मामला कामरूप ज़िले के एक कोविड केयर सेंटर का है, जहां रह रहे मरीज़ों का आरोप है कि उन्हें सेंटर में उचित खाना-पीना नहीं दिया जा रहा, बिस्तरों की हालत भी ठीक नहीं है, साथ ही 10-12 मरीज़ों को एक ही कमरे में रखा गया है.
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड का कहना है कि मंदिर में सार्वजनिक दर्शन को रोकने की कोई योजना नहीं है. श्रद्धालुओं के कोरोना संक्रमित होने के कोई सबूत नहीं हैं.
उत्तर प्रदेश के बांदा ज़िले के इंगुआ गांव का मामला. मृतक के भाई ने बताया कि मुंबई से लौटने के बाद गांव में उन्हें कोई काम नहीं मिल रहा था, जिस वजह से वह आर्थिक रूप से परेशान थे.
पेशे से बस ड्राइवर इस शख़्स को 13 जुलाई को बुखार आया था, जिसके बाद जांच में वह कोरोना पॉजिटिव पाए गए. अस्पताल, हेल्पलाइन, थाने आदि कहीं से भी मदद न मिलने के बाद वे जब पैदल मुख्यमंत्री आवास पहुंचे, तो वहां के स्टाफ ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया.
मामला बेंगलुरु के विक्टोरिया अस्पताल का है. यहां वेंटिलेटर पर रखे मरीज़ों की मृत्यु दर ब्रिटेन, अमेरिका और इटली जैसे देशों में हुई ऐसी स्थिति में हुई मौतों की तुलना में बहुत अधिक है. इटली में कोरोना के चरम पर होने पर वहां वेंटिलेटर पर मरीज़ों की मृत्यु दर 65 फीसदी थी.
कोरोना पर कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री बी. श्रीरामुलु के बयान के बाद कांग्रेस ने कहा कि उनका बयान दिखाता है कि येदियुरप्पा सरकार कोविड संकट से लड़ने में नाकाम रही है. बाद में स्वास्थ्य मंत्री ने सफाई देते हुए कहा कि मीडिया के एक वर्ग ने उनके बयान को ग़लत तरीके से पेश किया.
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मौजूदा हालात को देखते हुए ज़रूरी शर्तों या प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए आईसीएमआर द्वारा दिया गया एक महीने का समय बहुत लंबा है.
भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में 2018 से जेल में बंद 81 साल के वरवरा राव के परिजनों ने बीते सप्ताह उनकी सेहत के बारे में चिंता जताते हुए जेल प्रशासन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया था.
केंद्रीय सुरक्षा बलों में बीते बुधवार तक सामने आए कोविड-19 के 242 नए मामलों में सीआरपीएफ से सबसे ज़्यादा 77 मामले सामने आए. उसके बाद बीएसएफ से 68, आईटीबीपी से 43, सीआईएसएफ से 41 और एसएसबी से 13 मरीज़ मिले हैं.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों को एहतियात बरतने के लिए रेड अलर्ट जारी करते हुए कहा है कि वरिष्ठ और युवा डॉक्टर समान रूप से कोरोना संक्रमित हो रहे हैं, लेकिन वरिष्ठों की मृत्यु दर अधिक है.
कोविड संक्रमण के ख़तरे के बीच भी देशभर के मीडियाकर्मी लगातार काम कर रहे हैं, लेकिन मीडिया संस्थानों की संवेदनहीनता का आलम यह है कि जोखिम उठाकर काम रहे इन पत्रकारों को किसी तरह का बीमा या आर्थिक सुरक्षा देना तो दूर, उन्हें बिना कारण बताए नौकरी से निकाला जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका दायर में कहा गया था कि निजी अस्पताल कोरोना इलाज के लिए अत्यधिक शुल्क वसूल रहे हैं, जिस पर लगाम लगाने के लिए इलाज की अधिकतम लागत तय की जानी चाहिए.
एक कंपनी द्वारा श्रमिकों को वेतन न देने के मामले की सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि गृह मंत्रालय के आदेश के तहत उन्हीं कर्मचारियों या कामगारों को लाभ मिलेगा, जो लॉकडाउन लगने वाले दिन तक नौकरी पर थे और उन्हें तनख़्वाह मिल रही थी.
सुप्रीम कोर्ट के जज डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इन लोगों ने पिछले 70 सालों से इंतज़ार किया है. अब इन्हें और इंतज़ार करने के लिए नहीं कहा जा सकता है. हाशिये पर पड़े लोगों के लिए सामाजिक सुरक्षा और सार्वजनिक अधिकार सुनिश्चित करने की ज़रूरत है.
दिल्ली के हकीम अब्दुल हमीद सेंटेनरी अस्पताल ने बिना कारण बताए अस्पताल की 84 नर्सों को नौकरी से हटा दिया है, इनमें एक कोरोना संक्रमित नर्स भी शामिल हैं. इंडियन प्रोफेशनल नर्सेज एसोसिएशन ने अस्पताल को पत्र लिखकर इस फ़ैसले को वापस न लेने पर क़ानूनी कार्रवाई करने की बात कही है.