आईसीएमआर द्वारा कराए गए एक अध्ययन के अनुसार कोविड महामारी के नवंबर के पहले सप्ताह तक अपने चरम पर पहुंचने के बाद 5.4 महीनों के लिए आइसोलेशन बेड, 4.6 महीनों के लिए आईसीयू बेड और 3.9 महीनों के लिए वेंटिलेटर कम पड़ जाएंगे.
एक मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि महामारी और इसके कारण लगाए लॉकडाउन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अस्थिर कर दिया और दिखा दिया कि भारत में प्रवासी मज़दूरों की स्थिति कितनी दयनीय है.
दिल्ली में बीते सप्ताह कोरोना टेस्ट कराने वाले लोगों में से लगभग 30.5 प्रतिशत लोग संक्रमित पाए गए. सात जून को समाप्त हुए हफ़्ते में यह दर 23 फ़ीसदी और इससे पिछले हफ़्ते में 14 फ़ीसदी थी.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल अनिल बैजल के साथ बैठक के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों में सस्ती दर पर कोरोना वायरस के इलाज कराने के संबंध में एक कमेटी बनाई है और कोरोना संक्रमण रोकने के लिए घर-घर जाकर स्वास्थ्य सर्वे किया जाएगा.
स्वयंसेवी संगठन स्ट्रैंडेड वर्कर्स एक्शन नेटवर्क के सर्वेक्षण के अनुसार लॉकडाउन के दौरान घर पहुंचे मज़दूरों में से 62 फ़ीसदी ने यात्रा के लिए 1,500 रुपये से अधिक खर्च किए.
केंद्र सरकार ने जिन पांच राज्यों को चेताया है, उनमें तमिलनाडु, महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश शामिल है. अनुमान है कि यहां जून से अगस्त के बीच आईसीयू और वेंटिलेटर की कमी पड़ सकती है.
जीटीबी अस्पताल कोविड-19 के लिए अधिकृत अस्पताल है, जहां भर्ती कोरोना संक्रमितों के परिजनों का कहना है कि स्टाफ बमुश्किल ही मरीज़ों के वॉर्ड में जाता है. खाने-पीने से लेकर शौचालय जाने तक में मदद के लिए मरीज़ अपने परिवार पर निर्भर है.
घटना डारंग जिले के मंगलदोई सिविल अस्पताल की है, जहां मिलते-जुलते नाम वाले एक मरीज़ को कोरोना से ठीक हुआ समझकर डिस्चार्ज कर दिया गया, जबकि तब तक उनकी रिपोर्ट नहीं आई थी. बाद में उन्हें नेगेटिव पाया गया.
उत्तर प्रदेश के पूर्व आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने ट्वीट कर राज्य में कम कोरोना टेस्टिंग होने को लेकर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने कहा था कि मुख्य सचिव ने ज़्यादा टेस्ट कराने वाले ज़िलाधिकारियों को फटकार लगाई है. एफआईआर में इस ट्वीट को भ्रामक बताया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 मरीजों का उचित इलाज और शवों का सम्मानित ढंग से प्रबंधन करने पर स्वत: संज्ञान लेते हुए कहा है कि विभिन्न राज्यों में कोरोना की चिंताजनक स्थिति है और लोगों के साथ जानवरों से बदतर सलूक किया जा रहा है. शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से भी इस मामले में जवाब मांगा है.
दिल्ली के तीनों नगर निगमों का कहना है कि राजधानी में अब तक 2,098 लोगों की कोरोना से मौत हुई है, जबकि दिल्ली सरकार के आंकड़ों के अनुसार अब तक 1,085 लोगों की मौत हुई है. सरकार की ओर से कहा गया है कि यह समय एकजुट होकर लोगों की ज़िंदगी बचाने का है, आरोप लगाने का नहीं.
आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक दिल्ली में कुल 57,709 बेड हैं, जबकि दिल्ली सरकार ने कहा है कि जुलाई अंत तक उन्हें 80,000 बेड की ज़रूरत पड़ेगी. कोरोना से लड़ने के लिए सिर्फ़ बेड ही पर्याप्त नहीं होंगे, इसके लिए बड़ी संख्या में स्वास्थ्यकर्मियों की भी ज़रूरत होगी.
बीते पांच जून को नोएडा के कम से कम आठ अस्पतालों ने कोरोना संक्रमित होने के संदेह में आठ माह की एक गर्भवती महिला को भर्ती करने से इनकार कर दिया था. करीब 13 घंटे तक परिवार द्वारा कई अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद महिला ने एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया था.
बीते दिनों मध्य प्रदेश के शाजापुर के एक बुज़ुर्ग मरीज़ को अस्पताल के बेड पर रस्सियों से बांधने का वीडियो सामने आया था. मरीज़ की बेटी ने बताया कि बढ़ते बिल को देखकर जब उन्होंने अपने पिता को डिस्चार्ज करने को कहा तब अस्पताल ने बिना पैसे चुकाए ऐसा करने से मना कर दिया. जांच में यह बात सही पाए जाने के बाद अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है.
बीते सप्ताह बिहार सरकार ने 15 जून के बाद से सभी प्रखंड स्तरीय क्वारंटीन सेंटर्स को बंद करने का आदेश दिया है. दूसरे राज्यों से आ रहे कामगारों में कोविड संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच लिए गए सरकार के इस फ़ैसले पर सवाल उठ रहे हैं. कहा जा रहा है कि इन सेंटर्स की फंड संबंधी गड़बड़ियों के चलते यह निर्णय लिया गया है.