मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा- हिंसा में 60 लोगों की मौत हुई है

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हिंसा के दौरान धार्मिक स्थलों समेत 1700 घर जला दिए गए हैं. सुरक्षाकर्मियों से 1,041 बंदूकें लूटी गई थीं, जिनमें से 214 को बरामद कर लिया गया है. बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर राज्य में हिंसा भड़क उठी थी.

मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक/एएनआई)

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हिंसा के दौरान धार्मिक स्थलों समेत 1700 घर जला दिए गए हैं. सुरक्षाकर्मियों से 1,041 बंदूकें लूटी गई थीं, जिनमें से 214 को बरामद कर लिया गया है. बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग को लेकर राज्य में हिंसा भड़क उठी थी.

मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह. (फोटो साभार: फेसबुक/एएनआई)

इंफाल/नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के मणिपुर में जान-माल के नुकसान पर गहरी चिंता व्यक्त करते ही राज्य की भाजपा सरकार ने सोमवार को कहा कि अब तक 60 लोगों की मौत हो चुकी है. 3 मई को हिंसा भड़कने के बाद से मौतों का यह पहला आधिकारिक आंकड़ा है.

इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हिंसा में 60 लोग मारे गए हैं, 231 घायल हुए हैं और धार्मिक स्थलों समेत 1700 घर जला दिए गए हैं.

उन्होंने कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने मृतकों के परिवारों को 5 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायल लोगों को 2 लाख रुपये और मामूली रूप से घायल लोगों को 25,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने का संकल्प लिया है.

उन्होंने कहा कि जिन लोगों के घर नष्ट हुए हैं उन्हें 2 लाख रुपये दिए जाएंगे और सरकार उनके घरों का पुनर्निर्माण कराएगी.

सिंह ने कहा, ‘मणिपुर में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना के मद्देनजर राहत शिविरों में फंसे 20,000 से अधिक लोगों को आज तक सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है. अन्य 10,000 और फंसे हुए लोगों को जल्द से जल्द सुरक्षित जगह ले जाया जाएगा. मानव जीवन कीमती है और घरों व संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना अस्वीकार्य है.’

उन्होंने कहा कि सुरक्षाकर्मियों से 1,041 बंदूकें लूटी गई थीं, जिनमें से 214 को बरामद कर लिया गया है. उन्होंने बंदूकें लूटने वालों से कहा कि वे उन्हें निकटतम पुलिस थाने में लौटा दें, ऐसा न करने पर एक बड़ा अभियान चलाया जाएगा.

उन्होंने कहा कि सरकार ने चुराचांदपुर, उखरुल, इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व और कांगपोकपी जैसे राज्य के विभिन्न जिलों में फंसे हुए लोगों को वापस लाने के लिए कई कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा कि फंसे हुए लोगों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए एक कैबिनेट समिति का गठन किया गया है.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने कहा कि हिंसा भड़काने वाले व्यक्तियों और समूहों की पहचान करने के लिए एक उच्चस्तरीय जांच की जाएगी और अपने कर्तव्य में विफल रहने वाले सरकारी अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जाएगी.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बीते सोमवार को मणिपुर संकट को एक ‘मानवीय समस्या’ बताते हुए कहा था कि वह जीवन और संपत्ति के नुकसान को लेकर गहराई से चिंतित है.

अदालत ने केंद्र और मणिपुर सरकार को विस्थापित लोगों को बुनियादी सुविधाएं, भोजन और दवा उपलब्ध कराने के लिए राहत शिविरों में उचित व्यवस्था करने की आवश्यकता पर जोर दिया था.

अदालत ने कहा था कि जिन लोगों को चिकित्सा देखभाल की जरूरत है, उन्हें सेना या अन्य उपयुक्त अस्पतालों में ट्रांसफर किया जाना चाहिए.

पीठ ने सरकार से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया था कि ‘विस्थापित लोग वापस लौटने में सक्षम हों’. जबकि, केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया था कि राज्य में हालात सामान्य हो रहे हैं और दो दिन से कोई हिंसा नहीं हुई है.

मणिपुर सरकार के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह ने सोमवार को बताया था कि 208 एफआईआर दर्ज की गई हैं और 28 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

उन्होंने कहा कि मोबाइल इंटरनेट, जिसे सप्ताह हिंसा भड़कने पर राज्य में बंद कर दिया गया था, दो-चार दिन में फिर से शुरू हो जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि हिंसा के पुराने या असंबंधित वीडियो का इस्तेमाल कर अफवाह फैलाने वालों पर नकेल कसने की कोशिश की जा रही है.

द हिंदू के मुताबिक, सुरक्षा सलाहकार सिंह ने बताया कि कई जगहों पर कर्फ्यू के समय में ढील दी गई है, कुछ जगहों पर चार घंटे तक की छूट दी गई है. जिलाधिकारियों को समय तय करने की खुली छूट दी गई है.

मालूम हो कि मणिपुर का बहुसंख्यक मेईतेई समुदाय खुद को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग कर रहा है, जिसका आदिवासी समुदाय विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे उनके संवैधानिक सुरक्षा उपाय और अधिकार प्रभावित होंगे.

मेईतेई समुदाय की इस मांग पर पर पनपा तनाव 3 मई को तब हिंसा में तब्दील हो गया, जब इसके विरोध में राज्य भर में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ निकाले गए थे. मार्च के दौरान चुराचांदपुर जिले के तोरबुंग क्षेत्र में पहली बार हिंसा भड़की थी. तब से शुरू हुई हिंसा में आदिवासियों पर मेईतेई समूहों द्वारा हमले और आदिवासियों द्वारा उन पर हमले की खबरें आ रही थीं.

यह मुद्दा इस वजह से भी ज्वलंत हो गया था क्योंकि मणिपुर हाईकोर्ट ने बीते 27 मार्च को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह मेईतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के संबंध में केंद्र को एक सिफारिश सौंपे.

मणिपुर में मेईतेई समुदाय आबादी का लगभग 53 प्रतिशत है और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. आदिवासी, जिनमें नगा और कुकी शामिल हैं, आबादी का 40 प्रतिशत हिस्सा हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं, जो घाटी इलाके के चारों ओर स्थित हैं.

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