बीते कुछ दिनों में दिल्ली में कोविड संक्रमण दर में वृद्धि दर्ज की गई है. शनिवार सुबह तक कोविड संक्रमित 14 बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जिनमें से अधिकतर एक-दूसरे से संक्रमित हुए हैं. इसके साथ ही होम क्वारंटीन के मामले भी क़रीब 48 प्रतिशत बढ़े हैं. वहीं, हरियाणा में भी दैनिक मामलों में वृद्धि देखी गई है.
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने स्कूलों में महत्वपूर्ण पदों के ख़ाली होने पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है. आम आदमी पार्टी सरकार ने कहा कि उन्हें इस बारे में केंद्र से संपर्क करना चाहिए क्योंकि स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती सेवा विभाग द्वारा की जाती है जो सीधे उपराज्यपाल के अधीन आता है, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है.
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में लगातार बिगड़ रही वायु गुणवत्ता को लेकर स्कूलों को बंद करने के फैसले पर स्पष्टीकरण देते हुए शुक्रवार को कहा कि स्कूलों को बंद करने का फैसला उनका नहीं, बल्कि दिल्ली सरकार का था. अदालत ने कहा कि जान-बूझकर या अनजाने में एक संदेश भेजा जा रहा है कि अदालत खलनायक है और वह स्कूल बंद करने का आदेश दे रही है.
राष्ट्रीय स्तर पर ‘एक्सेस टू सर्विसेस डूरिंग कोविड-19 इन डिजिटल इंडिया’ नाम के इस सर्वेक्षण में मार्च और अगस्त 2020 के बीच कुल 7,000 घरों के नमूने इकट्ठा किए गए. दिल्ली की तुलना में तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों में जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले घरों का प्रतिशत कम हैं, वहां लगभग 40 फ़ीसदी बच्चे शिक्षा तक पहुंच हासिल कर सके.
बृहस्पतिवार को सीबीएसई के 10वीं और 12वीं के विद्यार्थियों की फ़ीस माफ़ी की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाख़िल की गई है. याचिका में अनुरोध किया गया है कि या तो सीबीएसई को फ़ीस माफ़ करने का निर्देश दिया जाए या फिर केंद्र को पीएम केयर्स फंड से इस राशि का भुगतान करना चाहिए.
इस साल दिल्ली के विभिन्न स्कूलों में सीबीएसई ने अगले साल के लिए परीक्षा रजिस्ट्रेशन शुल्क इकट्ठा करना शुरू कर दिया, जो दलित छात्रों के लिए औसतन 2,000 रुपये से अधिक है. पिछले साल दिल्ली सरकार ने यह शुल्क माफ कर दिया था, लेकिन इस साल सरकार ने हाथ पीछे खींच लिए हैं.