हरिद्वार और दिल्ली में आयोजित ‘धर्म संसद’ कार्यक्रमों में नफ़रती भाषणों के ख़िलाफ़ दायर याचिका का विरोध करते हुए दो दो दक्षिणपंथी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में जवाबी याचिकाएं दायर की है. दोनों ने शीर्ष अदालत से उन्हें इस मामले में पक्षकार बनाने की अपील की है. एक हिंदू संगठन ने पूर्व में मुस्लिम नेताओं द्वारा हिंदुओं के ख़िलाफ़ दिए गए ऐसे ही भाषण के लिए हिंदुओं को समान सुरक्षा दिए जाने की मांग की है.
उत्तराखंड के विभिन्न ज़िलों में भीड़ हिंसा और नफ़रत की राजनीति के विरोध में लोगों ने प्रदर्शन करते हुए राज्य में अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ बढ़ रहे अपराधों पर चिंता जताई है. कोरोना की पहली लहर में सरकार ने ताली-थाली बजवाई थी, उसी तर्ज पर इस दौरान कनस्तर बजाकर नारे लगाए गए और हिंसा ख़त्म करने की अपील की गई. साथ में नारे लिखे पोस्टर दिखाकर सरकार के प्रति अपना रोष व्यक्त किया गया.
सरगुजा ज़िले में एक अक्टूबर को कथित तौर पर हिंदुओं के ईसाई धर्म में जबरन धर्मांतरण में बढ़ोतरी के विरोध में एक रैली का आयोजन किया गया, जिसमें भाजपा के कई दिग्गज नेता शामिल हुए. रैली में स्वामी परमात्मानंद ने इन कथित जबरन धर्मांतरण में शामिल अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर उनकी हत्या का आह्वान किया.
बीते मई महीने में दक्षिणी दिल्ली के छतरपुर इलाके के रहने वाले वसीम ख़ान ने पड़ोस में हो रही लड़ाई को देखकर पुलिस हेल्पलाइन पर कॉल करके मदद मांगी थी. पुलिस ने इस लड़ाई के संबंध में बयान देने के लिए उन्हें थाने में बुलाया था. आरोप है कि उन्हें बेरहमी से पीटा गया. वसीम की कमर में बुरी तरह से चोट आई है, जिसकी वजह से वह फ़िलहाल बिस्तर पर है और मुश्किल से चल-फिर पा रहे हैं.
मामला भरूच ज़िले के दाहेज थानाक्षेत्र का है. पुलिस का कहना है कि सीसीटीवी कैमरे की फुटेज में पता चला है कि पीड़ित युवक को पास के गांव के पांच युवकों ने पीटा है. हमने उनकी तलाश शुरू कर दी है.