महाराष्ट्र में एमबीबीएस के द्वितीय वर्ष के छात्रों के लिए ‘एसेंशियल्स ऑफ मेडिकल माइक्रोबायलॉजी’ में कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को कथित तौर पर नई दिल्ली में तबलीग़ी जमात के कार्यक्रम से जोड़ा गया था, जिस पर आपत्ति जताई गई थी. लेखकों ने इस संबंध में माफ़ी भी मांगी है.
भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला से मुलाकात के दौरान बांग्लादेश के विदेश सचिव मसूद बिन मोमेन ने लॉकडाउन के कारण प्रभावित बांग्लादेश के तबलीग सदस्यों और 25 बांग्लादेशी मछुआरों की जल्द वापसी का अनुरोध किया.
सरकार द्वारा ग़रीबों की मदद के नाम पर स्वास्थ्य संबंधी मामूली घोषणाएं की गई हैं. हमें नहीं पता अगर कोई ग़रीब कोरोना से संक्रमित हुआ तो उसे उचित स्वास्थ्य सुविधा मिल सकेगी. अगर अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आई तो बेड और वेंटिलिटर जैसी सुविधाएं मिलेंगी?
देशभर में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन से उत्पन्न आर्थिक स्थितियां उन लोगों को बुरी तरह प्रभावित करेंगी, जो इस महामारी से तो शायद बच जाएंगे, लेकिन रोज़मर्रा की आवश्यक ज़रूरतों का पूरा न होना उनके लिए अलग मुश्किलें खड़ी करेगा.
कोरोना वायरस के मद्देनज़र देश में लागू लॉकडाउन के चलते ज़रूरी दवाओं की भी घर पर आपूर्ति की अनुमति दी गई है. सरकारी आदेश के अनुसार, ऐसी दवाएं जिन्हें लोगों के घरों तक पहुंचाया जाएगा, उन्हें किसी योग्य डॉक्टर के पर्चे के बिना नहीं ख़रीदा जा सकेगा.
बांग्लादेश में पढ़ने वाले इन मेडिकल छात्र-छात्राओं में अधिकतर जम्मू कश्मीर से हैं. कोरोना संक्रमण के चलते कॉलेज और हॉस्टल बंद होने के बाद वे घर लौट रहे थे.