दिल्ली में 27 साल बाद भाजपा की सत्ता में वापसी हो रही है. आम आदमी पार्टी हिंदुत्व की पिच पर भाजपा का मुकाबला करने में नाकाम रही. अरविंद केजरीवाल की सनातन सेवा समिति और पुजारी-ग्रंथी योजना भी चुनावी हार नहीं रोक सकीं.
जो लोग कांग्रेस को मिले वोट और कई सीटों पर हार-जीत का अंतर दिखा कर बता रहे हैं कि कांग्रेस की वजह से आप हारी, वे आधा सच देख और बता रहे हैं. पूरा सच यह है कि आप अपनी वजह से हारी, वरना बीते दो चुनावों में उसे न कांग्रेस की दया की ज़रूरत पड़ी थी और न ही डबल इंजन सरकार के प्रचार से फ़र्क पड़ा था.
भाजपा 27 साल बाद दिल्ली में वापसी कर रही है. आम आदमी पार्टी की हार के पीछे एंटी-इनकम्बेंसी, वादे पूरे न करना, कांग्रेस से मतभेद और इंडिया गठबंधन की विफलता मुख्य कारण माने जा रहे हैं.
इस चुनाव में मिली हार के दरमियान अधिकांश मुस्लिम बाहुल्य सीट पर आप को जीत मिली है. हालांकि यह स्पष्ट है कि मुसलमान वोट कुछ हद तक आप से अलग हुआ है, पिछले चुनाव में इन दस मुस्लिम बाहुल्य सीट में से 9 सीट आप के पास थी, वहीं इस बार के चुनाव में आप सिर्फ़ 7 सीट जितने में कामयाब हो सकी.
इंडिया गठबंधन के नेताओं द्वारा उठाए इन प्रश्नों को इस तथ्य से बल मिलता है कि भले ही कांग्रेस अपना खाता तक नहीं खोल पाई, पार्टी ने कहा कि चुनाव के नतीजे प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों की पुष्टि नहीं, बल्कि अरविंद केजरीवाल और आप पर जनमत संग्रह हैं.
भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड विजय मिलने के बाद सत्ताधारी पार्टी आम आदमी को करारी हार का स्वाद चखना पड़ा है. जबकि कांग्रेस के हाथ तीसरी बार भी खाली रहे और उसके खाते में एक भी सीट नहीं आई.
दिल्ली की 12 आरक्षित विधानसभा सीटों में से आठ पर आप और चार पर भाजपा को जीत मिली. पिछले दो चुनावों में सभी आरक्षित सीटों पर आप को जीत मिली थी.
पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट से चुनाव हार चुके हैं. वहीं पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री रह चुके मनीष सिसोदिया भी जंगपुरा सीट से चुनाव जीतने में असफल रहे.
भाजपा की बढ़त पर दिल्ली भाजपा अध्यक्ष विरेंद्र सचदेवा ने कहा है, 'हम रुझानों का स्वगत करते हैं. परिणाम का इंतजार है. दिल्ली के लोगों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ वोट किया है. दिल्ली की जनता ने अरविंद केजरीवाल के मॉडल को नकार दिया है. इनके बड़े चेहरे चुनाव हारेंगे.'
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण केवल एक पर्यावरणीय मुद्दा नहीं है, बल्कि यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है. इन दिनों बड़ी संख्या में अस्थमा और फेफड़ों से संबंधित रोग सामने रहे हैं. बुजुर्गों में हृदय रोग, क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) और अन्य गंभीर बीमारियां बढ़ रही हैं.
अप्रैल 2020 में कोविड महामारी के दौरान दिल्ली सरकार ने फ्रंटलाइन वर्कर्स की मौत पर परिवार को एक करोड़ रुपये देने का वादा किया था. लेकिन पांच साल बाद भी 40 प्रतिशत आवेदकों को यह राशि नहीं मिली है. 154 स्वीकृत आवेदकों में से भी केवल 92 परिवारों को ही भुगतान किया गया है.
दिल्ली के विधानसभा क्षेत्रों में एक अहम प्रश्न यह है कि क्या मुसलमान आम आदमी पार्टी को सिर्फ़ इसलिए वोट कर रहे हैं कि वे उसे भाजपा के मुकाबले एकमात्र विकल्प के तौर पर देखते हैं? या फिर अरविंद केजरीवाल के काम से संतुष्ट हैं? या क्या उत्तर पूर्वी दिल्ली के मतदाता के लिए 2020 दंगा अब भी चुनावी मुद्दा है?
हरिनगर विधानसभा सीट पर आप और भाजपा प्रत्याशी विहिप के 'शस्त्र दीक्षा कार्यक्रम' में एक साथ शामिल हुए. दोनों ने पूजा की और जय श्रीराम के नारे लगाए. विहिप ने इस कार्यक्रम में 2100 हथियार बांटने का संकल्प लिया.
दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के उम्मीदवार शिफा-उर-रहमान को चुनाव प्रचार के लिए 30 जनवरी से 3 फरवरी तक की पैरोल दी है. हालांकि, पुलिस पहरे की बंदिशों की वजह से उन्हें तमाम तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
इन सभी विधायकों ने आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने के बाद इस्तीफ़ा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए. इनका आरोप है कि पार्टी केंद्रीकृत, अपारदर्शी हो गई है और इसमें आंतरिक लोकतंत्र का अभाव है.