशासन को इस संबंध में जवाब देने के लिए अंतिम अवसर दिया है.
वीडियो: उत्तराखंड विधानसभा ने समान नागरिक संहिता विधेयक पारित कर दिया है, जो राज्य के आदिवासी समुदाय को छोड़कर सभी समुदायों पर लागू होगा. इस विधेयक में विवाह, तलाक़ समेत लिव-इन रिलेशनशिप के लिए भी विभिन्न प्रावधान दिए गए हैं. इस बारे में राजधानी देहरादून के लोगों से बातचीत.
पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी और वकील विष्णु शंकर जैन ने संविधान की प्रस्तावना से ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों को हटाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की है. 1976 में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा पेश किए गए 42वें संवैधानिक संशोधन के तहत संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द शामिल किए गए थे.
वीडियो: उत्तराखंड में भाजपा नेतृत्व वाली पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने हाल ही में समान नागरिक संहिता विधेयक विधानसभा में पारित कर दिया. इस मुद्दे को लेकर उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष करन माहरा से द वायर के अतुल होवाले की बातचीत.
उत्तराखंड के सुदूर गांवों, तहसीलों और क़स्बों में आम आदमी और लिखे-पढ़े लोग भी पूरी तरह भ्रमित हैं कि बेशुमार समस्याओं से घिरे इस छोटे-से प्रदेश में अफ़रा-तफ़री में पारित हुए विवादास्पद यूनिफॉर्म सिविल कोड बिल से उनकी ज़िंदगी किस तरह से बदलेगी.
वीडियो: उत्तराखंड विधानसभा में पुष्कर सिंह धामी की सरकार द्वारा पेश समान नागरिक संहिता विधेयक पारित कर दिया गया है. इसे लेकर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.
राज्यसभा में भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने कहा कि पूजा स्थल अधिनियम, 1991 संविधान के तहत हिंदुओं, सिखों, बौद्धों और जैनियों के धार्मिक अधिकारों को छीन लेता है. इससे देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र को भी नुकसान पहुंच रहा है. इसलिए मैं सरकार से राष्ट्रहित में इस क़ानून को तुरंत रद्द करने का आग्रह करता हूं.
लेह एपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस ने लोगों से संविधान की छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा और विशेष दर्जे की मांग, एक लोक सेवा आयोग के निर्माण, स्थानीय लोगों के लिए नौकरी में आरक्षण, शीघ्र भर्ती अभियान और संसद में लेह और करगिल जिलों के लिए अलग प्रतिनिधित्व के लिए लड़ने के लिए एकजुट होने को कहा है.
महाराष्ट्र: एफटीआईआई में हिंदुत्ववादियों के बाबरी संबंधी बैनर को जलाने के बाद पुलिस ने केस दर्ज किया
23 जनवरी को पुणे में भारतीय फिल्म और टेलीविजन संस्थान (एफटीआईआई) परिसर में बाबरी मस्जिद विध्वंस पर बनी एक फिल्म की स्क्रीनिंग को लेकर हिंदुत्ववादी संगठनों के सदस्यों द्वारा छात्रों पर हमला करने की ख़बर आई थी. बताया गया है कि उन लोगों ने 'रिमेंबर बाबरी' लिखे एक बैनर को भी जलाया था.
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने सर्वदलीय बैठक में अफ़वाहों पर विराम लगाते हुए बताया कि मई में हिंसा शुरू होने के बाद से राज्य में अनुच्छेद 355 प्रभावी है. यह अनुच्छेद केंद्र को राज्य सरकार को बर्ख़ास्त किए बिना राज्य के क़ानून-व्यवस्था को संभालने का अधिकार देता है.