पिछले साल फरवरी महीने में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे के दौरान शिव विहार की मदीना मस्जिद में आग लगा दी गई थी. इसके लेकर कोर्ट ने आदेश दिया था कि पुलिस इस केस में एक अलग एफ़आईआर दायर करे. अब पुलिस ने दावा किया है कि इसे लेकर पहले ही एफ़आईआर दर्ज किया गया था, लेकिन इसकी जानकारी अदालत को अनजाने में नहीं दे सकी थी.
पेगासस प्रोजेक्ट: सर्विलांस की सूची में विहिप नेता प्रवीण तोगड़िया, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के पूर्व ओएसडी और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के निजी सचिव का नंबर भी मिला है.
पेगासस प्रोजेक्ट: सर्विलांस के लिए न केवल राहुल गांधी बल्कि उनके पांच दोस्तों और पार्टी के मसलों पर उनके साथ काम करने वाले दो क़रीबी सहयोगियों के फोन भी चुने गए थे.
पेगासस प्रोजेक्ट: द वायर द्वारा एक्सेस किए गए लीक डेटा से पता चलता है कि सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी और उनके परिवार द्वारा इस्तेमाल किए गए 11 नंबरों को एक अज्ञात आधिकारिक एजेंसी द्वारा पेगासस स्पायवेयर द्वारा हैकिंग के टारगेट के बतौर चुना गया था.
दिल्ली सरकार द्वारा जारी बयान के अनुसार, बीते 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा और पिछले साल उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से जुड़े मामलों में दिल्ली पुलिस के वकीलों की नियुक्ति करने संबंधी उपराज्यपाल अनिल बैजल की सिफ़ारिश को मंत्रिमंडल ने ख़ारिज कर दिया है. बताया जा रहा है कि इस क़दम से केंद्र और उपराज्यपाल के साथ दिल्ली सरकार का टकराव बढ़ सकता है.
इस साल 29 जनवरी को नई दिल्ली स्थित इज़रायली दूतावास के पास कम तीव्रता वाला एक विस्फोट हुआ था, जिसमें संलिप्तता के आरोप में दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने 23 जून को कारगिल के चार युवाओं को गिरफ़्तार किया था.
पुलिस ने मजिस्ट्रेट अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें दंगों के दौरान गोली लगने से अपनी एक आंख गंवाने वाले मोहम्मद नासिर नामक व्यक्ति की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश दिया गया था. अदालत ने पुलिस को फटकारते हुए कहा कि वे अपना संवैधानिक दायित्व निभाने में बुरी तरह से विफल रहे हैं.
किसी भी आम नागरिक के लिए जेल एक ख़ौफ़नाक जगह है, पर देवांगना, नताशा और आसिफ़ ने बहुत मज़बूती और हौसले से जेल के अंदर एक साल काटा. उनके अनुभव आज़ादी के संघर्ष के सिपाहियों- नेहरू और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के जेल वृतांतों की याद दिलाते हैं.
दिल्ली दंगों संबंधी मामले में आरोपी छात्र कार्यकर्ता गुलफ़िशा फ़ातिमा ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर कहा था कि उन्हें हिरासत में रखना ग़ैर क़ानूनी है, जिस पर अदालत ने कहा कि वे न्यायिक हिरासत में है और इसे अवैध नहीं कहा जा सकता.
ऐसा लगातार दूसरी बार हुआ है कि दिल्ली पुलिस आयुक्त के पद पर सीधे नियमित कमिश्नर की तैनाती न करके किसी वरिष्ठ अधिकारी को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. ऐसा लगता है कि सत्ताधारी नेता जानबूझकर ही शायद ऐसा कर रहे हैं, जिससे उनके हिसाब से न चलने पर उन्हें आसानी से हटाया जा सके.
जम्मू कश्मीर के डीजीपी दिलबाग़ सिंह को लिखे अपने पत्र में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने कहा है कि शिकायत मिलने के बाद वीडियो का संज्ञान लिया गया है. यह ट्विटर पर किए गए एक वीडियो पोस्ट से संबंधित है, जिसमें एक छोटा बच्चा बंदूक चलाते हुए दिख रहा है. नए आईटी कानून लागू होने के बाद से ट्विटर इंडिया और उसके प्रबंध निदेशक पहले से ही अलग-अलग मामलों में कम से कम पांच मामलों का सामना कर रहे
केंद्र के नए आईटी नियमों का पालन न करने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में दाख़िल एक याचिका के जवाब में हलफ़नामा दाख़िल कर ट्विटर ने बताया कि वह नए नियमों के तहत एक अंतरिम मुख्य अनुपालन अधिकारी और एक अंतरिम स्थानीय शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति के ‘अंतिम चरण’ में है. कंपनी ने यह भी कहा कि वह अपने प्लेटफॉर्म के ज़रिये प्रसारित होने वाली सामग्रियों को न तो शुरू करने वाला है और न ही उनका प्रकाशक है.
शिकायतकर्ता वकील आदित्य सिंह देशवाल ने ‘एथिस्ट रिपब्लिक’ नाम के ट्विटर हैंडल द्वारा साझा की गई देवी काली की एक तस्वीर पर सवाल उठाया है और ट्विटर द्वारा इसे नहीं हटाने का आरोप लगाया है. बीते कुछ दिनों में ट्विटर के ख़िलाफ़ दर्ज यह पांचवीं एफ़आईआर है.
फरवरी 2020 में मौजपुर में सीएए समर्थन रैली में भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने विवादित भाषण दिया था. इस दौरान उत्तरपूर्वी दिल्ली के तत्कालीन डीसीपी वेद प्रकाश सूर्या मिश्रा के साथ मंच पर मौजूद थे. अब सूर्या के सहयोगियों सहित क़रीब 25 पुलिस अधिकारियों ने दिल्ली दंगों में उनके प्रदर्शन का उल्लेख करते हुए वीरता पुरस्कार के लिए नामांकन भेजा है.
यह मामला फरवरी 2020 में हुए दंगों के दौरान उत्तर-पूर्वी दिल्ली के ब्रह्मपुरी इलाके में हुई एक कथित हत्या से संबंधित है. कोर्ट ने आरोपियों को ज़मानत देते हुए इस तथ्य को रेखांकित किया कि अधिकतर आरोपी एक साल से ज़्यादा वक़्त से जेल में हैं.