सरकार ने ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ का हवाला देते हुए सशस्त्र बलों में रिक्तियों की जानकारी देने से इनकार किया

राज्यसभा में सशस्त्र बलों में रिक्तियों को लेकर पूछे गए सवाल पर रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कहा कि यह जानकारी राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित संवेदनशील मामला है, जिसका विवरण देना राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में नहीं होगा. हालांकि, पिछले साल तक सरकार ऐसी रिक्तियों का पूरा ब्योरा दे रही थी.

‘आत्मनिर्भरता’ राष्ट्र की रक्षा की कीमत पर नहीं हो सकती: वायुसेना उपप्रमुख

भारतीय वायु सेना के उप-प्रमुख एयर मार्शल एपी सिंह का बयान ऐसे समय में सामने आया है जब केंद्र सरकार रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' नीति पर जोर दे रही है. उन्होंने कहा कि वायुसेना के लगभग 65 से 70 प्रतिशत लड़ाकू विमान रूसी हैं और उनमें से अधिकांश को या तो तत्काल अपग्रेड करने की आवश्यकता है या वो कार्यमुक्ति की कगार पर हैं.

केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों में 9.6 लाख से अधिक पद ख़ाली

सरकार ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा है कि केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों में 1 मार्च 2023 तक 9,64,359 पद ख़ाली थे. तृणमूल कांग्रेस की सांसद माला रॉय और भारत राष्ट्र समिति के सांसद नामा नागेश्वर राव ने इस संबंध में सवाल पूछा था.

भारत फिर हथियारों का सबसे बड़ा आयातक बना, रूस से सबसे अधिक हथियार आयात किए: रिपोर्ट

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (सिपरी) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हथियारों के आयात में भारत की हिस्सेदारी पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक 11 प्रतिशत थी. भारत हथियारों की ख़रीद के मामले में 2013 से 2017 के बीच भी सबसे बड़ा आयातक था, जो कि पूरे विश्व में कुल हथियार आयात का 12 प्रतिशत है.

केंद्र के 78 मंत्रालयों और विभागों में नौ लाख से अधिक पद ख़ाली: सरकार

राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि केंद्र सरकार के 78 मंत्रालयों और विभागों में 9.79 लाख से अधिक रिक्तियां हैं, जिनमें से रेलवे में 2.93 लाख, रक्षा (सिविल) में 2.64 लाख और गृह मंत्रालय में 1.43 लाख  पद ख़ाली हैं.

पत्रकारों का काम सरकारों का प्रवक्ता बनना नहीं, उनसे सवाल पूछना है

पत्रकारिता और देशभक्ति का साथ विवादास्पद है. देशभक्ति अक्सर सरकार के पक्ष का आंख मूंदकर समर्थन करती है और फिर प्रोपगेंडा में बदल जाती है. आज सरकार राष्ट्रवाद के नाम पर अपना प्रोपगेंडा फैलाने की कला में पारंगत हो चुकी है और जिन पत्रकारों पर सच सामने रखने का दारोमदार था, वही इसमें सहभागी हो गए हैं.

एक राफेल की क़ीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू

दो हफ़्ते पुरानी कंपनी को हज़ारों करोड़ रुपये का डिफेंस डील मिल जाए ये सिर्फ और सिर्फ उसी दौर में हो सकता है जब देश हिंदू-मुस्लिम में डूबा हुआ हो, वरना जनता को उल्लू बनाने का कोई चांस ही नहीं था.

मोदी सरकार राफेल सौदे पर उठने वाले सवालों का जवाब देने से क्यों कतरा रही है?

सरकार को राफेल सौदे पर उठ रहे अहम सवालों के तर्कपूर्ण जवाब देने चाहिए, क्योंकि यह अरबों डॉलर के सार्वजनिक धन से जुड़ा हुआ मसला है.