मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर ज़िले का है, जहां के निवासी अक्षय भटनागर ने बताया कि मई महीने में कोरोना संक्रमण के चलते उनके भाई गुज़र गए थे, लेकिन स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से दिसंबर में आए एक मैसेज में कहा गया कि उनके भाई को कोविड रोधी टीके की दूसरी डोज़ लग गई है.
कोर्ट ने कहा कि टीकाकरण योजना ने भारत में नागरिकों के दो वर्ग बना दिए हैं. इसमें एक तरफ़ कोवैक्सीन लेने वाले नागरिक शामिल हैं जिनकी आवाजाही पर पाबंदी है, वहीं दूसरी ओर वो हैं जिन्होंने कोविशील्ड टीका लिया और वे कहीं भी जा सकते हैं. इसके चलते ‘आवाजाही के मौलिक अधिकार का उल्लंघन’ हुआ है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, इन 48 ज़िलों में से 27 उत्तरपूर्वी राज्यों में हैं, जिनमें से आठ-आठ ज़िले मणिपुर और नगालैंड में हैं. झारखंड में सर्वाधिक नौ ज़िले हैं, जहां पचास फीसदी से भी कम लोगों को कोरोना का पहला टीका लगा है. इस सूची में दिल्ली का एक और महाराष्ट्र के छह ज़िले शामिल हैं.
स्क्रोल डॉट इन की रिपोर्ट के मुताबिक़, 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के अवसर पर ज़्यादा कोविड टीकाकरण दिखाने के लिए बिहार सरकार ने 15 और 16 सितंबर के दैनिक टीकाकरण आंकड़ों को कोविन पोर्टल पर अपलोड नहीं किया और इसे 17 सितंबर वाले आंकड़ों में जोड़ा गया.
मिज़ोरम सरकार की उस मानक संचालन प्रक्रिया को गुवाहाटी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि सभी लोगों को टीका लगवाना होगा, नहीं तो उन्हें अपने घर से बाहर निकलने, घर से दूर जाकर कमाई करने, सार्वजनिक गाड़ियों की ड्राइविंग इत्यादि की अनुमति नहीं दी जाएगी. अदालत ने कहा कि ऐसा करना संविधान के तहत दिए गए समानता के अधिकार का उल्लंघन है.
मेघालय हाईकोर्ट ने कहा कि दुकानदारों, टैक्सी ड्राइवरों आदि को अपना व्यवसाय दोबारा शुरू करने के लिए टीका लगाने के लिए मजबूर करना इससे जुड़े भलाई के मूल उद्देश्य को प्रभावित करता है.
केंद्र ने राज्यों, निजी अस्पतालों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों को सीधे टीका निर्माताओं से खुराक खरीदने की अनुमति भी दी है. सरकार ने कहा कि टीका उत्पादकों को राज्य सरकारों को और खुले बाज़ार में उपलब्ध होने वाली 50 प्रतिशत आपूर्ति की कीमत एक मई, 2021 से पहले घोषित करनी होगी.
कोविड-19 पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि हमें यह देखने में दिलचस्पी नहीं रखनी चाहिए कि कितने लोगों को टीका लग चुका है, बल्कि आबादी के कितने प्रतिशत का टीकाकरण हो चुका है, यह महत्वपूर्ण है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन ने मनमोहन सिंह की आलोचना की है.
हाल ही में राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण प्रमुख ने कोरोना संक्रमण को रोकने की दलील देते हुए कहा कि टीकाकरण के लिए चेहरा पहचान तकनीक का प्रयोग किया जा सकता है. हालांकि अधिकार संगठनों ने इसे लोगों की निजता के साथ खिलवाड़ बताया है.
पूर्व स्वास्थ्य सचिव सुजाता राव ने टीका लगवाने में हिचक के लिए ग़लत सूचना के प्रसार, इसे लेकर लोगों में स्थिति स्पष्ट न होने और कोरोना मामलों में गिरावट की वजह से बेसब्री ख़त्म होने को प्रमुख कारण बताया है. राव ने नियामक से टीके को लेकर उपयुक्त डाटा साझा करने और अभियान में निजी क्षेत्र को जोड़ने की वकालत भी की है.