दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने एक आदेश जारी कर पुलिस कर्मचारियों को एफ़आईआर, डायरी या चार्जशीट दर्ज करते समय जटिल उर्दू और फ़ारसी शब्दों की जगह सरल शब्दों का प्रयोग करने के लिए कहा है. कहा गया है कि निर्देशों का पालन न करने को गंभीरता से लिया जाएगा और उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी.
अक्टूबर 2018 में सिलसिलेवार तरीके से किए गए ट्वीट में फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने आरोप लगाया था कि दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एस. मुरलीधर ने भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी गौतम नवलखा को नज़रबंदी से मुक्त करने का फैसला किया था, क्योंकि वह उनकी पत्नी के दोस्त थे.
वर्ष 2020 की शुरुआत में पूर्वोत्तर दिल्ली के जाफ़राबाद में हुए दंगों के दौरान हुई झड़पों में कथित संलिप्तता के लिए दिल्ली पुलिस ने तीन साल पहले 9 अप्रैल को गुलफ़िशा फ़ातिमा को गिरफ़्तार किया था. 13 मई 2020 को जब मामले में उन्हें ज़मानत मिल गई तो उन पर एक नई एफआईआर दर्ज कर ली गई.
बीते 4 फरवरी को दिल्ली की एक अदालत ने राष्ट्रीय राजधानी के जामिया नगर हिंसा मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम, सफ़ूरा जरगर और आसिफ़ इक़बाल तनहा सहित 11 लोगों को आरोपमुक्त करते हुए कहा था कि चूंकि पुलिस वास्तविक अपराधियों को पकड़ पाने में असमर्थ रही, इसलिए उसने इन आरोपियों को बलि का बकरा बना दिया.
पूर्व वित्त सचिव ईएएस सरमा ने कैबिनेट सचिव राजीव गौबा को लिखे एक पत्र में कहा है कि विदेशी चंदे को लेकर मूल समस्या से निपटने के बजाय हर्ष मंदर के एनजीओ अमन बिरादरी का उत्पीड़न न्याय का उपहास करना है.
एक तिब्बती नागरिक ने केंद्रीय तिब्बती स्कूल प्रशासन से कुछ जानकारी मांगी थी, लेकिन उन्हें इस आधार पर सूचना देने से इनकार कर दिया गया कि वे एक तिब्बती नागरिक हैं और आरटीआई अधिनियम के प्रावधानों के तहत जानकारी पाने के हक़दार नहीं हैं.
आयोजकों ने दिल्ली हाईकोर्ट में तर्क प्रस्तुत किया कि ‘वर्तमान भारत के संदर्भ में फासीवाद को समझना’ विषय पर होने वाले सेमिनार के लिए उन्होंने दिल्ली पुलिस को क़रीब डेढ़ महीने पहले आवेदन दिया था, लेकिन उसने उसे लटकाए रखा और आयोजन के महज 36 घंटे पहले अनुमति देने से इनकार कर दिया था.
टीवीएफ मीडिया लैब्स प्राइवेट लिमिटेड, वेब सीरीज़ ‘कॉलेज रोमांस’ के कास्टिंग डायरेक्टर और इसके प्रमुख अभिनेताओं के ख़िलाफ़ केस दर्ज करने के निर्देश देने वाले आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. हाईकोर्ट ने कहा है कि पब्लिक डोमेन में बच्चों के लिए भी उपलब्ध ‘अश्लील भाषा’ वाले कंटेट को गंभीरता से लेने की ज़रूरत है.
सशस्त्र बलों में भर्ती से जुड़ी केंद्र सरकार की ‘अग्निपथ’ योजना के ख़िलाफ़ कुल 23 याचिकाएं दायर की गई थीं, जिनमें से पांच में योजना को चुनौती दी गई थी, वहीं अन्य 18 में पुरानी भर्ती प्रणाली को लागू करने की मांग की गई थी. दिल्ली हाईकोर्ट ने इन सभी को ख़ारिज करते हुए कहा कि उसे योजना में दख़ल देने की कोई वजह नहीं दिखती.
पिछले साल 23 मार्च को ब्रिटेन के मानवविज्ञानी फिलिपो ओसेला को तिरुवनंतपुरम में एक सम्मेलन में भाग लेना था, हालांकि बिना कोई स्पष्ट कारण बताए हवाई अड्डे पर पहुंचने पर उन्हें वापस उनके देश भेज दिया गया था. केंद्र सरकार के निर्वासन आदेश को उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड की 123 संपत्तियों- जिसमें मस्जिद, दरगाह और क़ब्रिस्तान शामिल हैं, को अपने क़ब्ज़े में लेने की बात कही है. बोर्ड के अध्यक्ष और आप विधायक अमानतुल्ला ख़ान का कहना है कि इस मामले से संबंधी उनकी याचिका हाईकोर्ट में लंबित है और वे केंद्र को इन संपत्तियों का अधिग्रहण करने नहीं देंगे.
दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि दिल्ली में इमारतों की भूकंपीय स्थिरता ख़राब है और बड़े भूकंप से बड़ी संख्या में लोग हताहत हो सकते हैं. अदालत ने दिल्ली सरकार से एक संशोधित कार्य योजना के साथ एक नई स्थिति रिपोर्ट दाख़िल करने को कहा है.
बीती 4 फरवरी को साकेत ज़िला अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अरुल वर्मा ने शरजील इमाम, छात्र कार्यकर्ता आसिफ़ इक़बाल तन्हा और सफूरा ज़रगर एवं आठ अन्य को जामिया हिंसा मामले में बरी कर दिया था. न्यायाधीश वर्मा ने पाया था कि पुलिस ने ‘वास्तविक अपराधियों’ को नहीं पकड़ा, लेकिन आरोपियों को ‘बलि का बकरा’ बनाने में कामयाब रही.
दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायाधीश जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि हिरासत में ली गई एक महिला, जांच के दायरे में आरोपी, पुलिस या न्यायिक हिरासत में गई महिला का कौमार्य परीक्षण असंवैधानिक और संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है, जिसमें गरिमा का अधिकार भी शामिल है.
2019 जामिया हिंसा के संबंध में दर्ज मामले में छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम, सफूरा जरगर और आसिफ इकबाल तनहा सहित 11 लोगों को बरी करने वाले दिल्ली की अदालत के आदेश में कहा गया है कि मामले में पुलिस का तीन पूरक चार्जशीट दायर करना सबसे असामान्य था. इसने पूरक चार्जशीट दाखिल कर 'जांच' की आड़ में उन्हीं पुराने तथ्यों को पेश करने की कोशिश की.