कोरोना: मोदी सरकार के पास न रणनीति है, न ही मानवता

बीते छह सालों में मोदी सरकार के कई फ़ैसले दिखाते हैं कि उसे जनता में डर और दहशत पैदा करने का विचार पसंद है. नोटबंदी में लंबी लाइनों में लगकर पुराने नोटों को बदलना हो, नागरिकता साबित करने के लिए कागज़ जुटाना या अचानक हुए लॉकडाउन में अनहोनी के डर पलायन, सरकार के फ़ैसलों की मार समाज के आर्थिक रूप से कमज़ोर तबके पर ही पड़ी है.

‘एक टाइम खाना मिलता है, भूख लगती है तो सो जाते हैं’

वीडियो: दिल्ली के कालिंदी कुंज के श्रम विहार इलाके में बसे शरणार्थी कैंप में रहने वाले करीब 400 परिवार लॉकडाउन में सरकारी मदद न मिलने से निराश हैं. पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश के साथ म्यांमार से आकर यहां बसे रोहिंग्या शरणार्थियों से विशाल जायसवाल की बातचीत.

प्रधानमंत्री जी, जनता को संकट की इस घड़ी में भरोसा दें, भरम नहीं

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरोना महामारी से फैले अंधकार के बीच हमें निरंतर प्रकाश की ओर जाना है. जो इस कोरोना संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, हमारे ग़रीब भाई-बहन, उन्हें निराशा से आशा की तरफ ले जाना है. काश, वे यह समझते कि ये ग़रीब इस तरह निराश नहीं हुआ करते, वे तभी हारते हैं जब ढोंग और ढकोसलों में भरमा दिए जाते हैं.

कोई भी लोकतंत्र मीडिया का मुंह बंद करके वैश्विक महामारी से नहीं लड़ रहा है: एडिटर्स गिल्ड

इस हफ़्ते की शुरुआत में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि मीडिया कोरोना वायरस संबंधी कोई भी जानकारी छापने या दिखाने से पहले सरकार से इसकी पुष्टि कराए. इसके बाद अदालत ने मीडिया को निर्देश दिया कि वे ख़बरें चलाने से पहले उस घटना पर आधिकारिक बयान लें.

क्या कोरोना वायरस की कवरेज को लेकर अप्रत्यक्ष रूप से मीडिया सेंसरशिप लागू की जा रही है?

सरकार से पुष्टि के बाद कोरोना वायरस से संबंधित ख़बरें मीडिया द्वारा चलाए जाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अलग-अलग मायने निकले जा सकते हैं. हो सकता है कि केंद्र इसे मीडिया सेंसरशिप के लिए इस्तेमाल करने लगे या मीडिया सेल्फ सेंसरशिप करने लगे. अगर ऐसा होता है तो यह अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए गंभीर ख़तरा होगा.

कोरोना: पीआईबी और प्रेस काउंसिल ने मीडिया से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने की अपील की

बीते मंगलवार को केंद्र सरकार की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया से कहा था कि वह सरकार से पुष्टि के बाद ही कोरोना वायरस से संबंधित खबरें चलाए.

मज़दूरों का सामूहिक पलायन व्यवस्था और समाज के बारे में क्या बताता है

प्रवासी मज़दूरों का सामूहिक पलायन भुखमरी के तात्कालिक भय से कहीं ज़्यादा, ग़रीब हिंदुस्तानियों के सामूहिक अवचेतन में सदियों से बैठी इस धारणा का प्रमाण है कि उन्हें सत्ता, उसकी व्यवस्था और समाज के संपन्न वर्ग से कभी कोई आशा नहीं करनी चाहिए और यह कि 'अंत में ग़रीब की कोई नहीं सुनेगा.'

हरियाणा: पानीपत में प्रशासन ने प्रवासी मज़दूरों के लिए सड़ी हुई खिचड़ी के पैकेट भिजवाए

हरियाणा के पानीपत में रह रहे कई प्रवासी मज़दूरों ने शिकायत की है कि या तो प्रशासन उन्हें भोजन मुहैया नहीं करा रहा है और अगर कहीं पर खाना पहुंच भी रहा है तो उसकी गुणवत्ता काफी ख़राब है.

सरकार से पुष्टि के बाद ही कोरोना वायरस से संबंधित खबरें चलाए मीडिया: सुप्रीम कोर्ट

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से यह निर्देश दिए जाने की मांग की थी कि सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए सिस्टम से कोरोना वायरस पर तथ्यों की पुष्टि किए बिना कोई भी मीडिया प्रतिष्ठान किसी खबर का प्रकाशन अथवा प्रसारण न करे.

वायरस के मुकाबले दहशत से होंगी ज्यादा जिंदगियां बर्बाद: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि प्रवासी मजदूरों को दहशत से उबरने में मदद करने के लिए प्रशिक्षित परामर्शदताओं और सभी धर्मों के नेताओं की मदद ली जाए.

हरियाणा: लॉकडाउन में 3500 परिवारों को राशन का इंतज़ार, कहा- गांव नहीं जाने दिया, अब भूखा मार रहे

हरियाणा के पानीपत ज़िले के प्रवासी बुनकरों, रिक्शा चालकों समेत हजारों दिहाड़ी मज़दूरों को राशन नहीं मिल पा रहा है. इसमें से कई लोग अपने गांव वापस लौट रहे थे, लेकिन प्रशासन ने इन्हें ये आश्वासन देकर रोका है कि उन्हें खाने-पीने की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी.

लॉकडाउन: बीएसएनएल, एमटीएनएल और एयरटेल ने बढ़ाई प्रीपेड वैधता, अतिरिक्त टॉकटाइम मिलेगा

देशव्यापी लॉकडाउन के कारण ट्राई के निर्देश पर बीएसएनएल, एमटीएनएल और एयरटेल ने प्रीपेड ग्राहकों की वैधता 20 अप्रैल तक बढ़ाने और 10 रुपये का अतिरिक्त टॉकटाइम देने की घोषणा की, जो प्रति उपभोक्ता कम खर्च करने वाले ग्राहकों के लिए सीमित होगी. इसका फायदा करीब आठ करोड़ ग्राहकों को होगा.

मज़दूरों का पलायन रोकने के लिए उठाए गए क़दमों पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से रिपोर्ट तलब की

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं में कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लागू 21 दिनों के लॉकडाउन की वजह से बेरोज़गार होने वाले हज़ारों प्रवासी कामगारों के लिए खाना, पानी, दवा और समुचित चिकित्सा सुविधाओं जैसी राहत दिलाने का अनुरोध किया गया है.

लॉकडाउन नहीं, कमज़ोर तैयारियों के लिए माफी मांगिए मोदी ​जी…

वीडियो: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में लॉकडाउन के चलते हो रही परेशानियों के लिए जनता से माफी मांगी है. इस मुद्दे पर द वायर की सीनियर एडिटर आरफ़ा ख़ानम शेरवानी का नज़रिया.

लॉकडाउन में पलायन: आठ सौ किलोमीटर, साठ घंटे और दस मज़दूरों का संघर्ष

कोरोना संक्रमण के मद्देनज़र हुए लॉकडाउन के बाद दस मज़दूर हरियाणा के बल्लभगढ़ से उत्तर प्रदेश के देवरिया में अपने घर पहुंचे हैं. 800 किलोमीटर की यह यात्रा उन्होंने तीन दिनों में पैदल, ट्रक, ऑटो और सरकारी बस की मदद से पूरी की.