मणिपुर में रविवार और सोमवार को फिर हिंसा भड़क गई, जिसके चलते कर्फ्यू में दी गई ढील को दो घंटे कम कर दिया गया है. इंटरनेट पर प्रतिबंध 26 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है. हालिया हिंसा के संबंध में पुलिस ने तीन व्यक्तियों को गिरफ़्तार किया है, जिनमें एक पूर्व विधायक भी शामिल हैं.
मणिपुर में बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने के मुद्दे पर पनपा तनाव बीते 3 मई को जातीय हिंसा में तब्दील हो गया था. मणिपुर हाईकोर्ट ने बीते 27 मार्च को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह मेईतेई को एसटी में शामिल करने के संबंध में केंद्र को एक सिफ़ारिश सौंपे.
अलग प्रशासन बनाने की मांग करने वाले 10 विधायकों में से 7 विधायक सत्तारूढ़ भाजपा के हैं, दो पार्टी के सहयोगी कुकी पीपुल्स अलायंस (केपीए) और एक निर्दलीय विधायक हैं. इस विधायकों ने एक बयान में ‘मणिपुर में 3 मई को शुरू हुई हिंसा’ को स्पष्ट रूप से ‘मौजूदा सरकार द्वारा समर्थित’ कहा है.
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हिंसा के दौरान धार्मिक स्थलों समेत 1700 घर जला दिए गए हैं. सुरक्षाकर्मियों से 1,041 बंदूकें लूटी गई थीं, जिनमें से 214 को बरामद कर लिया गया है. बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर राज्य में हिंसा भड़क उठी थी.
मणिपुर का बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय ख़ुद को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग कर रहा है, जिसका नगा और कुकी समेत कई आदिवासी समुदाय विरोध कर रहे हैं. इस विवाद के केंद्र में मणिपुर हाईकोर्ट का वह आदेश भी है, जिसमें मेईतेई को एसटी दर्जा देने संबंधी बात कही गई थी.
उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में अपने परिजनों को खोने वाले लोगों का मानना है कि क्षेत्र में स्थिति भाजपा नेता कपिल मिश्रा के भाषण के बाद बिगड़ी थीं.