सात महीने से जातीय संघर्ष से जूझ रहे मणिपुर में ताज़ा झड़पें अब तक की हिंसा में मारे गए 87 कुकी-ज़ोमी पीड़ितों के सामूहिक दफ़न कार्यक्रम से पहले हुईं. ये घटनाएं सोमवार को चूड़ाचांदपुर शहर के कई हिस्सों और थिंगखांगफाई गांव में हुईं, जिसमें लगभग 30 लोग घायल हुए हैं.
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला एवं जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि शवों को अनिश्चितकाल तक मुर्दाघर में नहीं रखा जा सकता. अदालत में दी गई दलीलों के अनुसार, 88 पहचाने गए शव मुर्दाघर में हैं, जिन पर उनके परिजनों ने दावा नहीं किया है. छह शवों की कथित तौर पर पहचान नहीं हुई है.
मणिपुर में हिंसा की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई समिति ने राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि वह उन शवों के परिजनों की पहचान करने के प्रयास करे जो 3 मई को शुरू हुई जातीय हिंसा के बाद से राज्य के मुर्दाघरों में लावारिस पड़े हुए हैं.
केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय ने राज्यसभा को बताया कि गंगा नदी में फेंके गए संभावित कोविड-19 शवों की संख्या के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. जलशक्ति राज्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और उनके मंत्रालय ने इस मामले पर राज्य सरकारों से रिपोर्ट मांगी है.
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा द्वारा लिखी गई एक किताब में गंगा पर पड़े महामारी के भयावह प्रभाव की व्याख्या की गई है. उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि नदी को बचाने के लिए पिछले पांच सालों में जो कार्य किए गए थे, उन्हें नष्ट किया जा रहा है. कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान शव मिलने की ख़बर पर यूपी सरकार की ओर से कहा गया था कि राज्य के कुछ क्षेत्रों में
कर्नाटक के कर्मचारी राज्य बीमा निगम अस्पताल का मामला. कोविड-19 की पहली लहर में पिछले साल जुलाई में जान गंवाने वाले दो लोगों के शव क़रीब डेढ़ साल से मुर्दाघर में पड़े हुए थे, जबकि उनके परिजनों को बताया गया था कि बंगलुरु महानगर पालिका द्वारा उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया है.
एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कोरोना मृतकों के अधिकारों की रक्षा के लिए नीति बनाने, दाह संस्कार, कोविड प्रभावित शवों को दफनाने और एंबुलेंस सेवाओं के लिए अधिक शुल्क को नियंत्रित करने के लिए निर्देश देने की मांग की थी.
इलाहाबाद में स्थानीय पत्रकारों के द्वारा 23 और 24 जून को शहर के विभिन्न घाटों पर मोबाइल से बनाए गए वीडियो और खींची गई तस्वीरों में नगर निगम की टीम को इन शवों को बाहर निकालते हुए देखा जा सकता है. मेयर ने बताया है कि इस तरह मिले शवों का अंतिम संस्कार करवाया जा रहा है.
महाराष्ट्र के बीड ज़िले के अंबाजोगाई में स्थित स्वामी रामानंद तीर्थ ग्रामीण राजकीय मेडिकल कॉलेज का मामला. मेडिकल कॉलेज के डीन ने कहा कि अस्पताल प्रशासन के पास पर्याप्त एंबुलेंस नहीं हैं, जिसके कारण ऐसा हुआ. जिला प्रशासन को तीन एंबुलेंस मुहैया कराने के लिए पत्र लिखा गया है.
सोशल मीडिया पर सामने आए राजनांदगांव ज़िले के एक वीडियो में पीपीई किट पहने चार सफाई कर्मचारी कोरोना मृतकों के शव कचरा ढोने वाले वाहन में रख शवदाह गृह ले जाते दिख रहे हैं. राजनांदगांव सीएमएचओ का कहना है कि शव वाहन न होने पर ऐसा करना पड़ा. कचरा वाहन को साफ कर सैनिटाइज़ किया गया था.
दिल्ली में निजी अस्पतालों की मनमानी रोकने के लिए आम आदमी पार्टी सरकार ने एक मसौदे का प्रस्ताव रखा है जिसके अनुसार अस्पताल मरीजों से 50 प्रतिशत से ज़्यादा मुनाफ़ा नहीं वसूल पाएंगे.