टीका नहीं लगवाने वाले लोगों को घर से बाहर निकलने और कमाने पर रोक लगाना अवैध: गुवाहाटी हाईकोर्ट

मिज़ोरम सरकार की उस मानक संचालन प्रक्रिया को गुवाहाटी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि सभी लोगों को टीका लगवाना होगा, नहीं तो उन्हें अपने घर से बाहर निकलने, घर से दूर जाकर कमाई करने, सार्वजनिक गाड़ियों की ड्राइविंग इत्यादि की अनुमति नहीं दी जाएगी. अदालत ने कहा कि ऐसा करना संविधान के तहत दिए गए समानता के अधिकार का उल्लंघन है.

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(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

मिज़ोरम सरकार की उस मानक संचालन प्रक्रिया को गुवाहाटी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि सभी लोगों को टीका लगवाना होगा, नहीं तो उन्हें अपने घर से बाहर निकलने, घर से दूर जाकर कमाई करने, सार्वजनिक गाड़ियों की ड्राइविंग इत्यादि की अनुमति नहीं दी जाएगी. अदालत ने कहा कि ऐसा करना संविधान के तहत दिए गए समानता के अधिकार का उल्लंघन है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: गुवाहाटी हाईकोर्ट ने बीते दो जुलाई को मिजोरम सरकार के उस मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को मनमाना और अवैध ठहराया, जिसके तहत टीकाकरण नहीं कराने वाले लोगों को आजीविका कमाने से रोकने, जरूरी सामानों के लिए घर से बाहर निकलने पर रोक लगाने इत्यादि के प्रावधान किए गए थे.

कोर्ट ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 का उल्लंघन है.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस माइकल जोथनखुम और जस्टिस नेल्सन सैलो की पीठ ने कहा कि किसी व्यक्ति को घर से निकलने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि उन्हें दवाइयां, खाने-पीने की चीजें, अपने प्रियजनों इत्यादि से मिलने के लिए बाहर जाना पड़ सकता है.

पीठ ने कहा, ‘लेकिन नई एसओपी के तहत एक तरह से उन्हें नजरबंद किया जा रहा है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है, जबकि वैक्सीन की पहली डोज लगवाए लोगों घर से निकलने की इजाजत दी गई है.’

कोर्ट ने कहा कि जब एसओपी में पहले ही कहा गया है कि सभी लोगों को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा और मास्क लगाना होगा, ऐसे में टीका नहीं लगवाए लोगों के प्रति कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए.

इसके साथ ही न्यायालय ने यह भी कहा कि वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को अपनी आजीविका कमाने की इजाजत दी गई है, जबकि टीका नहीं लगवाने वाले लोगों पर इसका प्रतिबंध लगाया गया है. यह व्यापक स्तर पर एक भेदभाव है.

हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई तथ्य उपलब्ध नहीं है जो ये साबित कर सके कि कोविड-19 टीके की पहली डोज लगवाए लोग संक्रमित नहीं सकते हैं या वे संक्रमण नहीं फैला सकते हैं.

न्यायालय ने कहा, ‘राज्य के प्रोटोकॉल के अनुसार यदि टीका लगवाए व्यक्ति और गैर-टीकाकृत व्यक्ति दोनों को अपने चेहरे को मास्क से ढकना होता है, तो गैर-टीकाकृत व्यक्तियों के खिलाफ भेदभाव करने का कोई कारण नहीं बनता है.’

मिजोरम सरकार की उस मानक संचालन प्रक्रिया को अदालत में चुनौती दी गई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि सभी लोगों को टीका लगवाना होगा, नहीं तो उन्हें अपने घर से बाहर निकलने, घर से दूर जाकर कमाई करने, सार्वजनिक गाड़ियों की ड्राइविंग इत्यादि की इजाजत नहीं दी जाएगी.

कोर्ट ने कहा कि टीका लगवाए व्यक्ति को भी संक्रमण हो सकता है और वो इसे फैला भी सकता है, इसलिए यदि टीककृत और गैर-टीकाकृत दोनों में संक्रमण हो सकता है तो सिर्फ गैर-टीकाकृत पर पाबंदियां लगाना उचित नहीं है और ऐसा करना संविधान के तहत दिए गए समानता के अधिकार का उल्लंघन है.

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